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Confusion in front of Indian students amid Ukraine-Russia dispute

कम फीस,बेहतर सुविधा के कारण यूक्रेन जाते हैं भारतीय मेडिकल छात्र

नयी दिल्ली: चीन और फिलीपींस के बाद सबसे अधिक भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिये यूक्रेन जाते हैं। भारतीय मेडिकल छात्र कई कारणों से यूक्रेन को मेडिकल शिक्षा हासिल करने के लिये उपयुक्त जगह मानते हैं। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, रूस के साथ युद्धरत यूक्रेन में भारत के करीब 18,000 छात्र फंसे हैं। इनमें से अधिकतर छात्र मेडिकल की शिक्षा प्राप्त करने के लिये वहां गये हैं। अब तक यूक्रेन से करीब एक हजार भारतीय नागरिकों को वापस स्वदेश लाया गया है।

साक्षी यादव का छोटा भाई मनदीप यादव और छोटी बहन महिमा यादव यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करते हैं। साक्षी ने आईएएनएस को बताया कि भारत में मेडिकल की पढ़ाई में जितना खर्च होता है, उससे आधे खर्च में यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई हो जाती है। उनके भाई-बहन यूक्रेन के लिव स्टेट मेडिकल सेंटर में शिक्षा हासिल कर रहे हैं।

साक्षी का कहना है कि कम फीस के अलावा यूक्रेन में बेहतर बुनियादी सुविधा और पढ़ाई का अलग पैटर्न भी भारतीय छात्रों को पसंद आता है।

इसके अलावा भारत में मेडिकल की सीट भी कम है। यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई में हर साल करीब 10 लाख रुपये लगते हैं।

यूक्रेन से एमबीबीएस करने वाले शिरीष मेहता ने बताया कि यूक्रेन के मेडिकल कॉलेज का बुनियादी ढांचा भारत के मुकाबले काफी अच्छा है जबकि भारत के निजी मेडिकल कॉलेज की तुलना में वहां के मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई का खर्च आधा है।

शिरीष ने कहा कि अगर सरकारी मेडिकल कॉलेजों की बात हो तो एमबीबीएस की फीस यहां करीब तीन लाख रुपये है जबकि निजी मेडिकल कॉलेजों में खर्च करीब 20 लाख रुपये प्रतिवर्ष है।

शिक्षाविद् सी एस कांडपांल ने कहा कि यूक्रेन में मेडिकल की पढाई के लिये भारतीय छात्रों की एक सबसे बड़ी वजह यह है कि वहां मेडिकल में एडमिशन के लिये विशेष परीक्षा देनी होती है जबकि भारत में नीट की परीक्षा होती है।

उन्होंने बताया कि देश के लाखों छात्र हर साल नीट की परीक्षा देते हैं, जिनमें से करीब 40,000 छात्रों को ही सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल पाता है। इसी कारण से नीट में सफलता हासिल करने वाले छात्र भी यूक्रेन का रूख कर लेते हैं।

–आईएएनएस

एकेएस/आरजेएस

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