नई दिल्ली| केंद्र सरकार ने कृषि सुधार से जुड़े नए काूननों पर किसानों की सारी आत्तियों पर खुले मन से विचार करने की बात कही है। देश की राजधानी की सीमाओं पर आंदोलनरत किसान संगठनों के नेताओं को बुधवार को सरकार ने किसानों को प्रस्तावों का एक मसौदा भेजा, जिसमें कानून में संशोधन समेत एमएसपी पर फसलों की खरीद का लिखित आश्वासन देने का भी जिक्र किया गया है। कृषि सुधार के तीन नये काूननों को निरस्त करने के मसले पर सरकार ने कहा कि कानून के जिन प्रावधानों पर किसानों को आपत्ति है, उनपर सरकार खुले मन से विचार करने को तैयार है।
नये कानून से मंडी समितियों यानी एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समिति) द्वारा स्थापित मंडियों के कमजोर होने और किसानों के निजी मंडियों के चंगुल में फंस जाने संबंधी किसानों के मसले के समाधान के लिए सरकार ने काूनन में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है। प्रस्ताव के अनुसार, राज्य सरकार निजी मंडियों में भी रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू कर सकती है और एपीएमसी में लागू मंडी शुल्क या उपकर निजी मंडियों के लिए तय किया जाएगा।
नये कानून में किसी प्रकार के विवाद की स्थिति में किसानों को सिविल कोर्ट जाने का विकल्प नहीं होने से न्याय नहीं मिलने की आशंका को दूर करने के लिए भी सरकार ने समाधान पेश किया है। सरकार ने कानून में संशोधन कर किसानों को कानून में दी गई व्यवस्था के अतिरिक्त सिविल कोर्ट जाने का विकल्प देने का प्रस्ताव दिया है।
वहीं, अनुबंध पर खेती से संबंधित कानून पर कृषि अनुबंधों के पंजीकरण की व्यवस्था नहीं होने के मसले पर सरकार ने कहा है कि जब तक राज्य सरकारें पंजीकरण की व्यवस्था नहीं बनाती हैं, तब तक सभी लिखित करारों की एक प्रतिलिपि करार पर हस्ताक्षर होने के 30 दिन के भीतर संबंधित एसडीएम कार्यालय में उपलब्ध कराने के लिए उपयुक्त व्यवस्था की जाएगी।
इस कानून को लेकर किसानों की एक बड़ी आशंका है कि इससे किसानों की जमीन पर उद्योगपतियों का कब्जा हो जाएगा और वे अपनी भूमि से वंचित हो जाएंगे। इस पर सरकार की ओर से कहा गया है कि यह स्पष्ट कर दिया जाएगा कि किसान की भूमि बनाई जाने वाली संरचना पर खरीदार यानी स्पांसर किसी प्रकार का कर्ज नहीं लिया जाएगा और न ही ऐसी संरचना उसके द्वारा बंधक रखी जाएगी।
करार की वजह से किसानों की जमीन कुर्की होने की आशंका पर सरकार ने कहा है कि इस संबंध में कानून में किसान पर किसी प्रकार की पेनाल्टी का प्रावधान नहीं है, फिर भी इस पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता होगी तो उसे स्पष्ट किया जाएगा।
सबसे अहम सवाल किसानों का एमएसपी को लेकर है। इस पर सरकार किसानों को लिखित आश्वासन देने को तैयार है। प्रस्ताव में कहा गया है कि सरकार एमएसपी की वर्तमान व्यवस्था के संबंध में लिखित आश्वासन देगी।
इसके अलावा बिजली संशोधन विधेयक 2020 को समाप्त करने की किसानों की मांग पर सरकार ने कहा है कि किसानों के बिजली बिल भुगतान की वर्तमान व्यवस्था मंे कोई बदलाव नहीं होगा।
यही नहीं, सरकार ने पराली दहन से संबंधित अध्यादेश में किए गए कठोर दंड के प्रावधान के संबंध में विचार करने का प्रस्ताव दिया है।
सरकार ने कहा है कि पराली जलाने से संबंधित प्रावधान एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ऑफ एनसीआर ऑडिनेंस 2020 के अंतर्गत किसानों की आपत्तियों का समुचित समाधान किया जाएगा।
किसानों को भेजे गए प्रस्तावों में कहा गया है कि देश के किसानों के सम्मान में पूरे खुले मन से केंद्र सरकार द्वारा पूरी संवेदना के साथ सभी मुद्दों के समाधान का प्रयास किया गया है। सरकार ने इसके साथ सभी किसान यूनियनों से आंदोलन वापस लेने की भी अपील की है।
–आईएएनएस
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