मुंबई: महाराष्ट्र के किसानों ने कृषि की खस्ता हालत को लेकर बीते 10 महीनों में दूसरी बार राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला और विधानसभा तक विरोध मार्च पूरा किया। इस मार्च में पुरुषों, महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों सहित 35,000 से अधिक किसानों ने छह दिनों से ज्यादा समय में 180 किलोमीटर लंबे मार्च को पूरा किया।
अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) की ओर से आयोजित इस मार्च में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के किसान धड़े के किसान लाल टोपी पहने, हाथों में लाल झंडे लिए ड्रम बजाते हुए मार्च में शामिल हुए।
किसानों ने छात्रों की बोर्ड परीक्षाओं में किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न न हो इस बात को ध्यान में रखते हुए रात (सोमवार) को दो बजे ही विद्याविहार के सोमैया मैदान से ऐतिहासिक आजाद मैदान के लिए रवाना हो गए।
किसानों की सोमवार दोपहर को महाराष्ट्र विधानसभा की घेराबंदी करने की योजना को देखते हुए सरकार ने किसानों के साथ सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आनन-फानन में छह सदस्यीय मंत्रिमंडलीय समिति गठित कर दी है।
किसान नेता अजीत नवाले ने कहा कि हमारी प्रमुख मांगों में जून 2017 में घोषित हुए किसान ऋण माफी को लागू करना है, जिससे किसान पूरी तरह से कर्जमुक्त हो सकें।
नवाले ने रविवार को संवाददाताओं को बताया, “पूरे देश से हमें मिले जबरदस्त सहयोग को देखते हुए सरकार हमें हल्के में नहीं ले सकती। अगर सरकार कृषि ऋण माफी को लेकर ढीला ढाला रवैया बरकरार रखेगी तो उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।”
एआईकेएस महाराष्ट्र के अध्यक्ष अशोक धवाले ने कहा कि कृषि की हालत गंभीर है। बीते 25 वर्षो में 400,000 से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
उन्होंने कहा, “कृषि की खस्ता हालत कुपोषण से जुड़ी है। किसान महाराष्ट्र और केंद्र में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार द्वारा ठगे महसूस कर रहे हैं।”
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण, राधाकृष्णन विखे-पाटिल, पृथ्वीराज चव्हाण और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, धनंजय मुंडे और जितेंद्र अवहद सहित कांग्रेस नेताओं ने किसानों के मार्च को समर्थन देने का ऐलान किया है।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे और युवासेना के अध्यक्ष आदित्य उद्धव ठाकरे ने रविवार शाम को निजी तौर पर उपस्थित होकर किसानों का स्वागत किया।
–आईएएनएस
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