✅ Janmat Samachar.com© provides latest news from India and the world. Get latest headlines from Viral,Entertainment, Khaas khabar, Fact Check, Entertainment.

कृषि मंत्री तोमर को नौवें दौर की बैठक में समाधान निकलने की उम्मीद

नई दिल्ली| नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच शुक्रवार को हुई आठवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही, लेकिन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उम्मीद है कि अगले दौर की बैठक में मसले का समाधान निकलेगा। अगले दौर की वार्ता के लिए 15 जनवरी को फिर आंदोलनकारी किसान संगठनों के नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच बैठक तय हुई है।

अगले दौर की वार्ता में समाधान के विकल्प को लेकर पूछे गए आईएएनएस के एक सवाल का जवाब देते हुए तोमर ने कहा, “मुझे आशा है कि विकल्प लेकर आएंगे और मुझे आशा है कि समाधान की ओर हमलोग बढ़ेंगे।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार किसान नेताओं की तरफ से विकल्प की उम्मीद कर रही है जबकि किसान संगठनों के नेता विकल्प नहीं बल्कि कानून को निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं।

किसानों के प्रतिनिधियों के साथ आठवें दौर की वार्ता समाप्त होने के बाद यहां संवाददाताओं संबोधित करते हुए तोमर कहा, “आज किसान यूनियनों के साथ वार्ता तीनों कृषि कानूनों से संबंधित ही चर्चा होती रही लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका। सरकार का लगातार यह आग्रह रहा कि कानूनों को निरस्त करने के अलावा अगर यूनियन कोई और विकल्प दे तो सरकार उस पर विचार करेगी, लेकिन बहुत देर तक चर्चा के बाद भी कोई विकल्प नहीं दिया गया। इसलिए आज की चर्चा का दौर यहीं स्थगित हुआ। यूनियन और सरकार दोनों ने मिलकर यह तय किया है कि 15 जनवरी को पुन: दोपहर 12 बजे वार्ता के लिए इकट्ठा होंगे।”

किसान नेताओं के साथ वार्ता में कृषि मंत्री तोमर के साथ रेलमंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश भी मौजूद थे।

तोमर ने कहा, “वो लोग भी अपने यहां बात करेंगे और हमलोग भी अपने यहां बात करेंगे। मुझे आशा है कि 15 तारीख की जो बैठक होगी उसमें समाधान ढूंढने में हमलोग सफल होंगे।”

किसानों के साथ मध्यस्थता करने का प्रस्ताव लेकर कृषि मंत्री से मिले बाबा लक्खा सिंह को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, “मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि बाबा लक्खा सिंह जी सिख समाज के धार्मिक संत हैं और उनके मन में यह दर्द था कि किसान आंदोलन पर है और सर्दी का मौसम है। ऐसे में इसका समाधान जल्द होना चाहिए। उन्होंने मुझे सूचना भेजी। मैंने सम्मान के साथ उनका समय निश्चित किया। वह वार्ता के लिए पधारें। उन्होंने किसानों की बात को सरकार के समक्ष रखा। मैंने कानूनी पक्ष को उनके सामने रखा। मैंने उनसे प्रार्थना की कि आप यूनियन के लीडर्स से बात करें और यूनियन के लीडर कानून को निरस्त करने के अतिरिक्त जो भी विचार व्यक्त करते हैं वो सीधा हमको प्रस्ताव भेजे या अगर आपको भी बताते हैं आप हमें सूचित करेंगे तो भी निश्चित रूप से उस पर हम विचार करेंगे।”

किसान नेताओं ने बताया कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाने का सुझाव दिया जिसे उन्होंने ठुकरा दिया इससे जुड़े एक सवाल पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा,” सरकार ने यह नहीं कहा लेकिन लोकसभा और राज्यसभा से जब कोई कानून पारित होता है तो उसका विश्लेषण करने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को ही है। उच्चतम न्यायालय के प्रति प्रत्येक नागरिक और भारत सरकार की प्रतिबद्धता है। इसलिए यह विषय आता है कि सुप्रीम कोर्ट की बात आती है क्योंकि आगामी 11 जनवरी की जब तारीख भी लगी हुई है।”

भारतीय किसान यूनियन के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा कि सरकार ने मसले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने का प्रस्ताव दिया जिसे उन्होंने मानने से इन्कार कर दिया।

किसान नेता डॉ. दर्शनपाल ने भी कहा कि वह इस विचार से सहमत नहीं है कि इस मसले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब तक ये तीन कृषि कानून निरस्त नहीं होंगे तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।

अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हनन मुल्ला ने आईएएनएस के एक सवाल पर कहा, “जब बहुत लोग कह रहे हैं कि यह कानून बहुत अच्छा है तो फिर सरकार हमसे बात क्यों कर रही है।”

उन्होंने कहा, “ये कानून किसानों के लिए मौत का परवाना बताया और ये हमें स्वीकार्य नहीं हैं।”

–आईएएनएस

About Author