नई दिल्ली | यूं तो यह अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद का शपथ ग्रहण समारोह था मगर नजारा अन्ना आंदोलन जैसा दिखा। वही ऐतिहासिक रामलीला मैदान, उसी तरह उत्साह और उम्मीदों के साथ स्वत:स्फूर्त रूप से एकत्र हुई हजारों की भीड़, हाथों में लहराता तिरंगा और जोर-जोर से गूंजते भारत माता की जय और इंकलाब जिंदाबाद के नारे..।
रामलीला मैदान में रविवार को केजरीवाल के तीसरी बार शपथ ग्रहण समारोह में वह सब कुछ दिखा जो कभी अन्ना आंदोलन के दौरान नजर आता था। अंतर बस इतना था कि मंच पर आज गांधीवादी अन्ना हजारे नहीं थे। वो अन्ना हजारे, जिनके चेहरे के साथ देश में 2011 में जनलोकपाल बिल को लेकर ऐतिहासिक आंदोलन खड़ा करने में अरविंद केजरीवाल सफल हुए थे।
अंतर यह भी था कि आज अरविंद केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में कुमार विश्वास, प्रशांत भूषण सहित तमाम पुराने साथी नहीं थे जो अन्ना आंदोलन के दौर से साथ थे।
अरविंद केजरीवाल की शपथ को लेकर दिल्ली की आम जनता के बीच यह उत्साह ही था जो पूरा रामलीला मैदान खचाखचा भरा नजर आया। सुबह साढ़े दस बजे तक आधा मैदान ही भरा था मगर आखिरी डेढ़ घंटे में मैदान में ठसाठस भीड़ नजर आई।
हम जिएंगे और मरेंगे ए वतन तेरे लिए, संदेशे आते हैं, हमें तड़पाते हैं..कर्मा और बॉर्डर आदि फिल्मों के बजते गाने मन में देशभक्ति के हिलोरे पैदा करने वाले थे। मैदान में हर तरफ तिरंगा ही तिरंगा देखकर लग रहा था कि मानो स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस से जुड़ा कोई समारोह हो। रामलीला मैदान के माहौल में देश भक्ति की भावना कूट-कूट कर भरने का हर साधन मौजूद रहा। हालांकि यह आयोजन दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव की ओर से किया गया मगर देखकर लगा कि इसकी रूपरेखा आम आदमी पार्टी के मंझे हुए कार्यकर्ताओं ने तैयार की।
शपथ लेने के बाद अरविंद केजरीवाल ने भी भारत माता की जय और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाकर मैदान में उमड़ पड़े राष्ट्रवाद के ज्वार को और तीव्र कर दिया। केजरीवाल ने अपने भाषण में देश का डंका दुनिया में बजाने की ख्वाहिश जताई। केजरीवाल का शुरू से अंत तक का संबोधन राष्ट्रवाद और विकास के बीच तालमेल की वकालत करता नजर आया।
— आईएएनएस
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