नई दिल्ली| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को भारत गणराज्य के गृह मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) तथा आपदा प्रबंधन और राहतमंत्रालय, बांग्लादेश जनवादी गणराज्य के बीच आपदा प्रबंधन, सहनीयता और शमन के क्षेत्र में सहयोग पर मार्च, 2021 को हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अवगत कराया गया। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस समझौता ज्ञापन के तहत एक ऐसी प्रणाली स्थापित करने का प्रयास किया जायेगा, जिससे भारत और बांग्लादेश; दोनों देश एक दूसरे की आपदा प्रबंधन व्यवस्था से लाभान्वित होंगे। इससे आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में तैयारी, त्वरित बचाव व राहत कार्य एवं क्षमता निर्माण के क्षेत्रों को भी मजबूत बनाने में सहायता मिलेगी।
इसकी कई विशेषताएं हैं, जिनमें राहत, त्वरित बचाव व राहत कार्य, पुनर्निर्माण और फिर से पहले वाली स्थिति प्राप्त करना (रिकवरी) के क्षेत्र में अपने देश में होने वाली गंभीर आपदा (प्राकृतिक या मानव निर्मित) के समय किसी भी पक्ष के अनुरोध पर एक-दूसरे को समर्थन प्रदान करना शामिल है।
प्रासंगिक जानकारी, रिमोट सेंसिंग डेटा और अन्य वैज्ञानिक डेटा का आदान-प्रदान करना तथात्वरित बचाव व राहत कार्य के अनुभव/सर्वोत्तम प्रथाओं, फिर से पहले वाली स्थिति प्राप्त करने (रिकवरी), शमन, सहनीयता सुनिश्चित करने के लिए क्षमता निर्माण आदि की जानकारी साझा करना भी इसकी विशेषता है।
इससे उन्नत सूचना प्रौद्योगिकी, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, सुदूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग) और नेविगेशन सेवाओं के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही इससे आपदा तैयारी, त्वरित बचाव व राहत कार्य और शमन के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने एवं वास्तविक समय पर डेटा साझा करने के लिए भी आपसी सहयोग बढ़ाने में मदद मिलेगी।
इससे आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अधिकारियों के प्रशिक्षण का समर्थन करने में सहायता होगी। इसके अलावा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रूप से संयुक्त आपदा प्रबंधन अभ्यास आयोजित करना, आपदा सहनीय समुदाय बनाने के लिए मानक, नवीनतम तकनीक और उपकरण साझा करना भी इसकी विशेषताओं में शामिल है।
इसके बाद अब आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में पाठ्यपुस्तक, दिशा-निर्देश के रूप में प्रकाशनों और सामग्रियों का आदान-प्रदान करना तथा आपदा प्रबंधन, जोखिम कम करने और फिर से पहले वाली स्थिति प्राप्त करने (रिकवरी) के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान गतिविधियों का संचालन करने में मदद मिलेगी।
–आईएएनएस
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