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हज

कोरोना ने हजारों भारतीय मुसलमानों के हज के सपने को तोड़ा

मुंबई| हज कमेटी द्वारा 2020 हज के लिए पूरा रिफंड लौटाने का ऐलान किए जाने के साथ ही हजारों मुस्लिम जायरीनों का हज करने का सपना टूट गया है।

महाराष्ट्र से, लगभग 10,500 मुस्लिमों का चयन किया गया था, जिन्हें हज के लिए जाना था।

हालांकि, सऊदी अरब सरकार की ओर से आगामी हज याात्रा को लेकर कोई सफाई नहीं दिए जाने और इंडोनेशिया और पाकिस्तान जैसे कई देशों द्वारा स्वेच्छा से अपनी योजनाओं को रद्द कर देने से इस वर्ष स्थिति संभावित हाजियों के लिए धूमिल दिखाई देती है।

महाराष्ट्र राज्य हज समिति के अध्यक्ष जामिया सिद्दीकी ने आईएएनएस को बताया, “13 मार्च को, भारत में लॉकडाउन लगाए जाने से पहले, सऊदी अरब सरकार ने हज 2020 की तैयारियों को अस्थायी रूप से रोकने के लिए हमें सूचित किया था, और उसके बाद इस बारे में कोई सूचना नहीं है। यह हज यात्रा नहीं होने को स्पष्ट कर देता है।”

जायरीनों को पूरा रिफंड देने के सऊदी हज कमेटी के फैसले और सऊदी अरब से आगे कोई निर्देश नहीं आने के कारण, उन्हें लगता है कि हज 2020 मुसलमानों के लिए महज एक इच्छा भर बनकर रह सकता है, लेकिन किसी को भी इसके लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

सिद्दीकी ने कहा, “यह कोविड-19 महामारी की वजह से है। लेकिन, हमें लगता है कि जायरीनों को नुकसान नहीं उठाना चाहिए। हमने केंद्र को पत्र लिखकर मांग की है कि चयनित लोगों को अगले साल जाने की अनुमति दी जाए। अगर केंद्र रिफंड दे रहा है, तो यह पर्याप्त मुआवजे के साथ होना चाहिए।”

उन्होंने यह जानना चाहा कि सऊदी अरब सरकार की ओर से 13 मार्च को भेजी गई सूचना के बाद जब हज 2020 पर प्रश्नचिह्न् खड़ा हो गया था, फिर भी हज समिति ने शुल्क संग्रह जारी क्यों रखा।

इस साल, भारत से अनुमानित 200,000 मुस्लिम हज करने की योजना बना रहे थे, जिसमें हज समितियों के माध्यम से 125,000 से अधिक और बाकी लगभग 47,000 निजी हज टूर ऑपरेटरों के माध्यम से यात्रा करने की योजना बना रहे थे।

‘इंडियन हज और उमरा टूर ऑपरेटर्स वेलफेयर एसोसिएशन’ के अध्यक्ष सैयद ए.आर. मिल्ली ने कहा कि मुआवजे की मांग अनुचित है, लेकिन उन्होंने 2021 के हज सीजन के लिए इस साल के जायरीनों की सूची को आगे बढ़ाने की मांग का समर्थन किया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नसीम खान ने इसी तरह की भावना व्यक्त करते हुए कहा कि लोग वर्षों से आवेदन करते हैं, इसलिए इस वर्ष 2020 के लिए चुने गए लोगों को मुश्किल से मिलने वाले इस अवसर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए और सरकार को उन्हें 2021 में हज पर भेजने के लिए विचार करना चाहिए।

हज समितियों के माध्यम से जाने वाले जायरीन 201,000 रुपये का भुगतान करते हैं। ग्रीन श्रेणी के लोग 2.90 लाख रुपये का भुगतान करते हैं।

मिल्ली ने कहा कि निजी हज टूर ऑपरेटरों के लिए आवेदन करने वालों को आवेदन के लिए गोल्ड, सिल्वर या ब्रॉन्ज श्रेणी के आधार पर 3.50 लाख रुपये से 12 लाख रुपये के बीच भुगतान करना होता है।

संयोग से, इस साल मई में, बहुप्रतीक्षित रमजान उमरा को पहली बार निलंबित कर दिया गया है, जिससे दुनिया भर के लगभग 30 लाख जायरीन निराश है, जिसमें अकेले भारत से करीब 500,000 शामिल हैं।

–आईएएनएस

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