नई दिल्ली| दिल्ली कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए की जा रही तैयारियों की समीक्षा की गई। कोरोना से बचाव के लिए महिला एवं बाल विकास एवं स्वास्थ्य विभाग के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं।
दिल्ली सरकार के मुताबिक कोरोना की संभावित तीसरी लहर में बच्चों पर ज्यादा असर होने की आशंका है। इसको देखते हुए दिल्ली सरकार के संस्थानों में रह रहे अनाथ, बेघर और दिव्यांग बच्चों का आंकड़ा तैयार किया जा रहा है। एनजीओ और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ की मदद से उन बच्चों को सुरक्षा के दायरे में लाना होगा। इस काम में महिला एवं बाल विकास विभाग को एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करके सभी बाल गृहों, एनजीओ और ऑब्जर्वेशन होम के बीच में समन्वय स्थापित करना होगा।
सोमवार को हुई इस समीक्षा बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव, समाज कल्याण विभाग की निदेशक और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के अलावा जीटीबी अस्पताल, राजीव गांधी अस्पताल और चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय के निदेशक भी मौजूद रहे।
महिला एवं बाल विकास एवं समाज कल्याण विभाग मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि ऐसे बच्चे जिनके दोनों या दोनों में से एक माता पिता की मृत्यु हो चुकी है, उनका असल आंकड़ा जानने के लिए स्वास्थ विभाग की मदद ली जानी चाहिए।
महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक ने बताया कि यह आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग से मांगा जा रहा है, ताकि जिलेवार सर्वे करा कर ऐसे अनाथ, बेघर और दिव्यांग बच्चों का असल आंकड़ा पता किया जा सके।
मंत्री ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे बच्चों का भी पता लगाया जाना चाहिए, जिनके माता-पिता की मृत्यु रिकॉर्ड में नहीं आ पाई है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग दिल्ली के सभी शवदाह गृह से आंकड़ा लेकर उसको शामिल करें।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया के अस्पतालों में बच्चों के हिसाब से वेंटिलेटर, मास्क आदि तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अस्पतालों में बच्चों के साथ उनके माता-पिता यहां एक अटेंडेंट के ठहरने की व्यवस्था के प्रावधान भी किए जा रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि बच्चों को तीसरी लहर से सुरक्षित रखने के लिए ऐसे माता-पिता का टीकाकरण अनिवार्य है, जिनके बच्चे अभी छोटे हैं या टीकाकरण की आयु से कम हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग ने स्वास्थ्य विभाग से कुछ विषय में जानकारी मांगते हुए कहा कि बच्चों की कोरोना टेस्टिंग की क्या प्रक्रिया होगी, टीकाकरण के लिए क्या मापदंड तय किए जाएंगे और स्वास्थ्य विभाग चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूशन में कोरोना को कैसे रोका जाए। इसके लिए मूलभूत ढांचे को तैयार करने में भी मदद मुहैया कराए।
भारत में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए अभी टीका उपलब्ध नहीं है। ऐसे में संभावित तीसरी लहर के दौरान बच्चों को बचाने के लिए हर तरह की तैयारी और रोकथाम के उपाय ही कारगर साबित हो सकते हैं।
–आईएएनएस
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