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गद्दार डीएसपी और पाकिस्तान का नापाक गठजोड़ बेनकाब

इंद्र वशिष्ठ
आतंकवादियों का मददगार जम्मू कश्मीर पुलिस का गद्दार डीएसपी देविंद्र सिंह पाकिस्तान उच्चायोग के साथ संपर्क में रहता था।
नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारियों ने डीएसपी देविंद्र सिंह को संवेदनशील जानकारी देने के लिए तैयार किया था।
सोशल मीडिया से संपर्क-
जांच के दौरान एनआईए को पता चला कि डीएसपी देविंद्र सिंह सोशल मीडिया के सुरक्षित माध्यम से पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारियों के संपर्क में रहता था।
अदालत में आरोप पत्र दाखिल-
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आतंकवादी गतिविधियों में शामिल डीएसपी देविंद्र सिंह समेत 6 अभियुक्तों के खिलाफ अदालत में दाखिल आरोप पत्र में यह खुलासा किया है।
गद्दार डीएसपी आतंकवादियों का मददगार- 
कश्मीर पुलिस ने इस साल 11 जनवरी को  काजीगुंड थाना इलाके में एक सूचना के आधार पर डीएसपी देविंद्र सिंह की कार को रोका। कार में डीएसपी देविंद्र सिंह के साथ हिजबुल मुजाहिदीन का जिला कमांडर  आतंकवादी सैयद नवीद मुश्ताक उर्फ़ नवीद बाबू, रफ़ी अहमद राठेर और इरफान शफी मीर उर्फ़ वकील सवार थे। इनके पास से एक ए के 47 रायफल, तीन पिस्तौल और विस्फोटक सामग्री बरामद हुई।
रक्षक बना भक्षक-
डीएसपी देविंद्र सिंह अपनी कार में इन आतंकवादियों को श्रीनगर से जम्मू में सुरक्षित ठिकाने पर छोड़ने जा रहा था। कश्मीर पुलिस ने इन चारों को गिरफ्तार किया। इस मामले की जांच 17 जनवरी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दी गई।
धन, हथियार,शरण देने वाले-
एनआईए ने इन सबसे पूछताछ के बाद इस मामले में सैयद इरफान अहमद, तारिक अहमद मीर और तनवीर अहमद वानी को गिरफ्तार किया। इन तीनों को आतंकवादियों को धन, हथियार मुहैया कराने,शरण देने और आतंकवादियों की साज़िश में मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। सैयद इरफान अहमद आतंकवादी नवीद बाबू का छोटा भाई है।
तनवीर अहमद  एलओसी यानी नियंत्रण रेखा इलाके के व्यापारियों की एसोसिएशन का पूर्व अध्यक्ष हैं। तनवीर व्यापारियों से धन जुटा कर आतंकवादियों को देता था।
 आईएसआई और आतंकियों से मिला- 
एनआईए ने तफ्तीश में पाया कि इरफान शफी उर्फ़ वकील पाकिस्तान में हिजबुल मुजाहिदीन के डिप्टी चीफ सईद सलाउद्दीन, आमिर खान, आपरेशनल प्रमुख खुर्शीद आलम,वित्तीय प्रमुख नज़र महमूद के अलावा पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के उमर चीमा, अहसान चौधरी, सोहेल अब्बास आदि से मिला था।
इन लोगों ने इरफान शफी को हवाला के माध्यम से आतंकवादियों को धन पहुंचाने का काम सौंपा था।
पाकिस्तान उच्चायोग ने धन दिया-
 एनआईए ने तफ्तीश में पाया कि इरफान शफी नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के कुछ अधिकारियों के संपर्क में था। इन अधिकारियों द्वारा कश्मीर में भारत विरोधी गतिविधियों के लिए इरफ़ान को धन दिया जाता था। इस धन का इस्तेमाल भारत विरोधी सेमिनार कराने और लोगों को संगठित करने के लिए किया जाता था।
यह भी पता चला कि कश्मीरियों को पाकिस्तान जाने के लिए वीज़ा दिलाने में भी वह मदद करता था।
कश्मीर पुलिस का सिपाही आतंकवादी –
हिजबुल मुजाहिदीन का गांदरबल और शोंपिया जिले का कमांडर नवीद मुश्ताक कश्मीर पुलिस का भगोड़ा सिपाही है। वह हथियार लेकर भागा था। कश्मीर में ट्रक चालकों और मजदूरों की हत्या समेत हत्या की अनेक वारदात में नवीद मुश्ताक शामिल है।
कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद नवीद मुश्ताक भोले भाले कश्मीरी मुस्लिम युवाओं को बरगला कर हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल करने की कोशिश कर रहा था।
नवीद को आतंकवादी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के  व्यापारियों से भी तनवीर अहमद के माध्यम से धन मिलता था।
सीमा पार के हथियार तस्करों और डीएसपी देविंद्र सिंह की मदद से वह हथियार और गोला बारूद जुटाता था।
आतंकवादियों के लिए ठिकाने का इंतजाम-
जांच में पता चला कि डीएसपी देविंद्र सिंह ने फरवरी 2019 में भी आतंकवादियों के छिपने के लिए जम्मू में  सुरक्षित ठिकाने का इंतजाम किया था। आतंकवादियों को अपनी कार में जम्मू ले कर गया।
तारिक अहमद मीर और अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच  जारी है।
दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान-
 निलंबित डीएसपी देविंद्र सिंह को पिछले महीने एक अन्य मामले में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट से जमानत मिल गई थी । तय समय पर दिल्ली पुलिस द्वारा अदालत में आरोप पत्र  दाखिल नहीं करने के कारण जमानत मिल गई।
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने दिल्ली  को दहलाने की साजिश के मामले में देविंद्र सिंह को गिरफ्तार किया था। इसी मामले में जमानत मिली, लेकिन फिलहाल आरोपी देविंद्र सिंह अभी जेल में ही है क्योकि एनआईए के केस में भी वह आरोपी हैं।

डीएसपी पहले भी विवादों में-

श्रीनगर एयरपोर्ट पर एंटी हाइजैकिंग टीम में तैनात डीएसपी देविंद्र सिंह साल 2013 में उस समय चर्चा में आया था जब संसद हमले में शामिल अफज़ल गुरु ने एक चिट्ठी लिखी थी जिसमें दावा किया गया था डीएसपी देविंद्र सिंह ने उसे संसद हमले में शामिल एक आतंकवादी को दिल्ली साथ ले जाने और उसके रहने की व्यवस्था करने को कहा था।

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