अहमदाबाद: कांग्रेस ने गुजरात में तीन दशक तक केएचएएम की रणनीति पर चलने के बाद अब अपने फोकस में एक बदलाव किया है और पार्टी ने पटेल समुदाय को आकर्षित करने की योजना बनाई है।
रणनीति में बदलाव के तहत पार्टी ने पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) के नेता हार्दिक पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है।
हार्दिक पटेल ने रविवार की अपनी नियुक्ति के लिए पार्टी को धन्यवाद दिया और कहा कि उन्हें एक साधारण पृष्ठभूमि का होने के बावजूद यह जिम्मेदारी दी गई है।
पटेल ने कहा, “गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में मुझे एक चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि पार्टी साधारण पृष्ठभूमि के लोगों को बढ़ावा देती है।”
पटेल ने ट्वीट किया, “मैं सोनिया गांधीजी और राहुल गांधीजी तथा कांग्रेस के प्रति अपना आभार प्रकट करता हूं। लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए लड़ूंगा। गुजरात से संबंधित सभी मुद्दों को प्राथमिकता दी जाएगी और 2022 में कांग्रेस दो-तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में आएगी।”
पटेल समुदाय की तरफ इस रणनीतिक झुकाव की वजह तत्कालीन मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी द्वारा अपनाए गए केएचएएम (क्षत्रीय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम रुख) समीकरण के अपेक्षित राजनीतिक परिणाम देने में विफल रहना हो सकता है। पार्टी सत्ता में वापसी इसलिए नहीं कर सकी, क्योंकि लगभग 12-14 प्रतिशत वोट हिस्सेदारी वाला पटेल समुदाय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर चला गया।
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पूरे उत्साह और तीन युवाओं -हार्दिक पटेल, अल्पेश ठकोर और जिग्नेश मेवानी- की मदद से मैदान में उतरी थी। ठकोर बाद में भाजपा में शामिल हो गए, लेकिन उपचुनाव में हार गए।
भाजपा ने यद्यपि एक गैर पटेल नेता, विजय रूपाणी को मुख्यमंत्री बनाया है, लेकिन पटेलों के आरक्षण के लिए पीएएएस आंदोलन कांग्रेस के लिए बहुत वोट नहीं जुटा सका।
सदन में कांग्रेस की सदस्य संख्या तो बढ़ी, लेकिन विरोध प्रदर्शन का केंद्र रहे सूरत में भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की।
रणनीति में बदलाव कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को परेशान करने वाला भी हो सकता है, जिनमें भरूच के अहमद पटेल, आनंद के भरत सिंह सोलंकी और पोरबंदर से अर्जुन मोडवाडिया शामिल हैं।
इन सभी को साथ लेकर काम करना हार्दिक पटेल के लिए एक चुनौतीभरा कार्य होगा।
–आईएएनएस
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