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NIA

गुजरात में मिली 3 हजार किलो हेरोइन मामले की जांच NIA ने शुरु की

इंद्र वशिष्ठ 
गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर जब्त की गई तीन हजार किलो हेरोइन मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी( एनआईए ) ने शुरु कर दी है।
 गृह मंत्रालय के आदेश पर एनआईए ने मचावरम सुधाकरन, दुर्गा पीवी गोविंदराजू, राजकुमार पी और अन्य अभियुक्तों के खिलाफ आपराधिक साजिश, एनडीपीएस अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
राजस्व गुप्तचर निदेशालय( डीआरआई) ने 13 सितंबर को गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर 2988.21 किलो हेरोइन पकड़ी थी।
टैलकम पाउडर के नाम पर यह हेरोइन अफगानिस्तान से ईरान के बंदर अब्बास बंदरगाह के रास्ते भारत भेजी गई थी।
एक कंटेनर से 1999.57 किलोग्राम और दूसरे कंटेनर से 988.64 किलोग्राम हीरोइन पकड़ी गई।
पति पत्नी गिरफ्तार-
इस खेप का आयात आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में पंजीकृत आशी ट्रेडिंग कंपनी ने किया था और दस्तावेजों में इसे सेमी-प्रॉसेस्ड टैल्क स्टोन बताया था। कंपनी को कथित रूप से एम. सुधाकर और उनकी पत्नी  दुर्गा पूर्णा वैशाली चलाते हैं। डीआरआई ने 17 सितंबर को दोनों को चेन्नई से गिरफ्तार  किया था। इसमें कंधार के हसन हुसैन लिमिटेड का नाम सामने आया है, जिसने निर्यात किया था।
21 हजार करोड़ रुपए है कीमत-
भारत में एक बार में जब्त की गई हेरोइन की यह सबसे बड़ी खेप है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करीब 21,000 करोड़ रुपए है। इस हेरोइन की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रति किलोग्राम 5 से 7 करोड़ रुपए है।
अडाणी –
मुंद्रा बंदरगाह का संचालन अडाणी समूह करता है. इस मामले के बाद अडाणी समूह ने कहा था कि डीआरआई समेत केवल सरकारी प्राधिकारों को गैरकानूनी कार्गो को खोलने, जांच करने और जब्त करने की अनुमति है और बंदरगाह संचालकों को नहीं।
इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू से जांच कर रहा है।
नशा लघु उद्योग-
अफगानिस्तान में नशे का कारोबार लघु उद्योग के रूप में है। अफीम से हेरोइन बनाने की फैक्ट्री को नशे के सौदागर और आतंकी सरगना चलाते हैं।
अफगानिस्तान दुनियाभर में हेरोइन की 80 फीसदी सप्लाई करता है।  अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने पर ड्रग्स की तस्करी का खतरा और भी बढ़ गया है। गुजरात के कच्छ जिले में मुंद्रा बंदरगाह से 3,000 किलोग्राम हेरोइन पकड़े जाने से इस खतरे का पता चलता  है।
नशे का रास्ता-
हेरोइन को ईरान, पाकिस्तान से तुर्की होते हुए यूरोप भेजा जाता है। ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्व एशिया के लिए भारत से, यूरोप और उत्तरी अफ्रीका के लिए पाकिस्तान के रास्ते भेजा जाता है।
नशा तस्करों का डर-
अफगानिस्तान में तालिबान के सरकार बनाने के बाद नशा तस्कर( ड्रग माफिया) को डर है कि तालिबान के आतंकी अफगानिस्तान में तैयार हेरोइन को जब्त न कर लें।
जांच एजेंसियों को शक है कि तस्कर ईरान के रास्ते नशीली चीजें भेजने के लिए समुद्री रूट का इस्तेमाल कर सकते हैं। वे जल्द से जल्द अफगानिस्तान से हेरोइन भारत या किसी दूसरे देशों में भेज देना चाहते हैं और इसीलिए वे नए-नए तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल, मादक पदार्थ का कारोबार करने वाले माफिया पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। अब उन्हें डर है कि तालिबान ने पकड़ा तो उनकी जान भी जा सकती है। भारत की तरफ ड्रग्स सप्लाई बढ़ने की यह एक बड़ी वजह मानी जा रही है।

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