नई दिल्ली | कोरोनावायरस जैसी महामारी से निपटने के लिए बने पीएम केयर्स फंड के गठन की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली और कोविड-19 के लिए घर घर जाकर आम जन का परीक्षण करने संबंधी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति एन. वी. रमना, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने याचिका पर असंतोष व्यक्त किया और अधिवक्ता शाश्वत आनंद से याचिका वापस लेने को कहा। अदालत ने कहा कि अगर याचिका वापस नहीं ली गई तो अदालत उस पर जुर्माना लगाएगी।
न्यायमूर्ति रमना ने कहा, याचिका में राजनीतिक रंग है। या तो आप याचिका वापस ले लीजिए या आप पर हम भारी जुर्माना लगाएंगे।
याचिकाकर्ताओं ने देश में कोरोनावायरस के प्रकोप से लड़ने के लिए केंद्र द्वारा लागू की गई रणनीति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए अदालत का रुख किया था। याचिका में दलील दी गई थी कि भारत परीक्षण में पिछड़ रहा है। याचिका में सात अप्रैल, 2020 को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की स्टेटस रिपोर्ट का हवाला दिया गया। याचिकाकर्ता ने कहा कि पूरे देश में प्रति 10 लाख लोगों पर केवल 82 परीक्षण ही हो पा रहे हैं।
याचिका में सुझाव दिया गया कि वायरस के सामुदायिक स्तर पर फैलने पर अंकुश लगाने के बजाय वायरस के प्रबंधन और उपचार पर जोर दिया जाना चाहिए और इसके लिए पहला कदम सामूहिक परीक्षण ही होगा।
हालांकि अदालत ने इस याचिका से राजनीतिक बू आने की बात कहते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया।
–आईएएनएस
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