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जहां देवी को भोग लगते हैं समोसा, कचौरी और भजिया

 

दतिया| आमतौर पर मंदिरों, देवालयों में मिठाई का प्रसाद चढ़ाया जाता है, मगर मध्यप्रदेश के दतिया में एक देवी का ऐसा मंदिर है, जहां नमकीन अर्थात कचौरी, समोसे और भजिया का प्रसाद चढ़ाया जाता है। 

दतिया की पीतांबरा पीठ दर्शन करने देशभर के लोग पहुंचते हैं, यहीं पर है धूमावती माता का मंदिर। यह ऐसा मंदिर है, जिसके दर्शन सुहागिनों के लिए प्रतिबंधित हैं, कहा जाता है कि धूमावती विधवाओं की देवी हैं। खास बात यह कि इस पीठ के ट्रस्ट की प्रमुख राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया हैं।

मान्यता है कि यह तांत्रिक देवी हैं और सम्मोहन, उच्चाटन (दूरी बढ़ाना) और विजय-पराजय को पाने के लिए श्रद्धालु यहां आकर विशेष अनुष्ठान कराते हैं। लगातार पांच शनिवार यहां दर्शन करने का विशेष महत्व है और ऐसा करने पर मनोकामना पूरी होने की बात कही जाती है। 

इलाहाबाद के वीरेंद्र यादव बताते हैं कि यह ऐसी पीठ है, जहां तमाम राजनेता से लेकर अधिकारी तक अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए विशेष अनुष्ठान कराते हैं। उनका तो दावा है कि जब भारत-चीन का 1962 में युद्ध चल रहा था, तब मंदिर के स्वामी महाराज ने राष्ट्र रक्षा अनुष्ठान करने का निर्णय लिया। इसके चलते माता धूमावती स्वयं भारत की सेना के पक्ष में खड़ी हो गईं और युद्ध में भारत की विजय हुई। आज भी वह यज्ञशाला है, जहां राष्ट्र रक्षा अनुष्ठान हुआ था।

मंदिर और देवी के भक्त संजय सिंह बताते हैं कि पीतांबर पीठ की पूरे देश में ख्याति है, यहां इंदिरा गांधी, पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, वर्तमान राष्टपति रामनाथ कोविंद जैसी विभूतियां दर्शन करने को आ चुकी हैं। 

यहां शनिवार को धूमावती माता के दर्शनों का विशेष महत्व है, वैसे तो नियमित रूप से सुबह आठ से सवा आठ के मध्य मंदिर खुलता है, मगर शनिवार को सुबह साढ़े सात से नौ और शाम को साढ़े पांच से साढ़े आठ बजे के बीच खुला रहता है। इस दिन यहां भारी भीड़ रहती है।

धूमावती माता की प्रतिमा मनमोहक न होकर भय पैदा करने वाली है। प्रतिमा श्याम वर्ण है, सफेद साड़ी और उनका वाहन कौवा है। बाल पूरी तरह खुले हुए हैं। वे तामसी स्वभाव की मानी गई हैं, इसीलिए उन्हें तामसी प्रसाद अर्थात नमकीन, समोसा, कचौरी, भजिया आदि प्रसाद में चढ़ाए जाते हैं। 

इस पीठ के तांत्रिक होने का अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि यहां नवरात्र के समय तमाम बड़े राजनेताओं का न केवल दर्शन करने आना होता है, बल्कि वे अपनी सफलता और विरोधी को कमजोर करने के लिए विशेष अनुष्ठान भी कराते हैं। कई नेता और अफसर तो ऐसे हैं, जो नवरात्र के पूरे नौ दिन यहां रहकर पूजा-अर्चना करते हैं। 

–आईएएनएस

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