✅ Janmat Samachar.com© provides latest news from India and the world. Get latest headlines from Viral,Entertainment, Khaas khabar, Fact Check, Entertainment.

जाधव को सजा—ए—मौत क्यों?

 

डॉ. वेदप्रताप वैदिक,

पाकिस्तान की फौजी अदालत ने यदि कुलभूषण जाधव को फांसी पर लटका दिया तो भारत-पाक संबंधों को इतना गहरा झटका लगेगा कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की यह शेष अवधि बांझ साबित हो जाएगी। भारत की जनता नरेंद्र मोदी को किसी भी हालत में पाकिस्तान से संबंध सामान्य नहीं करने देगी।

अभी तो भारत सरकार ने इतनी ही प्रतिक्रिया की है कि वह जिन 11 पाकिस्तानी कैदियों को रिहा करनेवाली थी, उन्हें अभी छोड़ा नहीं है और पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित को बुलाकर हमारे विदेश सचिव जयशंकर ने अपनी नाराज़गी जाहिर की है।

यदि जाधव को पाकिस्तान की फौजी अदालत ने अपील का मौका दे दिया तो यह अनुमान लगाया जा सकता है कि दोनों सरकारें कुछ लेन-देन करके समझौता करना चाहेंगी। जाधव पर आरोप यह है कि वह भारतीय गुप्तचर संस्था ‘राॅ’ का एजेंट है और वह बलूचिस्तान में रहकर न सिर्फ जासूसी कर रहा था बल्कि वहां बगावत भी भड़का रहा था।

पाकिस्तानी फौज का कहना है कि जाधव को बलूचिस्तान के अंदर से पकड़ा गया है लेकिन पाकिस्तान में रहे जर्मन राजदूत मुलेन का कहना है कि तालिबान ने उसे ईरान में पकड़ा और फिर पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी को बेच दिया। वास्तव में जाधव भारतीय नौसेना के सेवा-निवृत्त अफसर हैं और वे ईरान के चाहबहार में बैठकर अपना निजी काम-धंधा चला रहे थे।

लेकिन पाकिस्तानी फौज का कहना है कि जाधव ने खुद कुबूल किया है कि वह ‘राॅ’ का एजेंट है। इसी आधार पर फौज ने उन्हें कोर्ट मार्शल किया और मौत की सजा दे दी।

आश्चर्य की बात है कि जाधव से भारतीय उच्चायुक्त को बिल्कुल भी संपर्क नहीं करने दिया गया। उच्चायुक्त ने 13 चिट्ठियां लिखीं लेकिन पाक-सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। जाधव का मुकदमा बंद कमरे में चला। यह किसी को पता नहीं कि फौज ने उनके खिलाफ कौन-कौन से सबूत जुटाए। जाधव यदि उन पर लगे आरोपों को कुबूल नहीं करते तो हिरासत में ही उन्हें मार डाला जा सकता था।

पाकिस्तान के लगभग विदेश मंत्री सरताज अजीज का सीनेट में बयान है कि जाधव के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिल सके हैं। फिर भी फौजी अदालत ने इतना सख्त फैसला आखिर क्यों किया है? इसका कारण तो यह बताया जा रहा है कि नेपाल से गायब हुए पाकिस्तानी जनरल मु. हबीब जाहिर का बदला जाधव से लिया जा रहा है। यह दोनों देशों के जासूसी संगठनों की मुठभेड़ है। ऐसे में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ क्या कर सकते हैं।

यों भी ‘पनामा पेपर्स’ के भांडाफोड़ के कारण शरीफ की दाल पतली हो रही है। सिर्फ जाधव के बयानों के आधार पर उनको फांसी दी जा रही है, यह अंतरराष्ट्रीय कानून का सरासर उल्लंघन है। खुद पाकिस्तान में इस मुद्दे को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। पीपल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो ने भी जाधव की फांसी का विरोध किया है, क्योंकि वे सिद्धांततः सजा-ए-मौत के विरुद्ध है।

मुझे विश्वास है कि पाकिस्तानी फौज अपने फैसले पर पुनर्विचार जरुर करेगी, क्योंकि इस फैसले से पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि भी मलिन होगी।

About Author