नई दिल्ली, 16 नवंबर । झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू वार्ड में लगी आग के कारण 10 नवजातों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि कई बच्चे घायल हुए हैं। इस घटना के बाद से अस्पताल प्रबंधन पर कई सवाल उठ रहे हैं। आरोप लग रहा है कि आग लगने के दौरान अस्पताल में कई तरह की खामियां नजर आईं। अस्पताल में स्थिति ऐसी थी कि यहां आग को बुझाने के पुख्ता इंतजाम नहीं थे और फायर एक्सटिंग्विशर (आग बुझाने वाला सिलेंडर) भी एक्सपायर हो चुका था। आइये जानते हैं कि चिल्ड्रन वार्ड में अचानक कैसे आग लगी? मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सचिन माहौर की मानें तो एनआईसीयू वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे। शुक्रवार देर रात मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू वार्ड में अचानक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के अंदर आग लग गई। आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो आग लगने की जानकारी मिलते ही इसे बुझाने का तुरंत प्रयास किया गया, मगर एनआईसीयू वार्ड में ऑक्सीजन का लेवल अधिक होने के कारण आग भीषण हो गई। देखते ही देखते इस आग ने पूरे वार्ड को अपनी चपेट में ले लिया।
प्रत्यक्षदर्शियों का आरोप है कि आग लगने के दौरान अस्पताल में लगा सेफ्टी अलार्म भी नहीं बजा था। हालांकि, मौके पर मौजूद लोगों ने कई बच्चों को तो बचा लिया, लेकिन 10 नवजात की जान चली गई। इस हादसे के बाद सरकार ने त्रिस्तरीय जांच का आदेश दिया है। इस मामले की पहली जांच प्रशासनिक स्तर पर होगी जो स्वास्थ्य विभाग करेगा, जबकि दूसरी जांच पुलिस प्रशासन करेगा। इसके साथ ही मामले में मजिस्ट्रियल जांच भी होगी। इतना ही नहीं, झांसी अग्निकांड को लेकर सियासत भी तेज हो गई है। अखिलेश यादव ने कहा है कि आग का कारण ‘ऑक्सीजन कंसंट्रेटर’ में आग लगना बताया जा रहा है। ये सीधे-सीधे चिकत्सकीय प्रबंधन व प्रशासन की लापरवाही का मामला है या फिर खराब क्वॉलिटी के आक्सीजन कंसंट्रेटर का। इस मामले में सभी जिम्मेदार लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई हो। अखिलेश के आरोपों पर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने 2012 से 2017 तक पूरी चिकित्सा व्यवस्था को बर्बाद करने का काम किया था। वो हर क्षेत्र में नाकाम मुख्यमंत्री के रूप में याद किए जाएंगे। ऐसे मामलों में राजनीतिक टिप्पणी करने के लिए उनको शर्मिंदा होना चाहिए।
–आईएएनएस
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