कोरोना के बीच रेगिस्तानी टिड्डियों से भारत- पाक दोहरी मार झेल रहा है। इन टिड्डीयों ने दोनों देशों में फसलों का भारी नुकसान किया है। दरअसल ये टिड्डिया फसलों को करीब 1 घंटे में चट कर जाती है। ऐसे में भारत- पाकिस्तान में इन टिड्डियों से निपटने के लिए 18 जून को पहली बैठक की जा सकती है।दोनों देश इस समस्या से निपटने के लिए जून से नवंबर तक छह द्विपक्षीय बैठकों का आयोजन करेंगे।
तकनीकी स्तर की बैठक
जानकारी के मुताबिक, अब तक टिड्डियों के मुद्दे को हल करने के लिए पाकिस्तान ने अभी तक भारत के अनुरोध पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन तकनीकी स्तर की बैठक के 18 जून को आयोजित होने की संभावना है। दोनों देशों को तकनीकी स्तर की बैठक के लिए मुनाबाओ (भारत की तरफ) या जून-नवंबर के दौरान खोखरोपर (पाकिस्तान की तरफ) में छह बार आपस में मिलने की उम्मीद है। बता दें कि भारत ने बलूचिस्तान और दक्षिण खुरासान प्रांतों में मरुस्थलीय टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिए ईरान को भी कीटनाशक की सप्लाई करने का प्रस्ताव दिया है।
जून-जुलाई में टिड्डी का खतरा ज्यादा
केंद्रीय टिड्डी चेतावनी संगठन के अधिकारियों ने अरब सागर से मानसूनी हवाओं के साथ लाखों टिड्डियों के दल भारत पहुंचकर खरीफ फसलों को नुकसान पहुंचाने की संभावना जताई है। संगठन का कहना है कि ये टिड्डी दल जून के आखिर में या जुलाई की शुरुआत में फसलों पर हमला कर सकते हैं। यूनाइटेड नेशन के खाद्य व कृषि संगठन ने भी अपने ताजा अपडेट में जून के अंत में उत्तरी भारत में टिड्डी दलों के हमले की चेतावनी दी है।
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