ग्रेटर नोएडा: डिजिटल अर्थव्यवस्था की कामयाबी के लिए नई प्रौद्योगिकी को अपनाने की आवश्यकता है। यह बात ग्रेटर नोएडा में चल रही इलेक्रामा-2018 प्रदर्शनी में पहुंचे ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने रविवार को कही। विशेषज्ञों का कहना था कि पावर युटिलिटी के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी नवाचार को बढ़ावा मिल रहा है और इसका ग्राहकों, साझेदारों व कार्यबलों के साथ कार्य व्यापार पर भविष्य में व्यापार पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि नई प्रौद्योगिकी से ऊर्जा सेवा प्रदाताओं की कानूनी व विनियामक बाधाएं दूर होंगी और संचालत लागत में कमी आएगी।
इलेक्रामा के साथ यहां चल रहे तीन दिवसीय वर्ल्ड युटिलिटी समिट-2018 के दूसरे संस्करण के उद्घाटन पर करीब 300 प्रतिनिधिमंडल पहुंचे थे। समिट के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता महाराष्ट्र सरकार के प्रधान सचिव (ऊर्जा) अरविंद सिंह ने की। कार्यक्रम में भारतीय इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माता संघ (आईईईएमए) के प्रेसिडेंट गोपाल काबरा, इलेक्रामा-2018 के चेयरमैन विजय कारिया, वर्ल्ड युटिलिटी समिट-2018 के संयोजक विक्रम गनदोत्रा और अमेरिका स्थित आईईईई पावर एंड एनर्जी सोसायटी के प्रेसिडेंट सैफुर रहमान मौजूद थे।
भारतीय बिजली एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माता एसोएिसशन (आईईईएमए) की ओर से ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में आयोजित इलेक्रामा-2018 की पांच दिवसीय प्रदर्शनी का उद्घाटन शनिवार को उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने किया।
इलेक्रामा के इस 13वें संस्करण में बिलजी से परिचालित वाहनों, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, स्टोरेज सॉल्यूशन और अक्षय ऊर्जा की जरूरतों को विशेष रूप से दर्शाया गया है। इस प्रदर्शनी में 1,200 कंपनियां अपने उत्पाद लेकर आई हैं। आयोजकों के मुताबिक इस प्रदर्शनी में 120 देशों के लोग पहुंच रहे हैं।
आईईईएमए के अध्यक्ष गोपाल काबरा ने बताया कि आईईईएमए एक ऐसे संगठन के रूप में विकसित हो चुका है जिसके 800 से अधिक सदस्य हैं, जिनका संयुक्त कारोबार 42 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है। उन्होंने कहा कि बिजली उपकरण उद्योग को 2022 तक 35 अरब डॉलर मूल्य का सामान निर्यात करने की उम्मीद है।
–आईएएनएस
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