नई दिल्ली:आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ( डीटीए ) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर पी.सी. जोशी व डीन ऑफ़ कॉलेजिज डॉ. बलराम पाणी को शिक्षकों की नियुक्ति व पदोन्नति का कार्य सुचारू रूप से किए जाने पर उनकी पूरी टीम को बधाई दी है और कहा है कि उनके नेतृत्व में पिछले आठ महीने से चल रही पदोन्नति की प्रक्रिया से विभागों व कॉलेजों के शिक्षकों में खुशी का माहौल है । साथ ही जो लोग प्रमोशन को रुकवाना चाहते है उनकी कड़े शब्दों में निंदा करते हुए आपत्ति जताई है ।
डीटीए प्रभारी डॉ. हंसराज ‘ सुमन ‘ ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में पिछले 15 वर्षों से शिक्षकों की पदोन्नति रुकी हुई थी जैसे ही प्रोफेसर जोशी ने कार्यवाहक कुलपति का कार्यभार संभाला उन्होंने यूजीसी रेगुलेशन–2018 को लागू कर पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू की ।उन्होंने बताया है कि पिछले आठ महीने में विभागों के 542 शिक्षकों की पदोन्नति हुई तो वहीं डीयू से सम्बद्ध 68 कॉलेजों में विभिन्न विभागों और विषयों में जून 2021 तक 4 ,569 शिक्षकों की पदोन्नति की गई । उनका कहना है कि हर रोज एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर आदि पदों पर पदोन्नति जारी है लेकिन कुछ लोगों द्वारा डीयू कॉलेजों में बनाए जा रहे प्रोफेसर की पदोन्नति को रोकने में लगे हुए है । उनका कहना है कि जब से कॉलेजों में प्रोफेसरशिप आई है तभी से कुछ लोग इस प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न कर रोकने के प्रयास कर रहे है ।
डॉ. सुमन ने प्रोफेसर पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया को रोकने वाले उन लोगों की कड़ी आलोचना की है जो नहीं चाहते कि कॉलेजों में प्रोफेसर बने । उनका कहना है कि जब कॉलेजों में शिक्षक प्रोफेसर बनेंगे तो उन कॉलेजों में स्नातकोत्तर विषयों में अध्ययन/ अध्यापन के साथ-साथ शोध के क्षेत्र में प्रगति होगी और कॉलेजों में भी शिक्षकों द्वारा शोधार्थियों को एमफिल /पीएचडी कराएंगे जिससे शिक्षा में गुणात्मक सुधार होगा , शिक्षा का स्तर बढ़ेगा और कॉलेजों में शिक्षकों के पदों पर बढ़ोतरी होगी । इसके अलावा कॉलेजों को पूर्ण स्वायत्तता मिलेगी । उन्होंने बताया है कि वे डीयू की अपॉइंटमेंट्स व प्रमोशन कमेटी के सदस्य रहे हैं । कमेटी में ही उन्होंने यूजीसी के नियमों को लिया है और लागू कर पदोन्नति की जा रही है कुछ लोग जो कॉलेजों में प्रोफेसरशिप के आने से चिंतित है वही उसे रुकवाने का प्रयास कर रहे है उनकी शिक्षक विरोधी मंशा है ।
डॉ. सुमन ने कुलपति को लिखे पत्र में बताया है कि विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में प्रोफेसर से सीनियर प्रोफेसर के पदों पर हो रही पदोन्नति की प्रक्रिया को डीटीए आपके संज्ञान में लाना चाहता है । यूजीसी रेगुलेशन—2018 के अनुसार विभागों में कार्यरत प्रोफेसर पद से सीनियर प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत होने के लिए 10 वर्षों के अकादमिक अनुभव की आवश्यकता होती है लेकिन देखने में आया है कि कुछ विभागों में उन्हीं प्रोफेसर को सीनियर प्रोफेसर बनाया जा रहा है जो सेवानिवृत्त होने वाले हैं । जबकि नियमतः 10 वर्ष पूर्ण किए सभी प्रोफेसर को सीनियर प्रोफेसर बनाया जाना चाहिए।
डॉ. सुमन ने पत्र में लिखा है कि सीनियर प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति के लिए आमंत्रित आवेदन को प्रस्तुत किए 7 माह बीत चुके हैं परन्तु विश्वविद्यालय द्वारा इस संदर्भ में अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है । सूत्रों से पता चला है कि विश्वविद्यालय उन लोगों को प्राथमिकता से सीनियर प्रोफेसर बनाना चाहता है जो सेवानिवृत्त होने वाले हैं । यदि ऐसा है तो जो लोग 10 वर्ष से अधिक समय से प्रोफेसर के पद पर हैं उनके साथ यह अन्याय होगा । डीटीए ने कुलपति से मांग की है कि— वे शिक्षक जो प्रोफेसर के पद पर 10 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं उन सभी को सीनियर प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत कर दिया जाना चाहिए। जिन प्रोफेसर की उम्र 60 या उससे अधिक है ऐसे प्रोफेसर को एक साल के अंदर पदोन्नत कर देना चाहिए । उसी क्रम में जो 61 साल के होंगे उन्हें भी पदोन्नति के लिए पंक्तिबद्ध किया जाए। ऐसा करना न्यायोचित होगा, इससे पदोन्नति की प्रक्रिया को सहज रूप से संचालित भी किया जा सकता है। विश्वविद्यालय को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सीनियर प्रोफेसर पद के लिए एससी/एसटी ( SC /ST ) प्रोफेसर को भी वरीयता क्रम से पदोन्नति मिले।
डॉ. सुमन ने कुलपति व डीन ऑफ कॉलेजिज को लिखे पत्र में कहा है कि यदि विश्वविद्यालय सामान्य वर्गों के लिए 63 वर्ष आयु तय करता है तो एससी/एसटी के लिए 61 वर्ष आयु रखकर पदोन्नति में उनका भी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय को पदोन्नति की प्रक्रिया में अकादमिक सेवा शर्तों पर ध्यान देना चाहिए न कि प्रोफेसर की सेवानिवृत्त के आयु क्रम को देखना चाहिए । वे प्रोफेसर जो 10 वर्षों से शिक्षण कार्य में संलग्न हैं, जो महत्वपूर्ण शोधकार्य करा रहे हैं, जिनकी प्रकाशित पुस्तकें विशेष चर्चा में रही हैं, जो विभिन्न विश्वविद्यालयों में सेमिनार में आमंत्रित किए जाते हैं, जिन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त है, उन्हें पदोन्नति में विशेष प्राथमिकता दी जानी चाहिए । जो प्रोफेसर यूजीसी रेगुलेशन—2018 की योग्यता पूर्ण करते हैं उन्हें पदोन्नति से रोका नहीं जाना चाहिए।
उनका कहना है कि डीटीए के ज्ञापन व मांग पत्र पर विश्वविद्यालय प्रशासन अवश्य ध्यान देगा और जिन प्रोफेसरों ने 10 वर्ष पूरे कर लिए हैं व यूजीसी रेगुलेशन—2018 की सभी शर्तो को पूरा करते हैं उन्हें प्राथमिकता के आधार पर जल्द से जल्द पदोन्नति दी जाएगी ।
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