नई दिल्ली, 14 फरवरी। दिल्ली विश्व विद्यालय के हिन्दू अध्ययन केन्द्र में बसन्त पंचमी के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कत्थक-नृत्यांगना पद्म श्री नलिनी एवं कमीलिनी कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहीं। उनके साथ हिन्दू अध्ययन केन्द्र के निदेशक प्रो. ओमनाथ बिमली , सह निदेशक प्रो. प्रेरणा मल्होत्रा, प्रो. पंकज मिश्र , डॉ. आदित्य गुप्ता , डॉ. धनंजय कुमार आचार्य, डॉ. स्मिता अग्रवाल एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता, पद्मश्री नलिनी ने इस संसार रूपी रंगमंच में अपने किरदारों और कर्तव्यों का सुचारू रूप से निर्वहन करने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने अपने जीवन से जुड़ी हुई कई घटनाओं का भी उल्लेख किया जहां उन्होंने भारत का नेतृत्व कर देश के नाम को उजागर किया था। उन्होंने जीवन में गुरु की महत्ता को दर्शाते हुए बताया कि किस प्रकार से किसी व्यक्ति के जीवन में एक अच्छा गुरु जीवन की दिशा बदलकर नए आयामों की ओर ले जा सकता है। कार्यक्रम के आरंभ में केंद्र की सह निदेशक प्रो. प्रेरणा मल्होत्रा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम निदेशक प्रो. ओम नाथ बिमली ने भी स्वागत उद्बोधन देकर सभी को भारतीय ज्ञान पद्धति में सरस्वती तत्व को उजागर करते हुए ज्ञान एवं शिक्षा के विभिन्न आयामों से परिचित कराया।
मुख्य वक्ता के भाषण के उपरांत छात्रा तान्या ने मां के ऊपर रचित कविता सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में भारत की एकता एवं अखंडता का परिचय देते हुए छात्रों ने क्षेत्रीय नृत्य प्रस्तुत किए। छात्र जयंत के द्वारा भारतीय सभ्यता में विद्या और ज्ञान में निहित सत्य और सत्य से शिव की परिकल्पना को पूरा करते हुए शिव तांडव की प्रस्तुति दी गई। इसके बाद बिहार की गरिमा की प्रस्तुति लोकगीत के माध्यम से बच्चों ने की , जिसके बोल थे ‘बताई दै बबुआ लोगवा देत काहे गारी’।
अंत में प्रो. प्रेरणा मल्होत्रा ने सभी के सहयोग हेतु सभी आयोजकों तथा उपस्थित अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम संचालक लावण्या एवं हिमांशु द्वारा सभी को धन्यवाद ज्ञापन किया गया और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
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