नई दिल्ली| आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन डीटीए का नाम बदलकर राष्ट्रीय स्तर पर ‘एएडीटीए’ कर दिया गया है। डीटीए ने पिछली बार दिल्ली विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल के चुनाव में दो उम्मीदवार डॉ. आशा रानी व डॉ. सुनील कुमार को जिताया था। वहीं एएडीटीए ने इस बार पांच उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं एकेडमिक काउंसिल में डॉ. सीमा दास को उम्मीदवार बनाया है। एएडीटीए दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध विभिन्न कॉलेजों में पढ़ा रहे 5000 एडहॉक शिक्षकों के स्थायीकरण की मांग का समर्थन किया है। शिक्षक संगठन का कहना है कि इस पर केंद्र सरकार से तुरंत अध्यादेश लाने की मांग की जाएगी।
इसके अलावा एडहॉक शिक्षकों को भी स्थायी शिक्षकों की तरह चिकित्सा सुविधाओं का लाभ, एडहॉक महिला शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश, एडहॉक टीचर्स की स्थायी नियुक्ति के समय पूरी सर्विस काउंट करने की मांग भी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से की गई है। इसके साथ ही शिक्षकों का कहना है कि कॉलेजों में शिक्षकों के लिए आवासीय फ्लैट्स बनाए जाने चाहिए। दिव्यांग शिक्षकों का रीडर अलाउंस बढ़ाने की आवश्यकता है। सभी एसोसिएट प्रोफेसर को तीन साल बाद एमपीएस के माध्यम से प्रोफेसर बनाने की मान भी शिक्षकों ने केंद्र सरकार के समक्ष रखी है।
शिक्षकों का कहना है कि ओबीसी कोटे की सेकेंड ट्रांच के पदों का रोस्टर व जल्द नियुक्ति करने, कोरोना के दौरान हुई शिक्षकों की मृत्यु के परिवार के सदस्यों को रोजगार देने, बिना पीएचडी के प्रोफेसर बनाने व प्रिंसिपल व प्रोफेसर पदों पर आरक्षण के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनाया जाएगा। उनका कहना है कि केंद्र सरकार जब भी समायोजन पर कोई नीति लेकर आए तो उसमें आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का भी ध्यान रखा जाए, ताकि लंबे समय से एससी, एसटी, ओबीसी व विक्लांग शिक्षकों के पदों को केंद्र सरकार की आरक्षण नीति के तहत नहीं भरा गया है।
फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि कुछ एडहॉक शिक्षकों व स्थायी शिक्षकों ने उनसे सवाल पूछा कि क्या दिल्ली विश्वविद्यालय समायोजन करते समय आरक्षण नीति का पालन करेगा। एडहॉक शिक्षकों का डिस्प्लेसमेंट किया जा रहा है और शिक्षकों के संगठन चुप है। इस पर डॉ. सुमन का कहना है कि जब भी दिल्ली विश्वविद्यालय एडहॉक शिक्षकों का समायोजन करेगा तो केंद्र सरकार की आरक्षण नीति का सही ढंग से पालन कराया जाएगा।
–आईएएनएस
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