नई दिल्ली| शिक्षा मंत्रालय व यूजीसी के निर्देशों का पालन करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध विभागों व कॉलेजों में शिक्षकों की स्थायी नियुक्तियों की प्रक्रिया चल रही है। विभिन्न कॉलेजों में सहायक प्रोफेसरों की यह नियुक्ति प्रक्रिया पिछले कई महीनों से चल रही है। मगर ऐसे में कुछ विभागों में यूजीसी रेगुलेशन 2018 के नियमों के तहत योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों को उस पद के योग्य नहीं स्वीकार किया जा रहा है बल्कि उन्हें नॉट फाउंड सूटेबल (एनएफएस) कर दिया गया। फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्तियों में नॉट फाउंड सूटेबल किए जाने की शिकायत कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह व कुलसचिव डॉ. विकास गुप्ता से की है। यह मांग की गई है कि उन विभागों के प्रति उचित कार्यवाही करते हुए अब अन्य विभागों में नॉट फाउंड सूटेबल न किया जाए।
फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि इन पदों को भरने से पहले स्क्रीनिंग व स्क्रूटनी की प्रक्रिया को अपनाया था, जो अभ्यर्थी यूजीसी नियमानुसार पूर्ण योग्यता रखते थे उन्हें ही साक्षात्कार में बुलाया गया। चयन समिति में सभी वर्गों के विषय विशेषज्ञों के अलावा एससी, एसटी, ओबीसी कोटे के ऑब्जर्वर को शामिल किया गया था बावजूद इसके आरक्षित श्रेणी के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टरडीज (एफएमएस), राजनीति विज्ञान विभाग, वाणिज्य विभागों में इन अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया।
उन्होंने यह भी बताया है कि बहुत से विभाग एससी, एसटी, ओबीसी कोटे के उम्मीदवारों की मेरिट वेटिंग लिस्ट भी नहीं बनाते। कुछ शिक्षकों के छोड़कर जाने के बाद उस मेरिट लिस्ट से पदों को भर लिया जाता है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा।
जारी किए गए पदों के अनुसार फैकेल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टरडीज (एफएमएस) में सहायक प्रोफेसर के 29 पद विज्ञापित किए गए जिसमें 6 पदों पर नॉट फाउंड सूटेबल किया गया। इनमें ओबीसी 4, एससी 1, एसटी 1 है। इसी तरह से पिछले दिनों राजनीति विज्ञान विभाग में भी ओबीसी 2 पदों पर नॉट फाउंड सूटेबल कर दिया गया। वाणिज्य विभाग में भी ईडब्ल्यूएस कोटे के 2 उम्मीदवारों को भी नॉट फाउंड सूटेबल किया गया।
हंसराज कॉलेज के हिन्दी विभाग में भी 1 उम्मीदवार को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया। हालांकि कॉलेज द्वारा इसे फिर से विज्ञापित किया गया है। डॉ. सुमन का कहना है कि अभी 20 फीसदी भी नियुक्ति नहीं हुई है और यदि इसी तरह से आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराया जाता रहेगा तो दूसरे विभाग व कॉलेज भी इस नीति को अपना लेंगे इसलिए इसे रोका जाना बहुत जरूरी है।
कुलपति को लिखे पत्र में कहा गया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन यह पता लगाए कि विज्ञापित पदों पर हो रही स्थायी नियुक्तियों में आरक्षित श्रेणियों पर ही अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल क्यों किया जा रहा है। अभ्यर्थियों द्वारा इन पदों पर आवेदन करने के पश्चात विश्वविद्यालय प्रशासन ने इनके आवेदन पत्रों की जांच करने के बाद स्क्रीनिंग व स्कूटनी की उसके पश्चात ही योग्य अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में बुलाया गया है।
–आईएएनएस
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