मुंबई| मुंबई की एक विशेष एनडीपीएस कोर्ट ने शुक्रवार को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा दायर ड्रग्स मामले में गिरफ्तार अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती, उनके भाई शोविक और चार अन्य की जमानत याचिका खारिज कर दी। यह जानकारी एडवोकेट सतीश मानशिंदे ने दी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सभी छह आरोपियों को जमानत दिलाने के लिए वह अगले सप्ताह बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
मानशिंदे ने मीडिया से कहा, “एक बार हमें एनडीपीएस विशेष कोर्ट के आदेश की एक प्रति मिल जाए, तो हम बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख करने के बारे में अगले सप्ताह फैसला करेंगे।”
आगे राहत मिलने तक रिया (28) भायकुला जेल में ही रहेंगी। उन्हें 8 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था और 22 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।
अन्य आरोपी व दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का हाउस मैनेजर मिरांडा, अभिनेता का घरेलू सहायक सावंत और दो ड्रग पेडलर भी न्यायिक हिरासत में हैं।
जमानत याचिका में मानशिंदे ने जोर देकर कहा कि यह बताने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं है कि रिया किसी भी तरह से ड्रग या साइकोट्रोपिक पदार्थों के संबंध में अवैध ड्रग ट्रैफिक के वित्तपोषण या अपराधियों को शरण देने से जुड़ी थी।
उन्होंने विशेष न्यायाधीश जी.बी. गुराओ को बताया कि ड्रग की मात्रा और कथित तौर पर अभिनेत्री द्वारा खरीदे गए ड्रग पदार्थों की मात्रा पर एनसीबी चुप है।
मानशिंदे ने कहा, “रिया के खिलाफ मामला यह है कि उन्होंने अपने प्रेमी (सुशांत) के लिए ड्रग्स की डिलीवरी में योगदान दिया और कभी-कभी इसके लिए भुगतान भी किया .. ये आरोप एक ऐसे अपराध के लिए है, जिसमें जमानत मिलती है।”
रिया ने अपनी जमानत याचिका में आरोप लगाया है कि उन्हें इस सप्ताह तीन दिनों के लिए एनसीबी द्वारा पूछताछ के दौरान ‘खुद को दोषी मानने’ के लिए ‘मजबूर’ किया गया और हालांकि वह इस बात पर डटी रहीं कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है और उन्हें गलत तरीके से फंसाया जा रहा है।
इसके साथ ही अभिनेत्री ने अपनी गिरफ्तारी को ‘बिना किसी औचित्य के, मनमाने ढंग से उनकी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने वाला’ करार दिया, साथ ही कहा कि उन्हें मौत और दुष्कर्म की धमकियों का सामना करना पड़ रहा है और 6, 7 और 8 सितंबर को हुई उनसे पूछताछ के दौरान कोई महिला अधिकारी मौजूद नहीं थी।
हालांकि याचिका का विरोध करते हुए विशेष लोक अभियोजक अतुल सर्पांडे ने तर्क दिया कि वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं या अपने पैसे की शक्ति के साथ सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं और उन्हें जमानत पर बाहर नहीं जाने देना चाहिए।
बचाव पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए, विशेष न्यायाधीश गुराओ ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी और सभी आरोपियों को तब तक हिरासत में रहने का आदेश दिया, जब तक कि बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा कोई राहत नहीं दी जाती।
–आईएएनएस
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