नई दिल्ली| दिल्ली सरकार के ड्रग कंट्रोलर ने गुरुवार को हाईकोर्ट को सूचित किया कि गौतम गंभीर के फाउंडेशन को कोविड-19 रोगियों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली फैबीफ्लू दवा के गैर-अधिकृत स्टॉकिंग, खरीद और वितरण का दोषी पाया गया है। ड्रग कंट्रोलर ने दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया कि गंभीर के फाउंडेशन, ड्रग डीलरों के साथ-साथ ऐसे अन्य मामलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी जो उसके संज्ञान में लाए गए थे।
ड्रग कंट्रोलर ने अदालत को यह भी बताया कि विधायक प्रवीण कुमार को भी ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत इसी तरह के अपराधों का दोषी पाया गया है।
कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर से इन मामलों में हुई प्रगति पर छह सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट देने को कहा। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 29 जुलाई को तय की है।
देश की राजधानी दिल्ली से भाजपा सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर द्वारा दवा बांटने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। इससे पहले 31 मई को मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने ड्रग कंटोलर को कड़ी फटकार लगाई थी।
न्यायाधीश विपिन सांघी और जसमीत सिंह की पीठ ने यह फटकार गौतम गंभीर को क्लीन चिट देने को लेकर लगाई थी। अदालत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि आप यदि जांच नहीं कर सकते हैं तो बताएं, कोर्ट आपको हटाकर जांच की जिम्मेदारी किसी और को दे देगा।
ड्रग कंट्रोलर द्वारा दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि ड्रग कंट्रोलर पर से उसका भरोसा डगमगा गया है।
अदालत ने कहा कि यह सर्वविदित है कि आवश्यक कोविड दवा की आपूर्ति कम है। जबकि इस दौरान गंभीर ने दवा की कई स्ट्रिप्स खरीदीं और अन्य, जिन्हें इसकी आवश्यकता थी, वे इसे प्राप्त नहीं कर सके।
पीठ ने कहा, आपका (ड्रग कंट्रोलर) यह कहना गलत है कि इसकी आपूर्ति में कमी नहीं थी। आप चाहते हैं कि हम अपनी आंखें बंद कर लें। आपको लगता है कि आप इससे बच जाएंगे।
हाईकोर्ट ने गंभीर के हालिया बयान की आलोचना करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी, जिसमें कहा गया था कि वह इस तरह का काम करना जारी रखेंगे।
अदालत ने आप विधायक प्रीति तोमर और प्रवीण कुमार पर मेडिकल ऑक्सीजन की जमाखोरी के आरोपों के संबंध में भी रिपोर्ट की जांच की।
तोमर के खिलाफ आरोपों के संबंध में रिपोर्ट को अदालत ने स्वीकार कर लिया, हालांकि, इसने गंभीर और कुमार के संबंध में रिपोटरें को खारिज कर दिया। कोर्ट ने दिल्ली सरकार के ड्रग कंट्रोलर को बेहतर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए तीन दिन का समय दिया है।
अदालत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि राजनेता भारी मात्रा में कोविड-19 की जरूरी दवाओं की खरीद करने और इसे वितरित करने में सक्षम हैं, जबकि महामारी की दूसरी लहर के बीच मरीज इन्हें पाने के लिए एक से दूसरे स्थान पर भटक रहे हैं।
–आईएएनएस
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