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Bengaluru: People queue up in front of an ATM kiosks in Bengaluru on Nov. 11, 2016. ATMs were reopened after two days and started disbursing new series of Rs 500 and Rs 2,000 currency notes. (Photo: IANS)

‘तीन साल में किसी काम के नहीं रह जाएंगे एटीएम’

 

विकास दत्ता 

जयपुर। शीर्ष सरकारी अधिकारियों का मानना है कि देश जल्द ही मुख्यत: एक नकदीरहित अर्थव्यवस्था में बदल जाएगा और स्थिति ऐसी आएगी जिसमें अगले कुछ ही सालों में नकदी देने वाली एटीएम जैसी मशीन किसी काम की नहीं रह जाएगी। अधिकारियों में यह भरोसा देश में मोबाइल फोन के जरिए अब हो रहे बहुत अधिक लेनदेन की वजह से जगा है।

 

लेकिन, ऐसे जानकार भी कम नहीं हैं जिन्हें इस भरोसे पर भरोसा नहीं है। उनका कहना कि इतने कम समय में ऐसा होना मुमकिन नहीं है क्योंकि इसके लिए आधारभूत ढांचा अभी कहां है?

 

तस्वीर के ये दोनों पहलू जयपुर में चल रहे साहित्य महोत्सव में ‘ब्रेव न्यू वर्ल्ड : द वर्चुअल इकोनॉमी एंड बिआंड’ शीर्षक से हुई चर्चा में शनिवार को उभरकर सामने आए।

 

नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने चर्चा में कहा कि डिटिडल अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से बढ़ने के लिए नोटबंदी जरूरी थी।

 

उन्होंने कहा, “हम एक बड़े उथल-पुथल के बीच में हैं। अभी 85 फीसदी लेनदेन नकद में हो रहा है। इससे कालेधन के लिए अधिक अवसर पैदा हो रहे हैं। लेकिन, हमने मोबाइल फोन की दुनिया में असाधारण वृद्धि देखी है। मतलब यह कि नकदीरहित अर्थव्यवस्था के लिए आधारभूत ढांचा मौजूद है।”

 

कांत ने कहा कि अगले तीन साल में देश में एटीएम किसी काम के नहीं रह जाएंगे, यह अपनी प्रासंगिकता खो देंगे।

 

हाल में सूचना एवं प्रौद्योगिकी सचिव नियुक्त हुईं अरुणा सुंदरराजन ने केन्या का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि केन्या में अपेक्षाकृत कम बैंक हैं और प्रौद्योगिकी भी ऐसी कोई विशेष उन्नत नहीं है, लेकिन फिर भी वहां 50-60 फीसदी वित्तीय लेनदेन फोन पर हो रहा है।

 

उन्होंने कहा, “एक बार जब चार बड़ी संचार कंपनियां डिजिटल बैंकिंग की तरफ पूरी तरह खिंच आएंगी, और यह अगले साल होगा, तब नकदीरहित अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिलेगी।”

 

चर्चा में शामिल अन्य लोगों ने इन तमाम बातों को सवालों के कठघरे में खड़ा किया। वे नकदीरहित अर्थव्यवस्था की तरफ इतनी तेजी से बढ़ने को लेकर कम आश्वस्त दिखे।

 

लेखक मिहिर शर्मा ने कहा, “सही है कि मोबाइल फोन का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ा है, लेकिन इसकी वजह लैंडलाइन का काम नहीं करना है। सरकार ने इससे गलत सबक सीखा है। सरकार ने कभी लोगों को मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के लिए बाध्य नहीं किया। उसने लोगों को चुनाव करने दिया। यह सहज तरीके से हुआ, सरकार ने इसके लिए धक्का नहीं मारा। यह होता है तकनीकी रूप से छलांग लगाने का तरीका।”

 

बैंकर और एंबिट होल्डिंग्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अशोक वाधवा ने कहा कि निश्चित ही डिजिटल अर्थव्यवस्था को ही अपनाया जाना है, लेकिन इसमें समय लगेगा। उन्होंने कहा कि भारत में चीजें इतनी तेज गति से नहीं होतीं। देश को नकदीरहित अर्थव्यवस्था बनने में समय लगेगा।

(आईएएनएस)

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