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राजन भगत

दारोगा से डीसीपी तक : पूर्व आईपीएस राजन भगत दिल्ली पुलिस के पहले(1st) सलाहकार नियुक्त

नई दिल्ली 

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‘पुलिस सलाहकार’ का नाम दिल्ली पुलिस के पन्नों में जुड़ गया।

मंगलवार यानि 12 मई 2020 को दिल्ली पुलिस के पन्नों में पहले ‘पुलिस सलाहकार’ राजन भगत का नाम जुड़ गया। आजादी के बाद से अब तक दिल्ली पुलिस के इतिहास में यह पहला मौका है जब हुकूमत ने, महकमे में किसी को ‘पुलिस-सलाहकार’ नियुक्त किया हो। अस्थाई रुप से ही क्यों न सही, मगर अब से पहले इस पद का सृजन नहीं हुआ था। फिलहाल इस पद का कार्यकाल दो साल निर्धारित हुआ है। इस आशय के आदेश मंगलवार को जारी किये गये हैं।

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दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच डीसीपी के पद से सेवा-निवृत्त हुए हैं।

दिल्ली पुलिस के पहले सलाहकार के पद पर अग्मूटी काडर 2008 बैच के अनुभवी आईपीएस अधिकारी राजन भगत को नियुक्त किया गया है। राजन भगत 31 अप्रैल 2020 को हाल ही में दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच डीसीपी (क्राइम रिकॉर्ड ऑफिस सीआरओ) के पद से सेवा-निवृत्त हुए हैं। दिल्ली के उप-राज्यपाल अनिल बैजल की संस्तुति के बाद इस आशय के आदेश जारी कर दिये गये।

दिल्ली सरकार के गृह विभाग द्वारा जारी इस आदेश के मुताबिक, राजन भगत दिल्ली पुलिस कंसल्टेंट के पद पर दो साल तक बने रहेंगे। अंदाजतन इतना या इसके आसपास का ही सेवाकाल मौजूदा पुलिस आयुक्त सच्चिदानंद श्रीवास्तव का बताया जाता है।

सब-इंस्पेक्टर (कम्प्यूटर) के पद पर नियुक्त हुए।

सन 1982-83 में राजन भगत दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर (कम्प्यूटर) के पद पर नियुक्त हुए। उस जमाने में दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर (कम्प्यूटर) का पद विशेष तौर पर सृजित किया गया था। महकमे में यह विशेष पद सृजित होते ही उस पर, पहली नियुक्ति तब के दारोगा और आज के पूर्व आईपीएस/रिटायर्ड डीसीपी राजन भगत को तैनात किया गया था। उस जमाने में राजन भगत के पिता महेंद्र नाथ दिल्ली पुलिस (गोपनीय शाखा) में तैनात थे। दिल्ली पुलिस महकमे में यह वही महत्वपूर्ण शाखा है जहां, एसएचओ इंस्पेक्टर और अफसरों की तैनाती (ट्रांसफर/पोस्टिंग) संबंधी तमाम संवेदनशील क्रिया-कलापों को सर-ए-अंजाम चढ़ाया जाता है। 1990 के दशक के शुरूआत में महेंद्र नाथ, सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) पद से रिटायर हो गये।

मुख्यालय सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली पुलिस महकमे में राजन भगत ऐसे पहले और इकलौते अफसर हैं जिन्हें, कम्प्यूटर शाखा के लिए नियुक्त किया गया था। इसके बावजूद तत्कालीन पुलिस आयुक्त राधेश्याम गुप्ता ने राजन को, उत्तरी दिल्ली के सिविल लाइंस सब डिवीजन (कम्प्यूटर जैसी तकनीकी शाखा से सिविल पुलिस में) का सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) नियुक्त कर दिया।

दिल्ली पुलिस प्रवक्ता बना दिया।

इसके बाद सितंबर 2006 में जब दिल्ली पुलिस प्रवक्ता पद से रवि पंवार रिटायर हुए तो, तत्कालीन पुलिस आयुक्त डॉ. के.के. पॉल ने राजन भगत को कम्प्यूटर अनुभाग/शाखा प्रमुख के साथ, दिल्ली पुलिस प्रवक्ता भी बना दिया। हालांकि जब जेसिका लाल हत्याकांड में सुर्खियों में रह चुके, वरिष्ठ आईपीएस युद्धवीर सिंह डडवाल पुलिस कमिश्नर बने तो उनकी कमिश्नरी में राजन भगत, प्रवक्ता पद पर ज्यादा वक्त तक नहीं रह सके।

दिल्ली पुलिस प्रवक्ता की कहानी/इतिहास भी, राजन भगत को महकमे का पहला सलाहकार नियुक्त किये जाने से कम रोचक नहीं है। ‘दारोगा-कंप्यूटर’ के पद पर भर्ती होने वाले राजन भगत अगर महकमे के सलाहकार बनाये गये तो, दिल्ली पुलिस में आईपीएस से लेकर भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी तक इस पद पर नियुक्त होते रहे हैं।

वरिष्ठ अधिकारी डी.एल. बापना दिल्ली पुलिस प्रवक्ता होते थे।

दिल्ली पुलिस प्रवक्ताओं के अतीत के मुताबिक, सन 1971 से पहले (1967-68 के दौर में) मध्य प्रदेश सूचना विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डी.एल. बापना दिल्ली पुलिस प्रवक्ता होते थे। बापना के हटने के बाद सन 1971 में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी गौतम कौल को दिल्ली पुलिस प्रवक्ता बनाया गया। गौतम कौल सिर्फ एक वर्ष ही इस पद पर रहे। फिर सन 1971 से 1976 तक आर.डी. सक्सेना दिल्ली पुलिस प्रवक्ता रहे। सन 1976 से से 1983 तक ए.एन. शर्मा दिल्ली पुलिस प्रवक्ता रहे। ए.एन. शर्मा और आर.डी. सक्सेना दोनो ही भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी थे।

दिल्ली पुलिस के 50 साल के इतिहास में सबसे ज्यादा वक्त प्रवक्ता पद पर रवि पंवार रहे। रवि पंवार भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी थे। जानकारी के मुताबिक, रवि पंवार ने अगस्त 1983 के आसपास दिल्ली पुलिस प्रवक्ता का पदभार संभाला था। उसके बाद वे सितंबर 2006 में वे इस पद से रिटायर हुए। रवि पंवार रक्षा मंत्रालय के जनसंपर्क निदेशालय से दिल्ली पुलिस में प्रवक्ता बनाये गये थे।

–आईएएनएस

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