नई दिल्ली| चीन के साथ चल रही तनातनी के बीच एक तरफ भारत सरकार चीन को आर्थिक मोर्चे पर सबक सिखाने की बात कह रही है, वहीं दूसरी ओर देश के नागरिक भी एक सुर में कहने लगे हैं कि वे चीन के माल का बहिष्कार करेंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि दिल्ली के करोलबाग स्थित गफ्फार मार्केट का अब क्या होगा, जो चीन में बने मोबाइल फोन और एक्सेसरीज का हब है। इस मार्केट में पावरबैंक, ईयरफोन, हेडफोन, मेमोरी कार्ड, पेन ड्राइव, मोबाइल चार्जर, डाटा केबल, बैटरी और अन्य चाइनीज एक्सेसरीज आसानी से मिल जाती हैं। दुकानदारों का कहना है कि यहां 80 से 95 फीसदी सामान चीन में बने हुए हैं। चीन में बने ज्यादातर फोन सस्ते होने की वजह से काफी लोग यहां खरीदारी करने आते हैं।
म्युनिसिपल मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट हनी हांडा ने ने कहा, “किसी भी कंपनी के प्रोडक्ट को आप बैन करेंगे तो उसको फाइनेंशियली नुकसान तो होगा। आज भी हम चाइना के ऊपर डिपेंडेंट हैं। मोबाइल फोन की बात करें तो हमारे यहां प्रोडक्शन नहीं है। इंडिया में मोबाइल की असेम्बलिंग होती है, लेकिन उसका मटेरियल चीन से ही आता है। तो उतना आसान नहीं है, इसके लिए हमें पहले तैयार होना पड़ेगा।”
करोलबाग के गफ्फार मार्केट में मोबाइल फोन और एक्सेसरीज की करीब 300 से 400 रिटेल दुकानें हैं और इस मार्केट के बाहर करोलबाग इलाके में ही मोबाइल फोन और एक्सेसरीज की करीब 2500 से 3000 दुकानें हैं।
गफ्फार मार्केट में मोबाइल फोन बेचने वाले गुरदीप सिंह ने कहा, “इस मार्केट में ज्यादातर चाइनीज प्रोडक्ट ही बिकते हैं। अगर इस पर प्रतिबंध लगता है तो तकरीबन ढाई लाख रुपये का कारोबार करने वला यह मार्केट शून्य हो जाएगा, फिर हम क्या राजमा-चावल बेचेंगे?”
उन्होंने कहा, “गफ्फार मार्केट में 2 गज की दुकान का किराया 60,000 रुपये है। हर दुकान में कम से कम 4 लड़के काम करते हैं, और ये 90 फीसदी चाइनीज माल बेचते हैं। चाइनीज प्रोडक्ट बैन होने ेका इस मार्केट पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा।”
म्युनिसिपल मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के एक एसोसिएट मेंबर ने कहा, “गवर्नमेंट को पहले पॉलिसी में बदलाव करना होगा। उसके बाद लोग खुद चाइनीज प्रोडक्ट नहीं खरीदेंगे। चाइनीज फोन के मुकाबले इंडियन फोन महंगे होते हैं। चाइनीज फोन और इंडियन फोन में मार्जिन थोड़ा-बहुत ऊपर-नीचे होता है।”
उन्होंने कहा कि गफ्फार मार्केट और इसके आस-पास की दुकानों में 75 से 95 फीसदी चाइनीज फोन और एक्सेसरीज उपलब्ध हैं।
दिल्ली मोबाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन के एसोसिएट मेंबर सनी ने कहा, “पहला कदम, चाइनीज सॉफ्टवेयर को अनइंस्टॉल करना होगा। दूसरा कदम, सरकार देश में फैक्ट्रियां लगाने में सपोर्ट करे। इसमें समय जरूर लगेगा। जब प्रोडक्ट यहां बनने लगे, तब चाइनीज प्रोडक्ट को बैन कर दे।”
उन्होंने कहा, “फोन के बैक कवर्स और चार्जर यहां बनते तो हैं, लेकिन रॉ मटेरियल चाइना से आता है। हमारे देश के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि हमारे यहां प्रोडक्शन की कमी है।”
–आईएएनएस
और भी हैं
सीएम आतिशी ने रोहिणी में नये स्कूल का उद्घाटन किया, कहा- ‘हर बच्चे को वर्ल्ड क्लास शिक्षा देना हमारा मकसद’
दिल्ली : आम आदमी पार्टी ने जारी की उम्मीदवारों की पहली सूची
दिल्ली में प्रदूषण से हाल बेहाल, कई इलाकों में एक्यूआई 400 पार