इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस के एक शराबी एसएचओ द्वारा सब-इंस्पेक्टर को गालियां और धमकी देने का मामला सामने आया है। सब-इंस्पेक्टर ने पीसीआर में कॉल कर इस मामले की शिकायत कर दी। सब इंस्पेक्टर ने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अफसरों ने अगर एसएचओ के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो वह आत्महत्या कर लेगा।
एसएचओ ने गालियां दी-
शुक्रवार रात करीब एक बजे सब-इंस्पेक्टर उमेश ने रोहिणी जिले में विजय विहार थाने के एसएचओ सुधीर कुमार की शिकायत पुलिस कंट्रोल रुम में की।
सब इंस्पेक्टर के अनुसार वह इमरजेंसी डयूटी पर कॉल अटेंड कर रहा था। तभी एसएचओ सुधीर कुमार ने उसे बुलाया।
सब- इंस्पेक्टर का आरोप है कि सुधीर कुमार ने शराब पी रखी थी सुधीर कुमार ने उसे बुरी बुरी गालियां दी। उसके भाई को भी गालियां दी। उसे नौकरी से बर्खास्त करवाने की भी धमकी दी। एसएचओ ने कहा, जा जिससे शिकायत करनी है कर ले,मेरा कुछ नहीं बिगड़ सकता।
पीसीआर ने इस मामले की सूचना विजय विहार थाने में रोजनामचे में दर्ज करा दी।
जिसके बाद महकमे में हडकंप मच गया।
एसीपी प्रशांत विहार आरती शर्मा जोकि नाइट जी ओ थी वह थाने गई। उन्हें थाने में एसएचओ नहीं मिला। लेकिन थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों ने एसएचओ सुधीर कुमार के शराब पीने और सब इंस्पेक्टर को गालियां देने की पुष्टि की।
डीसीपी ने बुलाया एसएचओ नहीं आया-
रोहिणी जिला के डीसीपी प्रणव तायल इस संदर्भ में दरियाफ्त करने शनिवार सुबह सबह विजय विहार थाने पहुंच गए।
एसीपी प्रशांत विहार और एसीपी रोहिणी भी वहां मौजूद थे।
एसएचओ सुधीर कुमार थाने में नहीं मिला। एसएचओ सुधीर कुमार को थाने में हाजिर होने के लिए संदेश भेजा गया। लेकिन वह थाने में नहीं आया।
इस पर एसएचओ को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया गया। सुधीर कुमार को जिला पुलिस लाइन में रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया है।
रेड लेबल-
एसएचओ की अलमारी में रेड लेबल शराब की 10 बोतलें मिली।
पता चला है कि पहले भी सुधीर कुमार को उनके व्यवहार को लेकर उन्हें हिदायत दी गई थी।
निरंकुश बेखौफ एसएचओ-
लेकिन इस मामले से अंदाजा लगाया जा सकता है कि एसएचओ कितने निरंकुश और बेखौफ हो गए हैं। डीसीपी थाने मे मौजूद है लेकिन एसएचओ उनके बुलाने पर भी थाने में नहीं आया।
इसका मूल कारण यह है कि पैसे या सिफारिश के दम पर जब तक एसएचओ लगाए जाएंगे तो ऐसा ही होगा।
शराब पीकर अपने मातहत पुलिसकर्मियों को गालियां देने वाला जो एसएचओ अपने डीसीपी के बुलाने पर भी हाजिर नहीं होता ,वह भला आम लोगों के साथ कैसा व्यवहार करता होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता।
ऐसे एसएचओ कानून, पुलिस और जनता के प्रति वफादार नहीं होते। इनकी निष्ठा सिर्फ उस आईपीएस या नेता के प्रति होती हैं जो इन्हें एसएचओ लगवाते हैं।
कमिश्नर बदलते हैं एसएचओ नहीं-
यहीं वजह हैं कि दिल्ली के थानों में ऐसे एसएचओ भी हैं जो दस-पंद्रह साल से एसएचओ के पद पर ही जमे हुए हैं। कमिश्नर आते जाते रहते हैं लेकिन यह एसएचओ जमे रहते हैं। इनके सिर्फ़ थाने बदलते हैं। ।
सिपाही ने पीट पीट कर युवक की हत्या की, एसएचओ ने एफआईआर दर्ज नहीं की-
एसएचओ कितने निरंकुश हो गए हैं इसका ताजा उदाहरण पूर्वी जिले का सनसनीखेज मामला भी है। अजीत 4 जून को लापता हो गया उसके परिजन न्यू अशोक नगर थाने में अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराने गए लेकिन उनकी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की गई। एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें पता चला कि पांडव नगर थाने के सिपाही मोनू सिरोही ने अजीत को पीटा और अपहरण कर लिया।
यह खुलासा होने पर 27 जुलाई को पुलिस ने इस मामले की रिपोर्ट दर्ज की गई। तब यह खुलासा हुआ कि सिपाही मोनू और उसके 3 साथियों ने अजीत को इतनी बुरी तरह पीटा कि उसकी मौत हो गई। अभियुक्तों ने अजीत के शव को गंग नहर में फेंक दिया।
सिपाही मोनू और उसके 3साथियों को गिरफ्तार किया गया।
एफआईआर दर्ज नहीं करनेवाले एसएचओ प्रमोद कुमार को निलंबित किया गया।
कमिश्नर के दावे की धज्जियां उड़ाते हैं।-
कमिश्नर और आईपीएस अफसर दावा करते हैं कि एफआईआर आसानी से दर्ज की जाती है लेकिन इस मामले ने उनके दावे की धज्जियां उड़ा दी।
सच्चाई यह है कि अपराध कम दिखाने के लिए पुलिस द्वारा लूट और स्नैचिंग की ज्यादातर वारदात की भी एफआईआर दर्ज नहीं की जाती या हल्की धारा में दर्ज की जाती है।
थाने में बंधक बना कर वसूली-
पुलिस वाले कितने बेखौफ होकर अपराध तक कर रहे हैं इसका अंदाजा जामिया नगर थाने के मामले से लगाया जा सकता है। इस साल मई में वरुण को हवलदार राकेश कुमार ने अगवा करके थाने में ही बंधक बना कर रख लिया। वरुण को रिहा करने की एवज में परिजनों से तीन लाख रुपए की मांग की गई।
वरुण की बहन की शिकायत पर सनलाइट कालोनी थाना पुलिस ने तफ्तीश की और वरुण को जामिया नगर थाने के अंदर हवलदार के कमरे से मुक्त कराया गया।
इस मामले में हवलदार राकेश, होमगार्ड मुकेश और मुखबिर आमिर को गिरफ्तार किया गया।
हवलदार राकेश को नौकरी से बरखास्त कर दिया गया।
एसएचओ को बचाया-
लेकिन इस मामले में एसएचओ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। थाने मे होने वाली किसी भी गतिविधि के लिए एसएचओ जिम्मेदार होता है।
थाने में किसे लाया गया और किसे अवैध रुप से बिठाया गया इसके लिए जब तक एसएचओ को पूरी तरह जवाबदेह नहीं बनाया जाएगा और उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी ऐसे मामले रुक नहीं सकते।
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