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सभी लोगों को लाॅक डाउन में अनुशासन का सख्ती से पालन करने की जरूरत- अरविंद केजरीवाल

नई दिल्ली:दिल्ली सरकार ने फैसला किया है कि कोरोना के ताजा हालातों के मद्देनजर फिलहाल लाॅक डाउन में दिल्लीवासियों को किसी तरह की ढील नहीं दी जाएगी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार की गाइड लाइंस के मुताबिक 20 अप्रैल से जिन क्षेत्रों में कोरोना का असर कम है या नहीं है, वहां लाॅक डाउन की शर्तों में ढील दी जा सकती है। दिल्ली के सभी 11 जिले हाॅट स्पाॅट घोषित किए गए हैं। देश की कुल 2 प्रतिशत जनसंख्या दिल्ली में रहती है, लेकिन देश में आये कोरोना के कुल मामलों में से 12 प्रतिशत मरीज दिल्ली में मिले है। दिल्ली सरकार ने विशेषज्ञों के साथ हालात की समीक्षा के बाद यह फैसला लिया है कि अभी दिल्ली में लाॅक डाउन में कोई ढील नहीं दी सकती है। एक सप्ताह बाद दोबारा विशेषज्ञों के साथ समीक्षा की जाएगी और उसके बाद जरूरती होने पर कुछ राहत दी जा सकती है। दिल्ली में फिलहाल कोरोना बढ़ रहा है, जो चिंता का विषय है और हमें इसे नियंत्रित करने की जरूरत है। कल 736 लोगों की जांच रिपोर्ट में 186 लोगों में कोरोना मिला है, उनमें कोरोना के लक्षण नहीं दिख रहे थे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली वासियों से एक बार फिर अपील की है कि सभी लोग लाॅक डाउन में अनुशासन का कड़ाई से पालन करें।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डिजिटल प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि कल 20 अप्रैल है। केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार कल से जिन क्षेत्रों में कोरोना का असर कम है या कोरोना नहीं है, वहां लाॅक डाउन की शर्तों में थोड़ी ढील दी जा सकती है। हम सब लोगों को बैठ कर यह सोचना है कि हमें क्या ढील दी जानी चाहिए और अगर ढील दी जानी चाहिए, तो कितनी ढील दी जानी चाहिए? केंद्र सरकार का कहना है, जो-जो हाॅट स्पाॅट और कंटेन्मेंट जोन हैं, उनमें फिलहाल ढील नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि वहां पर स्थितियां खराब है और उसे नियंत्रित करने की जरूरत है। दिल्ली में 11 जिले हैं और सभी जिले हाॅट स्पाॅट घोषित किए गए हैं। लिहाजा, केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के मुताबिक सभी कंटेन्मेंट जोन में ढील नहीं दी जा सकती है। दिल्ली सरकार ने अपने स्तर पर भी इसकी समीक्षा की है।
दिल्ली में कोरोना के केस में वृद्धि हो रही है, जो चिंता का विषय है: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में कई विशेषज्ञों से बात की गई है। उन सभी चर्चाओं के बाद कुछ नतीजे सामने आए हैं। पिछले दिनों से दिल्ली में कोरोना के केसों में बढ़ोत्तरी शुरू हुई है। हमने दिल्ली में पिछले कुछ दिनों मे काफी जांच किए हैं और कोरोना के केस में वृद्धि भी शुरू हुई है। कल (18 अप्रैल) को हमारे पास 736 केसों के टेस्ट की रिपोर्ट आई है। उन 736 टेस्टों में से 186 कोरोना के मरीज निकले हैं। यानि 25 प्रतिशत लोग कोरोना के मरीज निकले हैं, जो काफी ज्यादा हैं। यह सभी 186 मरीज एसिम्टोमैटिक (स्पर्शोन्मुख) हैं। इनमें किसी में भी कोरोना के लक्षण नहीं है। इनमें किसी को बुखार नहीं है, किसी को खांसी व सांस की शिकायत नहीं थी। उनको पता ही नहीं है कि उन्हें कोरोना है और वे इधर-उधर कोरोना लेकर घूम रहे हैं। यह बहुत ही खतरनाक बात है कि कोरोना फैल चुका है और बहुत सारे लोग कोरोना लेकर घूम रहे हैं। यह बीमारी ऐसी है कि कई बार लोगों को पता भी नहीं चलता है कि उन्हें कोरोना हो गया है। कई बार कोरोना के लक्षण सामने नहीं आते हैं और बीमारी हो जाती है। किसी व्यक्ति में रोगों से लड़ने की क्षमता अच्छी है और वह घूमता रहता है। वह पता नहीं कितने लोगों को संक्रमित कर देता है। यह 186 लोग अपनी-अपनी जिंदगी में घूम रहे थे।
फूड सेंटरों में खाना बांटने वालों का होग रैपिड टेस्ट: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि इनमें एक व्यक्ति से जब हमने बात की, तो उसने बताया कि वह दिल्ली सरकार द्वारा संचालित किए जा रहे अलग-अलग फूड सेंटर में जाकर खाना बंटवाने का काम कर रहा था। हम सोच सकते हैं कि वह अब तक कितने लोगों को प्रभावित कर दिया होगा। मैने उन सभी फूड सेंटरों में जांच का आदेश दिया है। मैं आकंलन कर रहा हूं कि सेंटर पर प्रतिदिन लगभग वही लोग आते होंगे, जो रोज खाना खाते हैं। उन सभी की रैपिड टेस्ट कराएंगे। दिल्ली में हमारे जितने भी फूड सेंटर हैं, उन सभी में खाना बांटने वाले सभी वालेंटियर और कर्मचारियों का रैपिड टेस्ट कराएंगे।
जिन कंटेन्मेंट जोन में अनुशासन का पालन नहीं किया गया, वहीं पर आ रहे कोरोना के नए केस:मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इससे यह पता चल रहा है कि दिल्ली के अंदर इस समय कोरोना फैलना शुरू हो गया है। रोज कंटेन्मेंट जोन बढ़ते जा रहे हैं, जहां पर सील किया जाता है। अभी तक दिल्ली में कुल 77 कंटेन्मेंट जोन बन गए हैं। हमने कंटेन्मेंट जोन में रैंडम जांच कराई थी। कहीं से 200, कहीं से 180 सैंपल लेकर जांच कराई गई थी। वहां पर निकल कर आया कि कुछ कंटेन्मेंट जोन, जहां पर लोगों ने बात मानी, लोगों ने अनुशासन का पालन किया और अपने-अपने घरों में रहे, वहां पर एक भी नया केस नहीं आया। वहीं, जहां पर लोगों ने बात नहीं मानी और कंटेन्मेंट जोन घोषित होने के बावजूद अपने घर से बाहर गलियों में निकल आए। हम कंटेन्मेंट जोन के अंदर किसी को नहीं आने देते हैं और बाहर किसी को नहीं जाने देते हैं, लेकिन जोन के अंदर लोग एक-दूसर के घर जाते रहते हैं। उन्हें काफी मनाने की कोशिश की जाती है, उन पर सख्ती करने की कोशिश की जाती है, लेकिन कई लोग नहीं मानते हैं। जैसा कि मैने कल जहांगीरपुरी का उदाहरण दिया। जहंागीपुरी की एक गली में एक ही परिवार के कई सारे लोग रहते हैं। उनमें एक ही परिवार के 26 लोगों में कोरोना पाया गया, क्योंकि वे अनुशासन का पालन ही नहीं किए। कंटेन्मेंट जोन होने के बावजूद वे लोग एक-दूसरे के घरों में जाते रहे। जहां पर भी कंटेन्मेंट जोन में लोगों ने अनुशासन का पालन किया है, वहां पर एक भी नया केस नहीं सामने आया है और जहां लोगों ने बात नहीं मानी है, वहां के कुछ कंटेन्मेंट जोन में कई नए केस निकल कर आए हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि एक बात साफ है कि अब दिल्ली में कोरोना तेजी से फैल रहा है। हालांकि अभी स्थिति नियंत्रण के बाहर नहीं है, स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन यह चिंताजनक है। हमें घबराने की जरूरत नहीं है। हमें अनुशासन में रह कर सबको नियंत्रित करने की जरूरत है।
लाॅक डाउन नहीं होता तो स्थिति भयावह हो जाती:मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में अभी तक कुल 1893 केस हैं। करीब 1900 केस में 26 लोग आईसीयू में हैं और 6 लोग वेंटिलेटर पर हैं। अब तक करीब 43 लोगों की मौत हो चुकी है। आप स्वयं सोचिए कि यदि लाॅक डाउन नहीं होता, तब क्या हालात होती? दूसरे देशों को जो हाल है, भगवान न करें कि वैसा अपने देश में हो। आप मान लीजिए कि 3 हजार या 2.5 हजार लोगों को आईसीयू की जरूरत पड़ जाती, तो हमारे पास इतने आईसीयू और वेंटिलेटर भी नहीं है। इटली, स्पेन और अमेरिका में यही देखने को मिल रहा है कि वहां आईसीयू व वेंटिलेटर कम पड़ गए। अस्पताल की व्यवस्थाएं कम पड़ गईं। लोग सड़कों पर और अस्पताल के बाहर पड़े हुए हैं और उन्हें इलाज नहीं मिल पा रहा है। अगर लाॅक डाउन नहीं होता, तो हमारे यहां भी स्थिति ऐसी हो सकती थी। लाॅक डाउन की वजह से फिलहाल केसेज कम हैं।
कोरोना की सबसे मुश्किल लड़ाई लड़ रही दिल्ली:मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज दिल्ली में पूरे देश की 2 प्रतिशत जनसंख्या रहती है। लेकिन पूरे देश में जितने कोरोना के मामले हैं, उसका 12 प्रति कोरोना के मामले दिल्ली में है। क्योंकि दिल्ली देश की राजधानी है। इसीलिए कोरोना की सबसे मुश्किल लड़ाई इस समय दिल्ली लड़ रही है। पिछले दो-ढाई महीने से जितने लोग विदेशों से आए, वहीं लोग वहां से कोरोना लेकर आए। अपने देश में पहले कोरोना नहीं था। विदेशों से सबसे ज्यादा लोग दिल्ली में आए। क्योंकि दिल्ली देश की राजधानी है और यहां अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट है। इसके अलावा और भी राज्यों में एयरपोर्ट हैं, लेकिन सबसे ज्यादा लोग दिल्ली में आए। उनको हमने क्वारंटीन में रखा, लेकिन शुरूआत में उन्हें क्वारंटीन में नहीं रखा था। बाद में गाइड लाइंस आई थी, तब क्वारंटीन में रखा गया। इसलिए सबसे ज्यादा मार दिल्ली को बर्दाश्त करनी पड़ी। मरकज कांड का भी सबसे अधिक मार दिल्ली को बर्दाश्त करनी पड़ी।
हमें अभी कुछ दिन और धैर्य व संयम बरतने की जरूरत है: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज हमें फैसला लेना है कि 20 अप्रैल से कुछ ढीलाई देनी है या नहीं देनी है। मैं भी ढीलाई देने के पक्ष में हूं, क्योंकि सख्ती बड़ी मुष्किल हो जाती है। कैसे लोगों का गुजारा और रोजी-रोटी चलेगी। कैसे लोगों का घर चलेगा, लोग बहुत मुश्किल में हैं। बच्चों के स्कूल बंद हैं। मैं भी ढीलाई देना चाहता हूं और ढीलाई देना बहुत आसान है। यदि ढीलाई दे दी और स्थिति बहुत खराब हो गई, उसके बाद अस्पताल के आईसीयू, वेंटिलेटर, बेड या आॅक्सीजन कम पड़ गई और पता नहीं कितनी जानें चली गई, तो हम कभी अपने आप को माफ नहीं कर पाएंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए मुझे लगता है कि अभी हमें थोड़ा और संयम बरतने की जरूरत है। हमने अपने दिल्ली वासियों और सबकी सेहत का ख्याल रखते हुए फैसला लिया है कि फिलहाल लाॅक डाउन की शर्तों में कोई ढीलाई नहीं दी जाएगी। एक सप्ताह के बाद फिर से हम सभी विशेषज्ञों के साथ बैठ कर इस पर दोबारा आंकलन करेंगे और जरूरत पड़ी, तो उसके बाद कुछ ढीलाई दे सकते हैं, लेकिन फिलहाल दिल्ली में किसी तरह की कोई ढीलाई नहीं दी जा रही है।

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