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दिल्ली में कोरोना से जीतने वाला पहला व्यक्ति करेगा प्लाज्मा दान

स्फूर्ति मिश्रा 

नई दिल्ली | कोरोना वायरस से निजात पाने वाले दिल्ली के एक व्यवसायी ने अपना प्लाज्मा दान करने का फैसला किया है, ताकि इसका इस्तेमाल कोरोना के अन्य मरीजों के इलाज में हो सके।

यह व्यवसायी राष्ट्रीय राजधानी का पहला ऐसा व्यक्ति है, जिसने घातक कोरोनावायरस को हराने के बाद अपना प्लाज्मा दान करने का फैसला किया है।

दिल्ली के इस 45 वर्षीय व्यवसायी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया कि उन्होंने संबंधित अधिकारियों से कहा था कि वह अपना प्लाज्मा दान करना चाहते हैं, लेकिन कहा गया कि वह फिलहाल ऐसा करने के पात्र नहीं हैं।

व्यवसायी ने कहा, “मैंने इटली जाने से पहले रक्तदान किया था। डॉक्टरों ने कहा है कि मैं तीन महीने के बाद ही रक्तदान कर सकता हूं। जैसे ही सरकार मुझे अनुमति दे देगी, मैं सबसे पहला काम करूंगा प्लाज्मा दान।”

कोरोना को हराने वाले इन व्यवसायी ने बताया कि उन्होंने पीएम केयर फंड में भी दान किया है।

व्यवसायी ने अपना अनुभव साझा करते हुए आईएएनएस को बताया कि उन्होंने दिल्ली में कोरोना का पहले रोगी बनने के बाद इस वायरस को कैसे हराया। उन्होंने कहा, “मैं उन तारीखों को कभी नहीं भूल सकता।”

उन्होंने वियना से होते हुए इटली से दिल्ली तक की अपनी उस व्यापारिक यात्रा को याद किया। व्यवसायी ने कहा, “मैं 25 फरवरी को वियना से होते हुए दिल्ली वापस आया। जब मैं विमान से भारत में उतरा तब ठीक था।”

आईएएनएस द्वारा यह पूछे जाने पर कि विदेश से लौटने के बाद वह एकांतवास में क्यों नहीं गए, व्यवसायी ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि ेउस समय चीन के अलावा इटली या किसी अन्य देश से आने वाले लोगों के लिए कोई एडवाइजरी (सलाह) जारी की गई थी। हवाईअड्डे पर मेरी स्क्रीनिंग नहीं की गई थी। मुझे पता था कि चीन से आने वाले लोगों के लिए एक यात्रा सलाह जारी की गई है, लेकिन यह ऑस्ट्रिया के लिए नहीं थी। जब मैं इटली में था तब वहां कोई मामला नहीं था। मैंने सोचा, काश मैं वहीं पर रहता और भारत वापस नहीं आया होता। मैं जीवन का जोखिम क्यों उठाता? मगर यहां मेरा अपना परिवार है और मैं एक जिम्मेदार व्यक्ति हूं।”

व्यवसायी ने कहा, “जब मैं 25 फरवरी को नौ बजे के आसपास हवाईअड्डे से अपने निवास पर वापस आया तो मुझे बुखार और गले में खराश थी। मुझे लगा कि यह फ्लू है, इसलिए मैं पास के एक डॉक्टर से मिला। उन्होंने मुझे कुछ दवाइयां दीं। 28 फरवरी को मेरे बेटे का 12वां जन्मदिन था। मैं ठीक महसूस कर रहा था, इसलिए हम एक छोटी सी मिलन (गेट-टुगेदर) पार्टी के लिए होटल हयात गए। इसमें कुछ लोग शामिल थे जिसमें मेरी मां, पत्नी और दो बच्चों के साथ ही मेरे दो दोस्त भी साथ थे। जब मैं घर वापस आया तो मैं फिर बुखार की जकड़ में आ चुका था।”

व्यवसायी ने आगे कहा, “अगले दिन 29 फरवरी को मैं और मेरी पत्नी सीधे राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल गए और कोरोनावायरस जांच के लिए अनुरोध किया। उस समय तक इटली भी यात्रा प्रतिबंधों के दायरे में आ गया था और मुझे बुखार के साथ मेरी यात्रा का इतिहास भी था। इसलिए उन्होंने तुरंत अस्पताल में मुझे अलग (आइसोलेट) कर दिया। इसके बाद एक मार्च को मेरी रिपोर्ट में बताया गया कि मैं कोरोना पॉजिटिव हूं। इसके बाद मुझे सफदरजंग अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। मैं बहुत डर गया था, लेकिन मेरे डॉक्टर ने मुझे बताया कि मैं ठीक हो जाऊंगा।”

जब डॉक्टर ने व्यवसायी से उनके संपर्क में आए लोगों के बारे में पूछा तो वह घबरा गए। क्योंकि वह अपनी पत्नी, दो बच्चों और बुजुर्ग मां के साथ रहते थे। उन्होंने अपनी आंखों में उमड़े आंसू को थामते हुए कहा, “मेरे परिवार के सदस्यों को भी जांच के लिए जाना था, लेकिन मेरे संपर्क में आए मेरे परिवार, दोस्तों और कर्मचारियों सहित हर व्यक्ति की रिपोर्ट नेगेटिव आई, जिसके बाद मुझे राहत मिली और तब मैं खुद को कम दोषी महसूस करने लगा।”

शारीरिक पीड़ा के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया, “मैं खांसी और शरीर में दर्द से पीड़ित था। सफदरजंग अस्पताल में मिली सुविधा मेरी उम्मीदों से परे थी। वहां काफी साफ-सफाई थी और डॉक्टर समय पर आ रहे थे। भोजन और अन्य सुविधाएं भी अच्छी थीं। मेरे पास स्वास्थ्य मंत्री की वीडियो कॉल आई। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने मेरे स्वास्थ्य के बारे में पूछा है। यह बात मेरे दिल को छू गई।”

दिल्ली के इस व्यवसायी ने अब पूरी तरह से कोरोना से निजात पा ली है और वह एक सामान्य जीवन जी रहे हैं। उन्होंने लोगों को इन दिनों पर्याप्त सावधानी बरतने और सकारात्मक सोच बनाए रखने का सुझाव दिया है।

–आईएएनएस

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