कोलकाता: पश्चिम बंगाल गुरुवार को दिवाली और काली पूजा के एक ही दिन होने से धार्मिक उत्साह के सरोवर में डूब गया। इस साल एक ही दिन दिवाली और काली पूजा होने के कारण भक्तों को दोहरा जश्न मनाने से रोकने के लिए बारिश का एक हल्का झटका भी विफल रहा।
पिछले कुछ वर्षों में, पश्चिम बंगाल में सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा के बाद उत्सव के माहौल को बनाए रखने के लिए काली पूजा समारोहों की रौनक को बढ़ाया गया है।
शहर भर में नए पंडाल बनाए गए हैं, जबकि कई पूजा समितियों ने दुर्गा पूजा के लिए बने पंडालों को तोड़ने के बजाए इन्हें ही फिर से देवी काली की सेवा में इस्तेमाल कर लिया है।
पूरे राज्य के लोगों ने दोस्तों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के साथ मिठाई और व्यंजनों का आदान-प्रदान किया। राज्य भर में गैर-बंगाली समुदायों (मारवाड़ी, गुजराती, बिहारी) और बंगालियों की एक बड़ी आबादी को एक साथ दिवाली मनाने के लिए मिलते देखा गया।
हजारों लोग सुबह से ही कालीघाट और दक्षिणेश्वर काली मंदिरों में पूजा के लिए पहुंचने लगे।
बीरभूम जिले के रामपुरहाट के पास तारापीठ मंदिर में लंबी कतारें देखी गईं, जहां लाखों लोग देवी की प्रार्थना करने के लिए इकठ्ठा हुए।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने काली पूजा और दिवाली के मौके पर लोगों को शुभकामनाएं दीं।
पूरे राज्य में 3,500 हजार से ज्यादा समितियों द्वारा पूजा की जा रही है जिसके मद्देनजर सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है।
–आईएएनएस
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