नई दिल्ली| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 के तहत ’21वीं सदी में स्कूली शिक्षा’ विषय पर एक कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले तीन दशकों में दुनिया का हर क्षेत्र बदल गया। हर व्यवस्था बदल गई। इन तीन दशकों में हमारे जीवन का शायद ही कोई पक्ष हो जो पहले जैसा हो। लेकिन वो मार्ग, जिस पर चलते हुए समाज भविष्य की तरफ बढ़ता है, हमारी शिक्षा व्यवस्था, वो अब भी पुराने र्ढे पर ही चल रही थी। प्रधानमंत्री ने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए देश भर से कुल 15 लाख से ज्यादा सुझाव आए हैं। उन्होंने कहा, कुछ दिन पहले शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के बारे में देश भर के टीचर्स से ‘माय जीओवी’ पर उनके सुझाव मांगे थे। एक सप्ताह के भीतर ही 15 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं। ये सुझाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति को और ज्यादा प्रभावी तरीके से लागू करने में मदद करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के अभियान में प्रिंसिपल्स और शिक्षकों के पूरे उत्साह से हिस्सा लेने पर खुशी जताई। प्रधानमंत्री ने बच्चों में गणितीय और वैज्ञानिक सोच विकसित करने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा, बच्चों में मैथमेटिकल थिंकिंग और साइंटिफिक टेंपरामेंट विकसित हो, ये बहुत आवश्यक है। और मैथमेटिकल थिंकिंग का मतलब केवल यही नहीं है कि बच्चे मैथमेटिक्स (गणित) के प्रॉब्लम ही सॉल्व करें, बल्कि ये सोचने का एक तरीका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी नए भारत की, नई उम्मीदों की, नई आवश्यकताओं की पूर्ति का माध्यम है। इसके पीछे चार-पांच वर्षों की कड़ी मेहनत है, हर क्षेत्र, हर विधा, हर भाषा के लोगों ने इस पर दिन रात काम किया है। लेकिन ये काम अभी पूरा नहीं हुआ है। अब तो काम की असली शुरूआत हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, अब हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति को उतने ही प्रभावी तरीके से लागू करना है। और ये काम हम सब मिलकर करेंगे।
–आईएएनएस
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