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नए भारत और नए विश्व के निर्माण के लिए नए और बड़े सपने देखें विद्यार्थी: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

नई दिल्लीभारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे नए भारत और नए विश्व के निर्माण के लिए नए और बड़े सपने देखें। राष्ट्रपति दिल्ली विश्वविद्यालय के 99वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रही थी। इस अवसर पर उन्होने डिग्री और मैडल लेने वाले विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सब अपनी शिक्षा और रुझान के अनुसार अपने कैरियर का चुनाव करने जा रहे हैं। लेकिन, यदि आपका सपना अपने कैरियर तक ही सीमित रहेगा तो आप सब अपने साथ और समाज के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे। आपकी सोच का दायरा और जिम्मेवारी कहीं अधिक होनी चाहिए। समारोह का आयोजन शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के खेल परिसर स्थित बहुद्देशीय सभागार में किया गया था, जिसमें मुख्यातिथि राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के साथ सम्मानित अतिथि के रूप में भारत सरकार के शिक्षा एवं कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी उपस्थित रहे। समारोह की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह द्वारा की गई।

Photo: Hamid Ali

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों से कहा कि बेहतर इंसान बनना शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य है। उन्होने कहा कि जीवन में बड़ा बनना अच्छी बात है, लेकिन अच्छा होना इससे भी बड़ी बात है। इसी तरह विज्ञान के माध्यम से मंगल पर जीवन की खोज करना अच्छी बात है, लेकिन अच्छी सोच यानि विवेक के साथ जीवन में मंगल की खोज करना और भी बड़ी बात है। राष्ट्रपति ने कहा कि यह दीक्षांत समारोह सभी शिक्षकों और विद्याथियों के परिजनों के लिए भी खुशी का अवसर है। उन्होने कहा कि यह दीक्षांत समारोह दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष के दौरान आयोजित किया गया है और इस समय देशवासी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और हमारा देश अमृत काल में प्रवेश कर चुका है।

श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली विश्वविद्यालय के गौरवपूर्ण इतिहास की चर्चा करते हुए कहा 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में दिल्ली विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के अनेक विद्यार्थियों ने विद्रोह किया और जेल गए। दिल्ली विश्वविद्यायल के इस क्षेत्र को स्वाधीनता सेनानियों का आशीर्वाद प्राप्त है। उन्होने विद्यार्थियों से आह्वान करते हुए कहा कि भारत माता के उन सपूतों से प्रेरणा लेकर आप सबको नए भारत का निर्माण करना है।

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि हमारा देश नए और गहरे विचारों को अपनाने वाला देश रहा है। हमारे यहाँ वेद और उपनिषद, भगवान महावीर और बुद्ध के विचार आज भी जीवंत हैं। सिलिकन वैली से सिडनी तक पूरे विश्व में कार्यक्षेत्र में भारतीय लोगों ने सम्मानित स्थान बनाया है। भारत वासियों की प्रतिभा विश्व स्तर पर सराही जाती है। उन्होने कहा कि हम सभी भाषाओं और संस्कृतियों का आदर करें, लेकिन अपनी जड़ों से हमेशा जुड़े रहें। जड़ों से ही संजीवनी और सृजनशीलता मिलती है। राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी का सुझाव था कि भारतीय भावभूमि पर पैर जमा कर पूरे विश्व में उपलब्ध उत्कृष्ठ ज्ञान-विज्ञान को अपनाएं। हमारी युवा पीढ़ी को राष्ट्रपिता के इस सुझाव को महत्व देना चाहिए।

 राष्ट्रपति ने इस अवसर पर अपने जीवन के संस्मरण ताजा करते हुए कहा कि मैं उड़ीसा के अपने छोटे से गाँव से शहर जाकर पढ़ने वाली अपने गाँव की पहली लड़की थी। आप में से भी कई ऐसे विद्यार्थी होंगे जिनके परिवार या गाँव से उनसे पहले किसी ने विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा प्राप्त नहीं की होगी। ऐसे विद्यार्थी बहुत प्रतिभावन और संघर्षशील होते हैं। ये बड़े उत्साह के साथ अपने सपनों को पूरा करने के लिए यहाँ आते हैं। कभी-कभी ऐसी परिस्थियाँ पैदा हो जाती हैं जिनके कारण इन विद्यार्थियों में हीं भावना घर कर जाती है। किसी भी संवेदनशील समाज में ऐसा नहीं होना चाहिए। ऐसे विद्यार्थियों को सम्मान और प्रोत्साहन देना सभी अध्यापकों और छात्रों का दायित्व है। अपेक्षाकृत कम सुविधा सम्पन्न परिवारों से आने वाले विद्यार्थियों के प्रति हम सबको अपने आप से कुछ बुनियादी सवाल करने चाहियें। उन्होने कहा कि यह खुशी की बात है कि आज मुझसे पदक प्राप्त करने वाले 6 विद्यार्थियों में से 3 विद्यार्थी दिव्यांग हैं। यह उनके आदम्य साहस और परिश्रम का परिणाम है। राष्ट्रपति ने इन विद्यार्थियों को विशेष तौर पर बधाई दी। उन्होने कहा कि यह इस विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है कि शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए अंडर ग्रेजुएट लेवल पर दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों में 52% संख्या हमारी बेटियों की है। मुझे यह देख कर भी प्रसन्नता हुई है कि आज उपाधि और मैडल पाने वाले विद्यार्थियों में भी लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक है। इस बदलाव में हमें एक नये विकसित और समावेशी भारत की तस्वीर दिखाई देती है।

Photos: Hamid Ali

श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने विद्यार्थियों से कहा कि विकास और सभ्यता की उपभोक्तावादी अवधारणाओं के कारण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन आदि की चुनौतियाँ विकराल रूप ले रही हैं। पिछली पीढ़ियों ने अच्छे कार्य भी किए और उनसे कुछ गलतियाँ भी हुई हैं। मैं चाहती हूँ की आज की युवा पीढ़ी अच्छाइयों को आगे बढ़ाए और गलतियों को सुधारे। इस अवसर पर उन्होने डिग्री और पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उनके स्वर्णिम भविष्य के लिए आशीर्वाद भी दिया।

Photo ” Hamid Ali

कार्यक्रम के अंत में डीन ऑफ एक्जाम प्रो. डीएस रावत द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया गया। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिणी दिल्ली परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह, डीन ऑफ कॉलेजेज़ प्रो. बलराम पाणी, रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता, पीआरओ श्री अनूप लाठर, एसओएल की निदेशक प्रो. पायल मग्गो, डीन ऑफ एक्जाम प्रो. डीएस रावत और डीन स्टूडेंट्स वेल्फेयर प्रो. पंकज अरोड़ा सहित सभी डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अधिकारी और सैंकड़ों विद्यार्थी उपस्थित रहे।

एक क्लिक से 154750 विद्यार्थियों को मिली डिजिटल डिग्री, पीएचडी में फिर बना रिकार्ड

दिल्ली विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने टैब पर क्लिक करके एक साथ 154750 विद्यार्थियों को डिजिटल डिग्री जारी की। उन्होने बताया कि इस वर्ष अंडर ग्रेजुएट/ पोस्ट ग्रेजुएट विद्यार्थियों को कुल 157290 डिग्रियाँ प्रदान की गई हैं जिनमें 54.7% महिला और 45.3% पुरुष विद्यार्थी शामिल हैं। इसके साथ ही 910 विद्यार्थियों को पीएचडी की डिग्री भी प्रदान की गई जिनमें 512 महिला और 398 पुरुष विद्यार्थी हैं। उन्होने कहा कि यहा अच्छी बात है कि हमारी बेटियाँ बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही है। पीएचडी डिग्रियों के आंकड़े को लेकर कुलपति ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय और भारत के इतिहास में यह अब तक की सर्वाधिक संख्या है। उन्होने बताया कि पीछे वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय ने 802 पीएचडी डिग्रियाँ देकर तब भी रिकार्ड बनाया था। समारोह के दौरान कुल 170 विद्यार्थियों को मैडल/ पुरस्कार प्रदान किए गए जिनमें 51 पुरुष और 119 महिला विद्यार्थी शामिल हैं। चिकित्सा क्षेत्र में डीएम/एम.सीएच के 47 विद्यार्थियों को भी इस अवसर पर डिग्री प्रदान की गई।

राष्ट्रपति ने इन विद्यार्थियों पहनाए पदक

दीक्षांत समारोह के दौरान राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने अपने हाथों से 4 विद्यार्थियों को पदक पहनाए। इनमें राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए मेधा चौहान को डॉ. शंकर दयाल शर्मा (भारत के पूर्व राष्ट्रपति)

 समारोह की

शुरुआत में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. योगेश सिंह द्वारा स्वागत भाषण दिया गया। इस दौरान उन्होने महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का परिचय सबके सामने रखते हुए उनकी राजनैतिक जीवन यात्रा का भी विस्तृत उल्लेख किया। इसके साथ ही उन्होने भारत सरकार के शिक्षा एवं कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का भी स्वागत किया। कुलपति ने अपने संबोधन में सभी विद्यार्थियों को भी बधाई एवं शुभकामनाएँ दी। उन्होने एक मई 1922 से तीन महाविद्यालयों के साथ शुरू हुए दिल्ली विश्वविद्यालय की 100 वर्ष की गौरवपूर्ण विकास यात्रा का भी विस्तार से वर्णन किया। कुलपति ने कहा कि यह विश्वविद्यालय 1923 से लगातार अपने दीक्षांत समारोह का आयोजन करता आ रहा है। अक्सर ऐसा नहीं होता है, लेकिन हमने ऐसा किया, यह गर्व की बात है।  प्रो. योगेश सिंह ने बताया कि एनआईआरएफ़ रैंकिंग में 2022 में दिल्ली विश्वविद्यालय का मिरांडा हाउस कॉलेज देश में पहले स्थान पर रहा जबकि हिन्दू कॉलेज दूसरे स्थान पर रहा। लेडी श्रीराम कॉलेज पांचवें स्थान पर और एआरएसडी सातवें व किरोड़ीमल कॉलेज 10वें स्थान पर रहे। उन्होने बताया कि देश के 25 बैस्ट कॉलेजों में से 14 डीयू के कॉलेज हैं। अपने भाषण के अंत में उन्होने डिग्रियाँ लेने वाले विद्याथियों को भावी जीवन के लिए शुभकामनाएँ देते हुए आह्वान किया कि वे राष्ट्र हित के लिए काम करें।

गोल्ड मैडल प्रदान किया गया। एमएससी नर्सिंग के लिए आसवथी एमयू को राष्ट्रपति गोल्ड मैडल प्रदान किया गया। पायल काजला को बीएससी (ऑनर्स) नर्सिंग में राष्ट्रपति सिल्वर मैडल तथा बीएससी (ऑनर्स) नर्सिंग के लिए ही श्रदा विश्वनाथन पुरस्कार प्रदान किया गया। तनिश सोनी को राष्ट्रपति के हाथों आर्ट्स स्ट्रीम में वाइस चांसलर गोल्ड मैडल प्रदान किया गया।

दिल्ली विश्वविद्यालय का कुलगीत भी किया जारी

दीक्षांत समारोह के दौरान कुलपति प्रो. योगेश सिंह द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष में तैयार करवाया गया कुलगीत भी जारी किया गया। इस कुलगीत को विख्यात कवि गजेंद्र सोलंकी द्वारा लिखा और स्वरबद्ध किया गया है। इसके साथ ही कुलपति द्वारा शताब्दी स्मारक लोगो वॉल्यूम भी जारी किया गया। कुलपति प्रो. योगेश सिंह और डीन ऑफ एक्जाम प्रो. डीएस रावत द्वारा मैडल और पुरस्कारों का वितरण किया गया। डॉक्टरोल स्टूडेंट्स को कुलपति द्वारा डिग्रियाँ प्रदान की गई।

 

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