नई दिल्ली| सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कानून मंत्री मलय घटक को राहत दी है और नारद घोटाला मामले में उनके हलफनामे को नहीं लेने के कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तृणमूल सुप्रीमो बनर्जी को नए सिरे से कलकत्ता हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल करने को कहा है।
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के नौ जून के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसने मामले में सीबीआई की ट्रांसफर याचिका पर बनर्जी और घटक के जवाब-शपथ पत्र लेने से इनकार कर दिया था।
न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने उच्च न्यायालय से कहा कि मामले में सीबीआई द्वारा 17 मई को चार टीएमसी नेताओं की गिरफ्तारी के दिन उनकी कथित भूमिका के संबंध में हलफनामा दाखिल करने के संबंध में उनकी याचिका पर फैसला किया जाए।
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय 29 जून को मामले की सुनवाई करने वाला है, इसलिए संबंधित पक्षों को वहां जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय से इस मामले में आगे बढ़ने से पहले बंगाल सरकार, बनर्जी और घटक द्वारा दायर आवेदनों पर पहले फैसला करने को कहा।
सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को सुझाव दिया कि वह याचिकाकतार्ओं को नए सिरे से उच्च न्यायालय जाने के लिए कह सकती है, क्योंकि वहां मामले की सुनवाई चल रही है।
सीबीआई ने दोनों नेताओं पर टीएमसी के चार नेताओं की गिरफ्तारी के बाद उसे कानूनी कर्तव्य निभाने से रोकने का आरोप लगाया था।
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के 9 जून के आदेश पर रोक लगा दी, जहां अदालत ने बनर्जी और घटक द्वारा उनके वकील वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह को सुनने के बाद रिकॉर्ड हलफनामे को लेने से इनकार कर दिया था।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और अनिरुद्ध बोस, जो कि पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं, ने पश्चिम बंगाल से जुड़े मामलों की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।
–आईएएनएस
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