डॉ वी पी सिंह वर्ल्ड हेड एंड नेक कैंसर दे पर बिहार के प्रसिद्ध ऑन्कोलॉजिस्ट एवम सवेरा कैंसर एवम मल्टी हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक ने बताया इससे बचने के उपाय।
वर्ल्ड नेक एन्ड हेड कैंसर डे के अवसर पर विश्व में मुंह एंव गला से जुड़े कैंसर रोग जनित बीमारी, इसके चिकित्सा, अनुसंधान एवं उपचार तकनीक को समर्पित एक दिन। आज समस्त विश्व में तकरीबन 5000 मौत सिर एवम गले जनित कैंसर बीमारियों के कारण होती है।
बिहार के प्रसिद्ध ऑन्कोलॉजिस्ट एवम सवेरा कैंसर एवम मल्टी हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक ने बताया कि मेडिकल विज्ञान और रिसर्च, डायग्नोस्टिक तकनीकी सुलभता ने इस बीमारी के चिकित्सा एवम उपचार को सुलभ बनाया है। भारत में अभी भी इस तरह की बीमारियों के बहुत कम सेंटर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह बताने में गर्व महसुस होता है कि बिहार जैसे सीमित संसाधनों वाले राज्य में भी “सवेरा कैंसर एवम मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल” इस क्षेत्र में लोगों को जागरूक करने एवम अग्रणी विश्व स्तरीय चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने में प्रयासरत है।
बिहार के प्रसिद्ध ऑन्कोलॉजिस्ट एवं-सवेरा कैंसर एवम मल्टी हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक नें बताया कि मष्तिष्क एवम गला सम्बन्धी कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करना भी बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा- “यह बताना चाहूंगा कि इस रोग के प्रारंभिक लक्षणों को कतई नजरअंदाज न करें, इसके लक्षण जैसे निगलने या घुटने में परेशानी, गले या सिर पर सूजन या गांठ, हमेशा सर में दर्द का होना, में तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क आवश्यक है। तम्बाकू या तम्बाकू जनित चीजों का सेवन भी कतई न करें। समाज को मस्तिष्क एवम गले के कैंसर से सम्बंधित कारणों और उससे बचने के हर सम्भव प्रयास भी करना चाहिए।” उन्होंने आगे बताया कि सवेरा कैंसर एवम मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में विभिन्न माध्यमों से बिहार में पूरी लगन और दृढ़ निश्चय के साथ गले एवम मस्तिष्क सम्बन्धी कैंसर को रोकने, इसके प्रति लोगों को जागरूक करो और इसके बेहतर और प्रभावी चिकित्सकीय निदानों पर काम कर रही है। आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आने वाले दिनों में हम इस रोग से लड़ने, इसे यथा सम्भव कम से कम करने और पीड़ित मानवता की सेवा में और भी उल्लेखनीय योगदान दे सकेंगे।
शराब और तंबाकू सेवन मुख्य कारक हैं सिर और गर्दन के कैंसर का : डॉ वी पी सिंह
सवेरा कैंसर एंड मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल के कैंसर सर्जन डॉ वी पी सिंह ने कहा कि हेड एंड नेक कैंसर डे के अवसर पर सिर और गर्दन के कैंसर का मुख्य कारक शराब और तंबाकू सेवन को बताया। डॉ सिंह ने कहा कि निया भर में अकेले सिर्फ भारत में ही लगभग 60 प्रतिशत सिर और गर्दन के कैंसर (हेड एंड नेक कैंसर) के केसेज मौजूद हैं। यदि वर्तमान में यही स्थिति रही, तो भारत में हेड और नेक कैंसर से पीड़ित लोगों की संख्या 2030 तक दोगुनी हो जाएगी।
डॉ सिंह ने कहा कि यह रोग स्मोकलेस तंबाकू गुटका, पान, खैनी, सुरती और सुघनी मंजन के द्वारा उपयोग से होता है। चबाते समय लार का स्राव अधिक होने से बार-बार थूकना पड़ता है। इस तरह थूकने से कोविड-19 वायरस का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। वहीं बीड़ी और सिगरेट के पीने से लंग्स कमजोर होते हैं। यदि ऐसे लोगों के कोरोना से संक्रमित होने पर यह वायरस खतरनाक ढंग से अपना प्रभाव डालता है। उन्होंने कहा कि लगभग 4000 जहरीले तत्व तंबाकू में होते हैं। इसकी वजह से दांतों का सडऩा, मसूड़ों का रोग, मुंह से बदबू आने के साथ दांत बदरंग होते हैं। नियमित सेवन करने से असमय बालों का झडऩा आंखों में कांटेक्ट, हृदय की बीमारी, पेट में गैस्ट्रिक अल्सर, खून की बीमारी, नपुंसकता आदि का भी खतरा बढ़ जाता है।
उन्होंने कहा कि धूम्रपान करने वाली महिलाओं के कम वजन के बच्चे होने की शिकायत होती है। देश में हर साल 80 हजार से एक लाख तक मुख कैंसर के मामले सामने आते हैं। इससे बचने के लिए अपने जीवन से तंबाकू और शराब का त्याग करना होगा। इसके लिए हमें प्रण लेना होगा।
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