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पंजाब के वित्त मंत्री द्वारा पंजाब राज्य सहकारी बैंक के साथ ज़िला सहकारी केंद्रीय बैंकों के विलय के लिए केंद्र से समर्थन की माँग

पंजाब के वित्त मंत्री द्वारा पंजाब राज्य सहकारी बैंक के साथ ज़िला सहकारी केंद्रीय बैंकों के विलय के लिए केंद्र से समर्थन की माँग कहा, विलय से प्रशासनिक ढांचा होगा मज़बूत और कुशल राज्यों के सहकारिता मंत्रियों की कान्फ़्रेंस को संबोधन करते हुये चीमा द्वारा सहकारिता की मज़बूती के लिए उठाए गए अहम मुद्दे

नईं दिल्ली: पंजाब के वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने केंद्र सरकार को ज़िला सहकारी केंद्रीय बैंक ( डी. सी. सी. बीज) के पंजाब राज्य सहकारी बैंक ( पी. एस. सी. बी.) के साथ विलय संबंधी पंजाब के प्रस्ताव की मंजूरी के लिए केंद्रीय रिजर्ब बैंक को मनाने के लिए अपील की है। उन्होंने पी. एस. सी. बी को 2प्रतिशत ब्याज सहायता बहाल करने, नाबार्ड से थोड़े समय के कृषि कर्ज़ों की पुनरवित्ती पर ब्याज की दर घटाने, व्यापारिक बैंकों की तर्ज़ पर सहकारी बैंकों में पूँजी निवेश करने, पूँजी और जोखिम संपत्ति अनुपात ( सी. आर. ए. आर) की शर्त को फिर 7 प्रतिशत करने, दूध और दूध उत्पादों पर जी. ऐस. टी. को घटा कर कम से कम टैक्स स्लैब पर लाने और पंजाब में नये उत्पादों के विकास के लिए विशेषज्ञता के लिये राष्ट्रीय संस्थान स्थापित करने के लिए भी केंद्र सरकार पर ज़ोर डाला।

नईं दिल्ली के विज्ञान भवन में राज्यों के सहकारिता मंत्रियों की राष्ट्रीय कान्फ़्रेंस को संबोधन करते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि 50,362 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वाले पंजाब राज्य के लिए 20 ज़िला सहकारी केंद्रीय बैंकों के ढाचें उपयुक्त नहीं है और इस त्रिस्तरीय ढांचे को इस बैंक के पंजाब राज्य सहकारी बैंक के साथ विलय स्वरूप दो स्तरीय बनाऐ जाने से प्रशासकी सुधार और कुशलता में विस्तार होगा। उन्होंने कहा कि इससे ज़िला सहकारी केंद्रीय बैंकों के पास मौजूद पूँजी को पूँजी और जोखिम संपत्ति अनुपात अनुसार और उचित रूप में इस्तेमाल करके राज्य के अन्य भौगोलिक क्षेत्रों के लोगों की भलाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा।

केंद्र सरकार को पंजाब सरकार के इस प्रस्ताव के लिए केंद्रीय रिज़र्व बैंक को सहमत करने की अपील करते हुये एडवोकेट चीमा ने कहा कि इससे दोनों स्तरों पर स्टैचूटरी लिकविडिटी रेशो (एस.एल.आर) को बनाई रखने और इस भूगोलिक तौर पर छोटे राज्य के लिए अलग 21 सी. बी. एस लायसैंसों की ज़रूरत भी ख़त्म हो जायेगी। उन्होंने कहा कि कि राज्य की तरफ से सभी नियमित ज़रूरतें पूरी करके यह प्रस्ताव पहले ही आर. बी. आई को सौंपा जा चुका है।

पंजाब के वित्त मंत्री ने सहकारी बैंकों को 2प्रतिशत ब्याज सहायता बहाल करने का मुद्दा भी उठाया जोकि भारत सरकार द्वारा 1 अप्रैल, 2022 से बंद कर दी गई थी। इस 1.5 प्रतिशत ब्याज सहायता को बहाल करने के बाद केंद्रीय मंत्रीमंडल की तरफ से लिए गए फ़ैसले का स्वागत करते हुए स. चीमा ने इसको 2प्रतिशत तक बहाल करने की विनती की।

नाबार्ड से थोड़े समय के कृषि कर्जों के पुनरवित्ती पर ब्याज की दर घटाने की माँग उठाते हुए स. चीमा ने कहा कि 2006-07 तक नाबार्ड से थोड़े समय के कृषि कर्जों के पुनर्वित्त पर ब्याज की दर 2.5प्रतिशत थी, जो बीते 15 सालों के दौरान धीरे-धीरे बढ़ा कर 4.5 प्रतिशत कर दी गई। उन्होंने कहा कि किसाना को कर्ज़ दिए जाने की ऊपरी सीमा 7 फीसदी है, जिससे पी. एस. सी. बी, डी. सी. सी. बीज़ और पी. ए. सी. एस ( प्राथमिक कृषि सहकारी सभाओं) के तीनों स्तरों के पास सिर्फ़ 2.5 फीसद का मार्जिन बचता है। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को कम ब्याज दर पर कर्ज़ मुहैया करवाने के लिए स्तरीय ढांचे के कारण नुकसान को घटाना बहुत मुश्किल है।

पंजाब के वित्त मंत्री ने राज्य के साथ-साथ देश में सहकारी ढांचे को मज़बूत करने के लिए व्यापारिक बैंकों की तर्ज़ पर सहकारी बैंकों में पूँजी मुहैया करवाने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि चालू वित्तीय साल के दौरान पंजाब की 11 ज़िला सहकारी केंद्रीय बैंकों में पूँजी और जोखिम संपत्ति अनुपात ( सी. आर. ए. आर) को कायम रखने के लिए 236 करोड़ रुपए की पूँजी सहायता की ज़रूरत है।
सी. आर. ए. आर नियमों को 7 फीसद किये जाने की माँग करते हुये वित्त मंत्री चीमा ने कहा कि सहकारी बैंकों के व्यापारिक माडल अनुसार और कर्जों में शामिल जोखिम स्वरूप सहकारी बैंकों के लिए 9 फीसद सी. आस. ए. आर बहाल रखना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय पंजाब में कम सी. आर. ए. आर के कारण नाबार्ड की तरफ से 7 ज़िला सहकारी केंद्रीय बैंकों के लिए वित्त पर रोक लगा दी गई है और पूँजी निवेश की अनुपस्थिति के कारण चालू वित्तीय साल के अंत तक यह संख्या बढ़कर 11 हो जायेगी हालाँकि इन बैंकों की तरफ से कर्जों की समय पर रिकवरी के लिए सख़्त यत्न किये जा रहे हैं। उन्होंने सी. आर. ए. आर मापदण्डों के सम्बन्ध में सहकारी संस्थाओं को विशेष ढील देने और भारतीय रिज़र्व बैंक की तरफ से इसको मौजूदा 9प्रतिशत के स्तर से 7प्रतिशत करने के लिए केंद्र सरकार को दख़ल देने के लिए अपील की।

सहकारी दूध फेडेरेशन की मज़बूती के लिए सशक्त समर्थन करते हुये एडवोकेट चीमा ने कहा कि दूध और दूध से बने उत्पादों पर दूध और दूध उत्पादों पर जी. एस. टी की दर को कम से कम टैक्स स्लैब तक घटाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस छूट का वित्तीय लाभ उपभोक्ताओं के साथ-साथ दूध उत्पादकों तक भी पहुँचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे ग्रामीण आर्थिकता और डेयरी किसानों की आमदन को बढ़ावा मिलेगा और उपभोक्ता के तौर पर शहरी मध्य वर्ग का बोझ भी घटेगा।

कृषि बुनियादी ढांचा फंड स्कीम शुरू करने के लिए भारत सरकार का धन्यवाद करते हुये पंजाब के वित्त मंत्री ने कहा कि इस स्कीम में फूड प्रोसेसिंग और डेयरी के साथ सम्बन्धित गतिविधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए जिससे सहकारिता के दायरे और स्थिरता को बढ़ाया जा सके और पंजाब जैसे राज्य की विशेष ज़रूरतों को पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि ऐसा 2 करोड़ रुपए की मौजूदा वित्तीय सीमा के अंदर ही किया जा सकता है।

केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय की तरफ से सहकारी शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय यूनिवर्सिटी स्थापित करने की योजना की सराहना करते हुये स. चीमा ने कहा कि तकनीकी खोज और नये उत्पाद विकास के मकसद से सहकारी क्षेत्र में पंजाब के लिए नये उत्पाद विकास महारत के लिए हरियाणा में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फूड टैकनॉलॉजी ऐंटरप्रीन्योरशिप एंड मैनेजमेंट ( एन. आई. एफ. टी. ई. एम) और कर्नाटक में केंद्रीय फूड टैक्नोलोजीकल रिर्सच इंस्टीट्यूट ( सी. एफ. टी. आर. आई) की तर्ज़ पर पंजाब में भी एक राष्ट्रीय संस्था स्थापित की जानी चाहिए।

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