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प्रधानमंत्री मोदी 5 सितंबर को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार विजेताओं से करेंगे बात

नई दिल्ली| शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 सितंबर की शाम प्रधानमंत्री आवास ‘7 लोक कल्याण मार्ग’ पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार विजेताओं से बातचीत करेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार का उद्देश्य देश के बेहतरीन शिक्षकों के अद्वितीय योगदान को सेलिब्रेट करना और उनका सम्मान करना है। यह वह शिक्षक हैं जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत से न केवल स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध किया है।

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत मेधावी शिक्षकों को सार्वजनिक मान्यता प्रदान करता है। इस पुरस्कार के लिए इस साल देश भर से 45 शिक्षकों का चयन, तीन चरण की एक कठोर और पारदर्शी ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से किया गया है। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 5 सितंबर को शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करेंगी। इस अवसर पर केन्द्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भी उपस्थित रहेंगे।

गौरतलब है कि इससे पहले 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से दिए गए अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने देश में शिक्षा को लेकर महत्वपूर्ण बातें कहीं थीं। उन्होंने अपने भाषण में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भी जिक्र किया था। प्रधानमंत्री लगातार शिक्षा के क्षेत्र में भाषा, खासतौर पर स्थानीय भाषाओं को महत्व देने की बात करते आए हैं। 15 अगस्त को दिए अपने भाषण में भी उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति भाषा के बंधनों को तोड़ रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने भाषण में कहा था, “जिस प्रकार से नई शिक्षा नीति बनी है। जिस मंथन के साथ बनी है, कोटि-कोटि लोगों के विचार प्रवाह को संकलित करते हुए बनी है और भारत की धरती की जमीन से जुड़ी हुई शिक्षा नीति बनी है। हमने जो कौशल पर बल दिया है यह ऐसा सामथ्र्य है जो हमें गुलामी से मुक्ति की ताकत देगा। हमनें देखा है कभी-कभी तो हमारी टैलेंट भाषा के बंधनों में बंध जाती है। यह गुलामी की मानसिकता का परिणाम है। हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए।”

वहीं केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने प्रधानमंत्री के वचनों को दोहराते हुए कह चुके हैं कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक नई आशा लेकर आयी है। भारत की धरती से जुड़ी हुई हमारी शिक्षा नीति भाषा के बंधनों को तोड़ गुलामी की मानसिकता से मुक्ति देने की ताकत देगी।

गौरतलब है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पाठ्यक्रम सामग्री सुलभ कराई जा रही है। इसके लिए 12 अनुसूचित भारतीय भाषाओं हिंदी, मराठी, बंगाली, तमिल, तेलुगु, गुजराती, कन्नड़, पंजाबी, ओडिया, असमिया, उर्दू और मलयालम में तकनीकी पुस्तक लेखन और अनुवाद की शुरूआत कर ली गई है।

–आईएएनएस

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