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Chandigarh: Haryana Governor Bandaru Dattatreya administers the oath to BJP leader Nayab Singh Saini during the swearing-in ceremony, in Chandigarh on Tuesday, March 12, 2024.(Photo: IANS/CMO)

प्रभावशाली ओबीसी चेहरे सैनी ने 5 कैबिनेट सहयोगियों के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली

चंडीगढ़, 12 मार्च । पहली बार भाजपा सांसद बने नायब सिंह सैनी ने मंगलवार को पांच कैबिनेट सहयोगियों के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

बीजेपी-जेजेपी गठबंधन टूटने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला सहित उनके पूरे मंत्रिमंडल ने मंगलवार सुबह इस्तीफा दे दिया। इसके बाद भाजपा विधायकों की बैठक के दौरान अगले मुख्‍यमंत्री के लिए सैनी का नाम सर्वसम्मति से तय किया गया।

सैनी राज्य में आठ प्रतिशत ओबीसी समुदाय पर मजबूत पकड़ रखते हैं। उन्होंने मुख्‍यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले और बाद में खट्टर के पैर छुए। वह राज्य में चुनाव होने तक सात महीने के लिए मुख्यमंत्री रहेंगे।

सैनी जाति की कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, अंबाला, हिसार और रेवाड़ी जिलों में अच्छी खासी आबादी है।

सैनी के साथ कंवर पाल गुज्जर, मूलचंद शर्मा, रणजीत सिंह चौटाला, जे.पी. दलाल और बनवारीलाल ने मंत्री पद की शपथ ली।

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने चंडीगढ़ के राजभवन में एक समारोह में उन्हें पद की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह निर्धारित समय से 20 मिनट पहले शुरू हो गया। इस समारोह में अनिल विज नहीं पहुंचे, जो खट्टर सरकार में गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री थे। वह सैनी का नाम प्रस्तावित होते ही सुबह की बैठक से उठकर चले गए।

निवर्तमान मंत्रिमंडल में भाजपा नेता खट्टर और जेजेपी के तीन सदस्यों सहित 14 मंत्री शामिल थे।

90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में भाजपा के 41 विधायक हैं, जबकि जेजेपी के 10 हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन को सात में से छह निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है।

सूत्रों के मुताबिक, खट्टर अब लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। माना जा रहा है कि उन्हें करनाल से मैदान में उतारा जा सकता है।

खट्टर के करीबी संजय भाटिया, जो पंजाबी चेहरा हैं, उन्‍होंने 2019 के चुनाव में 6.5 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। वह सैनी की जगह पार्टी के राज्य प्रमुख बनाए जा सकते हैं।

2019 के लांकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने आईएएनएस को बताया कि सैनी की शीर्ष पद पर पदोन्नति को गैर-जाट और ओबीसी मतदाताओं को खुश करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा, यह खट्टर के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने का भी एक प्रयास है, जो 2014 से सत्ता में थे। हरियाणा की राजनीति में जाट यानी जमींदार समुदाय, जो राज्य की आबादी का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा है, का समर्थन मोटे तौर पर कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी और इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) के बीच बंटा हुआ है।

भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि ओबीसी होने और खट्टर के करीबी होने के अलावा, आरएसएस के साथ पुराने जुड़ाव ने भी सैनी को शीर्ष तक पहुंचने में मदद की।

एक भाजपा नेता ने आईएएनएस को बताया, “यह अन्य पिछड़ी जातियों के भीतर उप-जातियों का समर्थन हासिल करने की भाजपा की रणनीति है।”

कुरुक्षेत्र से लोकसभा सांसद सैनी, जिन्होंने 3.83 लाख से अधिक के भारी मतों के अंतर से सीट जीती थी, को पिछले साल अक्टूबर में राज्य भाजपा प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था। साल 1970 में जन्मे सैनी ने लगभग 30 साल पहले राजनीति में प्रवेश किया था। 2014 के विधानसभा चुनाव में वह नारायणगढ़ से विधायक चुने गए। उन्हें 2016 में कैबिनेट में शामिल किया गया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में सैनी ने कुरुक्षेत्र निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, उन्होंने कांग्रेस के निर्मल सिंह को भारी अंतर से हराया था।

(संवाददाता विशाल गुलाटी से vishal.g@ians.in पर संपर्क किया जा सकता है)

–आईएएनएस

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