रांची | एक और प्रवासी मजदूर और उसके कठिन प्रयास की कहानी है, इस बार यह साहसी अधेड़ श्रमिक गोविंद मंडल है, जो अपनी पत्नी और बेटे को दिल्ली से देवघर तक करीब एक पखवाड़े की अवधि में लेकर आए। उन्होंने ‘जहां चाह वहां राह’ मुहावरे को सार्थक करते हुए करीब 1,350 किलोमीटर की दूरी रिक्शे के पैडल मारते हुए तय की।
पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के निवासी मंडल नई दिल्ली के एक गैरेज में मैकेनिक का काम करते थे। हालांकि लॉकडाउन लागू होते ही उनके मालिक ने उन्हें मोटर मैकेनिक की नौकरी से निकालते हुए 16,000 रुपये थमा दिए।
कई दिनों तक राजधानी में किसी न किसी तरह गुजर बसर करने के बाद जब उनके पास सिर्फ 5000 रुपये बचे, तो उन्होंने घर लौट जाने का फैसला किया।
मंडल ने 4800 रुपये में एक सेकेंड हैंड रिक्शा खरीदा और पत्नी और बच्चे के साथ निकल पड़े। वह मंगलवार को झारखंड के देवघर पहुंचे। बस दो सौ रुपये के साथ यात्रा शुरू करना मूर्खतापूर्ण था। देवघर पहुंचने तक उनके परिवार के पास कुछ नहीं बचा, उनका एकमात्र रिक्शा पंचर हो गया और वे खुद भी अधमरे हो चुके थे।
उन्होंने सरकार द्वारा संचालित सामुदायिक रसोईघर देखकर रुकने का फैसला किया, जहां उन्होंने अपनी और अपने परिवार की भूख मिटाई।
अपने खतरनाक सफर को याद करते हुए मंडल ने कहा, “कुछ किलोमीटर की यात्रा करने के बाद ही मेरा रिक्शा पंक्चर हो गया। मैंने 140 रुपये में पंक्चर ठीक कराया, जिसके बाद मेरे पास सिर्फ 60 रुपये बचे। मुझे बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस ने पकड़ लिया। मैंने अपनी कहानी उप्र पुलिस को सुनाई, जिन्होंने दया दिखाते हुए मुझे चूल्हे के साथ एक गैस सिलेंडर दिया।”
उन्होंने कहा, “मैंने बीते 15 दिनों में करीब 1350 किलोमीटर लंबा सफर तय किया है। यह बहुत मुश्किल था। हम सभी को भूख लगी थी। जब हम देवघर पहुंचे तो हमें सामुदायिक रसोई की जानकारी मिली। मैं वहां पहुंचा और पत्नी और अपने साढ़े तीन साल के बेटे के साथ खाना खाया।”
वह आगामी दिनों में अपना बाकी का सफर पूरी करेंगे।
–आईएएनएस
और भी हैं
डालमिया उद्योग 3000 करोड़, महान एनर्जन लिमिटेड 2500 करोड़, अल्ट्राटेक सीमेंट 3000 करोड़ तथा पतंजलि आयुर्वेद 1000 करोड़ रूपये का करेगा निवेश
इंदौर को मिला सर्वश्रेष्ठ जिले का राष्ट्रीय जल पुरस्कार राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने किया सम्मानित
रीवा एयरपोर्ट से यात्री विमान के साथ मालवाहक विमान भी उड़ेंगे: मुख्यमंत्री डॉ. यादव