दिल्ली 13 सितंबर 2008 को करोलबाग, कनाट प्लेस, ग्रेटर कैलाश मेंं हुए सिलसिलेवार 5 बम धमाको से दहल गई। इन धमाकों में 22 लोग मारे गए और 131 लोग घायल हो हुए थे। बम धमाकों में शामिल आतंकवादियों का पता लगाने की जिम्मेदारी स्पेशल सेल को दी गई।
6 दिनों में ही खोज निकाला आतंकवादियों को—
स्पेशल सेल के तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त कर्नल सिंह और उपायुक्त आलोक कुमार के नेतृत्व में स्पेशल सेल की टीम बम धमाके करने वाले आतंकवादियों का पता लगाने में जुट गई। जयपुर मेंं 13 मई को गुजरात और बंगलुरु में 26 जुलाई 2008 को बम धमाके किए गए थे।
मोबाइल फोन से मिला सुराग–
एनकाउंटर की स्पेशल टीम–
स्पेशल सेल ने बटला हाउस के उस मकान एल 18 का भी पता कर लिया जहां पर आतंकी छिपे हुए थे। इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा,राहुल कुमार सिंह, धर्मेंद्र, सब -इंस्पेक्टर रवींद्र त्यागी, दलीप कुमार हवलदार बलवंत ,उदयवीर और राजबीर समेत करीब 18 पुलिस वालों की एक टीम बनाई गई। इनमें से कुछ पुलिस वाले आतंकवादियों के ठिकाने के अंदर गए और शेष पुलिस वालों ने ठिकाने के बाहर मोर्चा संभाला था।
19 सितंबर 2008 को सुबह करीब 9.30 बजे यह टीम सेल के लोदी कालोनी दफ्तर से जामिया नगर के बटला हाउस के लिए रवाना हुई थी।
वोडाफोन प्रतिनिधि बन गया इंस्पेक्टर धर्मेंद्र –
बटला हाउस पहुंच कर आतंकियों की मौजूदगी का पता लगाने के लिए इंस्पेक्टर धर्मेंद्र वोडाफोन कंपनी का प्रतिनिधि बन कर मकान नंबर एल 18 में गया।
धर्मेंद्र उस मकान के चौथे फ्लोर पर गया जहां पर आतंकियों के छिपे होने की सूचना पुलिस को थी। धर्मेंद्र ने देखा कि वहां आतंकी मौजूद है। यह देख धर्मेंद्र नीचे गया और इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को आतंकियों की मौजूदगी की सूचना दी। इसके बाद मोहन चंद्र शर्मा अपने साथियों को लेकर ऊपर गए। जिस फ्लैट में आतंकी थे वह एल टाइप था उसका एक दरवाजा सीढ़ियों के बिल्कुल सामने और एक दरवाजा बाएं ओर था।
इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा ने पेश की बहादुरी की मिसाल ।
एनकाउंटर का असली हीरो ।
इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा ने पहले सामने वाला दरवाजा खटखटाया वो बंद था इसके बाद शर्मा ने बाएं ओर के दरवाजे को धकेला तो वह खुल गया। जैसे ही शर्मा अंदर घुसे सामने वाले कमरे के दरवाजे के पीछे छिपे आतंकियों ने गोलियां चला दी। जिससे इंस्पेक्टर शर्मा और हवलदार बलवंत घायल हो गए। पुलिस ने जवाबी फायरिंग की जिसमें आतंकी आतिफ और साजिद मारे गए। इसी दौरान एसीपी संजीव यादव भी सिपाही मान सिंह (अब इंस्पेक्टर) , सिपाही इंद्रजीत और राज पाल के साथ वहां पहुंच गए। एक आतंकी मुहम्मद सैफ पकड़ा गया जबकि दो आतंकी शहजाद अहमद और आरिज खान उर्फ जुनैद भाग गए।
इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा की टीम ने बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं पहनी हुई थी।
इंडियन मुजाहिदीन का उत्तर भारत का सरगना मारा गया-
मारे गए आतंकियों में बम धमाकों का जिम्मेदार इंडियन मुजाहिदीन का उत्तरी भारत का सरगना आतिफ अमीन उर्फ बशर और मुहम्मद साजिद उर्फ पंकज थे। भागने वाले आतंकी की पहचान शहजाद और आरिज खान उर्फ जुनैद के रुप में हुई थी।
गंभीर रुप से घायल हुए इंस्पेक्टर शर्मा को तुरन्त पास के होली फैमिली अस्पताल में ले जाया गया हवलदार बलवंत के हाथ में गोली लगी थी उसे एम्स में ले जाया गया। इंस्पेक्टर शर्मा के इलाज के लिए पुलिस अफसरों ने एस्कार्ट अस्पताल से भी डाक्टर बुलाए लेकिन शर्मा को बचाया नहीं जा सका।
आतंकियों के ठिकाने पर धावा –
मोबाइल नंबर से बटला हाऊस के ठिकाने का पता चला तो वहां पर आतंकियों की मौजूदगी वैरीफाई की गई।
पहले यह तय हुआ था कि जैसे ही इस मोबाइल नंबर को इस्तेमाल करने वाला आतंकवादी बटला हाउस इलाके से बाहर निकलेगा उसे उठा लेंगे। लेकिन वह आतंकवादी इलाके से बाहर ही नहीं निकला। आतंकवादी कहीं ओर बम धमाके न कर दें इसलिए उनको पकड़ने के लिए उनके ठिकाने पर ही धावा बोला गया।
मोबाइल नंबर से आतंकवादियों को खोजने में माहिर ।
शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। एक अन्य मामले में इस साल मोहन चंद्र शर्मा को मरणोपरांत वीरता पदक से भी सम्मानित किया गया।
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