नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसियेशन ( डीटीए ) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल व शिक्षा मंत्री श्री मनीष सिसोदिया को पत्र लिखकर यह मांग की है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 28 कॉलेजों में जल्द से जल्द गवर्निंग बॉडी के सदस्यों के नाम भेजने की मांग की है । उन्होंने लिखा है कि इन कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी के एक्सटेंशन का कार्यकाल 13 जून 2021 को समाप्त हो रहा है। पिछले 14 महीने से गवर्निंग बॉडी होने के बावजूद कोरोना महामारी के चलते शैक्षिक व गैर-शैक्षिक पदों पर नियुक्ति ना होने से कॉलेजों का कार्य प्रभावित हो रहा है । इन कॉलेजों में 20 ऐसे कॉलेज है जिनमें स्थायी प्रिंसिपल नहीं है । स्थायी प्रिंसिपलों के ना होने से स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया रुकी हुई है ।उन्होंने बताया है कि इन कॉलेजों को मार्च में 3 महीने का गवर्निंग बॉडी को एक्सटेंशन दिया गया था ।
डीटीए के प्रभारी व पूर्व विद्वत परिषद सदस्य डॉ. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि दिल्ली सरकार के वित्त पोषित 28 कॉलेजों में 12 कॉलेजों को शत प्रतिशत अनुदान दिया जाता है बाकी 16 कॉलेजों को सरकार की ओर से 5 फीसदी अनुदान दिया जाता है। इन कॉलेजों में पिछले दो साल से 6 साल व उससे अधिक से प्रिंसिपलों के पद खाली पड़े हुए हैं। प्रिंसिपलों के पदों पर स्थायी नियुक्ति किए जाने को लेकर विज्ञापन निकाले जा रहे हैं। पिछले दिनों मैत्रीय कॉलेज ने प्रिंसिपल पद का विज्ञापन निकाला है । 13 जून 2021 को इन कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी का कार्यकाल समाप्त होने पर ट्रेंक्रेटिड गवर्निंग बॉडी के माध्यम से नियुक्ति संभव है। उन्होंने दिल्ली सरकार की ओर से कॉलेजों में बनने वाली गवर्निंग बॉडी के नामों को जल्द से जल्द दिल्ली विश्वविद्यालय को भेजने की मांग की है ताकि समय पर दिल्ली सरकार अपने कॉलेजों में गवर्निग बॉडी बना सकें।
डॉ. सुमन ने लिखा है कि दिल्ली सरकार के कॉलेजों में बनने वाली गवर्निंग बॉडी के सदस्यों के नाम जल्द से जल्द दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को भिजवाए जाए ताकि कार्यकारी परिषद की बैठक में उन नामों की संस्तुति कर कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी बन सके। उन्होंने बताया है कि पिछली बार भी कार्यकारी परिषद में नाम पास होने पर कॉलेजों में महीनों बाद गवर्निंग बॉडी बनी थी। उन्होंने बताया है कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में लंबे समय से प्रिंसिपल पदों को नहीं भरा गया है । उन्होंने बताया है कि कुछ कॉलेजों में 5 साल और उससे अधिक समय तक कार्यवाहक/ओएसडी के रूप में कार्य करते हुए हो गए हैं जबकि यूजीसी रेगुलेशन के अंतर्गत स्थायी प्रिंसिपल का कार्यकाल 5 साल का होता है मगर ये प्रिंसिपल उससे ज्यादा समय तक अपने पदों पर बने हुए हैं मगर उनकी स्थायी नियुक्ति आज तक नहीं की गई। उन्होंने चिंता जताई है कि ट्रेंक्रेटिड गवर्निंग बॉडी होने पर इन कॉलेजों में प्रिंसिपल पदों पर नियुक्ति होंगी। अधिकांश कॉलेजों ने अपने यहां प्रिंसिपल पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकाले जाने की तेयारी कर ली है।
डॉ. सुमन के अनुसार प्रिंसिपलों के पदों पर स्थायी नियुक्ति न होने से इन कॉलेजों में सहायक प्रोफ़ेसर की नियुक्ति भी नहीं हो पा रही है जबकि कुछ कॉलेजों में गैर शैक्षिक पदों पर नियुक्ति व पदोन्नति की जा रही है। इसी तरह से लंबे समय से प्रिंसिपल पदों पर नियुक्तियां ना होने से 20 से अधिक कॉलेजों के प्रिंसिपलों के पद खाली पड़े हुए हैं । इन कॉलेजों में सबसे ज्यादा दिल्ली सरकार के कॉलेज है जहां पिछले 14 महीने से दिल्ली सरकार की गवर्निंग बॉडी होते हुए उन्होंने इन पदों को भरने की कवायद शुरू नहीं की।
दिल्ली सरकार के अंतर्गत 28 कॉलेज आते हैं। इन कॉलेजों में नहीं है स्थायी प्रिंसिपल–श्री अरबिंदो कॉलेज, श्री अरबिंदो कॉलेज(सांध्य) मोतीलाल नेहरू कॉलेज, मोतीलाल नेहरू कॉलेज(सांध्य) सत्यवती कॉलेज, सत्यवती कॉलेज (सांध्य ),भगतसिंह कॉलेज ,भगतसिंह कॉलेज (सांध्य) श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज, विवेकानंद कॉलेज,भारती कॉलेज, इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, राजधानी कॉलेज, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज,गार्गी कॉलेज, कमला नेहरू कॉलेज, गार्गी कॉलेज,शिवाजी कॉलेज, मैत्रीय कॉलेज, आदि है।इसके अतिरिक्त कालिंदी कॉलेज की प्रिंसिपल के कुलपति बनने पर पद खाली है । उन्होंने बताया है कि जिन कॉलेजों में प्रिंसिपल पदों पर इंटरव्यू नहीं हुए उन विज्ञापनों की समय सीमा समाप्त हो गई । प्रिंसिपल पदों पर विज्ञापन निकालने के लिए गवर्निंग बॉडी से पास कराकर जल्द ही विज्ञापन निकाले जायेंगे।
उन्होंने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को बताया है कि दिल्ली सरकार के कॉलेजों में प्रिंसिपल, सहायक प्रोफेसरों के पदों के अतिरिक्त लाइब्रेरियन व गैर शैक्षिक पदों पर भी लंबे समय से नियुक्ति ना होने से सैंकड़ों पद खाली पड़े हैं। इसके अलावा यूजीसी द्वारा सेकेंड ट्रांच के पदों पर नियुक्ति की जानी है, कुछ कॉलेजों ने विज्ञापन निकाल दिए हैं कुछ के निकलने बाकी है।इसलिए गवर्निंग बॉडी होने पर ही इन पदों पर स्थायी नियुक्ति की जा सकती है। उनका कहना है कि नई गवर्निंग बॉडी के लिए एक महीने का समय भी नहीं बचा है।
डॉ. सुमन ने कहा है कि दिल्ली सरकार उच्च शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए जल्द से जल्द दिल्ली विश्वविद्यालय को सरकार के कॉलेजों में बनने वाली गवर्निंग बॉडी के सदस्यों के नाम भेजे ताकि प्रिंसिपलों के पदों पर स्थायी नियुक्ति व सहायक प्रोफेसरों के पदों पर लंबे समय से रूकी हुई नियुक्ति की पृक्रिया शुरू की जा सकें।
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