मनोज पाठक,
पटना| बिहार सरकार शिक्षा के क्षेत्र में भले ही तरक्की और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की बात करती हो, परंतु हकीकत है कि बिहार की परीक्षा में टॉपर को लेकर हो रहे विवादों ने यहां की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। लगातार दूसरे वर्ष 12वीं की परीक्षा में टॉपर को लेकर हुए विवाद के बाद पूर्व में टॉपर रहे छात्रों की भी मुश्किलें बढी है। अब बिहार में किसी भी परीक्षा में टॉप रहे छात्र अब ‘टॉपर’ नहीं कहलाना चाहते।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) द्वारा इस वर्ष आयोजित 12वीं की परीक्षा परिणाम के बाद एकबार फिर कला संकाय के टॉपर गणेश को लेकर विवाद हो गया। गणेश के फर्जीवाड़े को लेकर उसकी गिरफ्तारी का असर अब दूसरे टॉपर पर भी होने लगा है। कल तक जो छात्र अपनी शान में राज्य का टॉपर बताते थे, अब वे खुद को ‘टॉपर’ नहीं कहलाना चाहते।
वर्ष 2014 में वाणिज्य संकाय में टॉपर रहे अविनाश अब टॉपर नहीं कहलाना चाहता। अविनाश टेलीफोन पर कहते हैं, “अब मुझे टॉपर बनने का अफसोस हो रहा है। इस कारण साक्षात्कार में कहीं मुझे दिक्कतें ना हो, इसके लिए मैंने बायोडाटा से ‘टॉपर’ का शब्द ही हटा दिया है।”
बिहार के एक सरकारी स्कूल में 12वीं के छात्र ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर तंज कसते हुए कहते हैं, “10वीं में मैं स्कूल का टॉपर छात्र था और मुझे इसकी खुशी भी थी, परंतु मुझे राज्य टॉपर नहीं होना है।”
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि गलती किसी की भी हो परंतु 12वीं की परीक्षा में राज्य के टॉपर होने वाले छात्र अन्य कॉलेजों में नहीं, बल्कि जेल भेजे जाते हैं।
आमतौर पर कोई भी छात्र की अपने वर्ग की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान पर आना गर्व की बात होती है और अगर राज्यस्तर पर होने वाली परीक्षा में छात्र टॉपर बना हो तो क्या कहने? ऐसे छात्र अपने बायोडाटा में शान से ‘टॉपर’ का तगमा जोड़ते हैं। परंतु अब बिहार में स्थिति बदल गई है।
वर्ष 2009 में 12वीं की परीक्षा के विज्ञान संकाय में टॉपर रहे अमन राज ने कहा कि पिछले वर्ष से ही उन्होंने अपने बायोडाटा से ‘टपर’ शब्द हटा लिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बिहार का अब टॉपर कहलाना अब शान की बात नहीं लगती।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष समस्तीपुर जिले के ताजपुर प्रखंड के रामनंदन सिंह जगदीप नारायण सिंह हाई स्कूल से शिक्षा ग्रहण करने वाले गणेश कला संकाय में 82 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाकर राज्य टॉपर घोषित हुआ। गणेश को संगीत विषय के प्रायोगिक परीक्षा में 70 में से 65 अंक मिले हैं। उनके टॉपर बनने के बाद से ही स्थानीय मीडिया में उन पर सवाल लगातार उठने लगे।
परीक्षाफल प्रकाशित होने के दो दिन बाद ही उसकी हकीकत सामने आ गई और जन्मतिथि में हेरफेर करने के आरोप में उसे गिरफ्तार कर लिया गया तथा उसके 12वीं के परीक्षा परिणाम को रद्द कर दिया गया। पुलिस अब पूरे मामले की छानबीन कर रही है।
पिछले वर्ष भी इसी तरह 12वीं के कला संकाय की टॉपर रही रुबी कुमारी और विज्ञान संकाय में टॉपर रहे सौरव कुमार के विषय संबंधित और साामन्य ज्ञान से संबंधित साक्षात्कार को टीवी चैनलों पर प्रसारित किए जाने के बाद राज्य में टॉपर बनने में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था।
रुबी ने टीवी चैनलों के साक्षात्कार के दौरान पॉलिटिकल साइंस को ‘प्रोडिकल साईंस’ बताते हुए कहा था कि राजनीति विज्ञान में खाना बनाने की पढ़ाई होती है। इसी प्रकार से विज्ञान संकाय में टॉपर रहे सौरव कुमार को ‘प्रोटोन’ और ‘इलेक्ट्रॉन’ की सामान्य जानकारी नहीं थी।
बीएसईबी ने बाद में विशेष जांच परीक्षा लेने के बाद विज्ञान संकाय के टॉपर्स बने सौरभ श्रेष्ठ और राहुल कुमार तथा कला संकाय की टॉपर रही रुबी राय का परीक्षा परिणाम रद्द कर दिया था।
–आईएएनएस
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