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बेंगलुरू के अच्छे प्रदर्शन से बदली रोका की किस्मत

बेंगलुरू : हीरो इंडियन सुपर लीग में बेंगलुरू एफसी के शानदार डेब्यू के पीछे मुख्य कोच एल्बर्ट रोका की सटीक रणनीति ने कामय किया है। बीते सीजन के अंत में अगर रोका को अपनी टीम के साथ आशातीत सफलता नहीं मिली होती तो शायद आज उनकी टीम लीग तालिका में पहले स्थान पर काबिज नहीं होती। रोका जुलाई 2016 में बेंगलुरू आए थे और उनका सबसे पहला काम अपनी टीम को एएफसी कप के नॉकआउट दौर में पहुंचाना था। बेंगलुरू टीम ने मलेशिया के मौजूदा चैम्पियन जोहोर दारुल ताजीम को हराकर यह सफलता हासिल की लेकिन वह एएफसी कप के फाइनल में अल कुवा अल जैविया के हाथों हार गई।

इसके बाद आईलीग की बारी थी। इस टीम ने आशा के मुताबिक अच्छी शुरुआत की और लगातार तीन जीत हासिल की लेकिन इसके बाद उसे सात मैचों तक जीत नहीं मिली। इससे उसकी खिताब तक पहुंचने की मुहिम को झटका लगा लेकिन इस टीम ने अंतिम चार मैच जीतते हुए सम्मानजनक चौथा स्थान हासिल किया।

बेंगलुरू जैसी टीम के लिए यह अच्छी सफलता नहीं थी क्योंकि यह टीम कागज पर काफी मजबूत थी और इसका बजट भी काफी अच्छा रहा है। इसके बाद ऐसा कहा जाने लगा कि सीजन के अंत में रोका को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा और फेडरेशन कप उनका टीम के साथ अंतिम असाइनमेंट होगा।

फेडरेशन कप में बेंगलुरू ने ग्रुप स्टेड की बाधा पार की और अतिरिक्त समय में मोहन बागान को हराते हुए खिताब जीता। इस खिताब ने इस क्लब को एएफसी कप प्लेऑफ में हिस्सा लेने की योग्यता दी और इसे देखते हुए क्लब ने रोका के करार के एक साल के लिए बढ़ा दिया।

इसके बाद तो रोका ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। बेंगलुरू के लिए आईएसएल का पहला सीजन बेहतरीन रहा। उसने कुल 40 अंक हासिल किए और 18 में से 13 मैच जीते। यह इस क्लब के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी सफलता थी। इस क्लब ने 72.2 प्रतिशत के दर से अपने मैच जीते। यह सब रोका की वजह से हुआ, जिस पर क्लब प्रबंधकों ने विश्वास किया।

बीते चार सीजन में बेंगलुरू का कोई विदेशी खिलाड़ी टॉप स्कोरर नहीं रहा है। रोका ने महसूस किया कि उनकी टीम कप्तान सुनील छेत्री पर कुछ अधिक ही आश्रित रहती है और इसी कारण उन्होंने मीकू के तौर पर एक स्तरीय विदेशी खिलाड़ी अपने लिए चुना। वेनेजुएला के मीकू ने अपनी कीमत अदा की और सबसे अधिक 14 गोल किए।

यहां एक बात गौर करने वाली है कि बीते सीजन में रोका के पास कोई प्लान-बी नहीं था। इस टीम ने चार खिलाड़ियों वाले डिफेंस के साथ शुरुआत की और फिर इन खिलाड़ियों की संख्या तीन कर दी। उनका-पास एंड मूव-शैली का फुटबाल धीमा माने जाने लगा और रक्षापंक्ति पर ध्यान देने वाली टीमों के खिलाफ कारगर नहीं रहा।

हालांकि आईएसएल के इस सीजन में यह टीम बॉल पजेशन के मामले में दूसरी सबसे अच्छी टीम रही। नार्थईस्ट युनाइटेड एफसी ने अपने घर में सबसे अधिक समय तक गेंद अपने पास रखी लेकिन रोका ने तेज काउंटर अटैक पर भरोसा किया और उनकी यह रणनीति कारगर साबित हुई। रक्षापंक्ति में रोका ने जुआनन और जॉन जानसन जैसे अनुभवी खिलाड़ियों पर भरोसा किया।

फरवरी में क्लब ने सभी प्रतियोगिताओं ेमें सात मैच खेले और छह में विजयी रही। प्लेऑफ तक के सफर में यह टीम अपने 12 मैचों में अजेय रही है। यह सब रोका की मेहनत की नतीजा है। इस क्लब ने व्यस्त कार्यक्रम के बीच इस तरह का शेड्यूल तैयार किया और अपने खिलाड़ियों को इस कदर प्रेरित रखा कि आज हर कोई एक कोच के तौर पर उनकी तारीफ करते नहीं थक रहा है।

–आईएएनएस

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