पणजी: अमेरिका स्थित वट्टीकुटि फाउंडेशन 200 अतिरिक्त रोबोट को स्थापित करने और 2020 तक रोबोटिक सर्जरी के आकड़े को प्रतिवर्ष 20,000 से अधिक तक पहुंचाने के उद्देश्य के साथ रोबोटिक सर्जरी में भारत को विश्व में अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार बनाने के लिए तैयार है।
वट्टीकुटि फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी संस्था है, जिसका लक्ष्य भारत समेत दुनिया भर में रोबोटिक सर्जरी को बढ़ावा देना है। इसके संस्थापक और अध्यक्ष राज वट्टीकुटि ने शनिवार को आईएएनएस को बताया, “भारत में आज चिकित्सा समेत सभी क्षेत्रों बहुत क्षमता और प्रतिभा है। इसलिए कुछ समय में यह रोबोटों की बिक्री और सर्जरी के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रोबोटिक बाजार बन सकता है।”
उन्होंने फाउंडेशन द्वारा आयोजित दो दिवसीय द्विवार्षिक ‘रोबोटिक सर्जन्स काउंसिल’ में यह बात कही, जिसकी यहां शनिवार को शुरुआत हुई।
वर्तमान में भारत में 50 से अधिक सर्जिकल रोबोट हैं और 300 से ज्यादा प्रशिक्षित रोबोट सर्जन हैं और अनुमान के मुताबिक, देश में एक महीने में 700 रोबोटिक सर्जरी की जाती है।
वट्टीकुटि ने कहा, “2011 के अंत में हमने केवल आठ से नौ रोबोट और बिना किसी प्रक्रिया के साथ भारतीय बाजार में प्रवेश किया था। बाजार को लगा कि यह प्रणालियां बहुत महंगी होगी और सर्जनों ने महसूस किया कि उन्हें इसे सीखने के लिए बहुत प्रयास करना पड़ेगा।”
वट्टीकुटी ने आगे कहा, “अब, हमने देश में रोबोटिक सर्जरी की स्थिति के साथ-साथ इसके प्रति बाजार की धारणा में भी परिवर्तन देखा है। बहुत से चिकित्सक प्रौद्योगिकी की तरफ आकर्षित हुए हैं और इसे सीखने के लिए आगे आए हैं।”
यह संस्था भारत में दिसंबर तक करीब 70 रोबोटिक प्रणालियां स्थापित करेगी तथा 7,000 से अधिक रोबोटिक सर्जरी में सहायता करेगी और इसका उद्देश्य 2018 तक भारत में 100 से अधिक रोबोट स्थापित करने का है।
अभी तक संस्था ने 360 सर्जनों को प्रशिक्षित किया है और 2018 में 100 अन्य को प्रशिक्षित करने की तैयारी में जुटा है।
वट्टीकुटि ने कहा, “हम आनेवाले दो से तीन वर्षो में सर्जन की संख्या को 600 तक पहुंचाने और अगले वर्ष में भारत में 100 रोबोट स्थापित करने की उम्मीद कर रहे हैं।”
रोबोटिक सर्जरी रोबोट के एक हाथ से जुड़े बहुत छोटे औजारों का उपयोग कर सर्जरी करने का एक तरीका है।
रोबोटिक सर्जरी यूरोलॉजी, गायनोकोलॉजिकल, कोलोरेक्टल, पीडियेट्रिक और सामान्य सर्जरियों में विशाल संभावनाएं प्रदान करता है।
वट्टीकुटि फाउंडेशन की शाखाएं कोयंबटूर, नागपुर, विशाखापट्टनम, इंदौर और मोहाली तक फैली हैं।
विट्टीकुटि ने कहा कि सेना अस्पताल (दिल्ली), एम्स (दिल्ली), दिल्ली कैंसर संस्थान, पीजीआई चंडीगढ़ जैसे सरकारी अस्पतालों ने पहले ही रोबोट खरीद लिए हैं। जोधपुर एवं ऋषिकेश में स्थित एम्स और दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल जैसे अन्य अस्पताल भी इन अभिनव प्रणालियों को खरीदने के लिए बातचीत कर रहे हैं।
वट्टीकुटि ने कहा, “हमारे पास भारत में सर्जन, विशेषज्ञों और एम्स, पीजीआई एवं टाटा मेमोरियल जैसे सरकारी संस्थानों के रूप में बहुत बड़ी प्रतिभा मौजूद है। हम रोबोटिक सर्जरी के नैदानिक पहलुओं के निर्माण में सबसे आगे निकल सकते हैं।”
संस्था के मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेंद्र भंडारी ने आईएएनएस को बताया, “रोबोटिक सर्जरी के साथ, हमारा मिशन गरीब और अमीर को अलग करना नहीं है। हम खुश हैं कि सरकार ने दिलचस्पी दिखाई है और वह रोबोट खरीद रहे हैं, जिससे हाशिए पर पहुंचे लोग भी इसका लाभ उठा सकेंगे।”
–आईएएनएस
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