आइजोल/इंफाल: मिजोरम और मणिपुर के माध्यम से भारत और म्यांमार का आधिकारिक व्यापार कई सालों से बंद है। हालांकि दवाओं, हथियारों और गोला-बारूद, लुप्त हो रहे जानवरों और करोड़ों की कीमतों वाली अन्य वस्तुओं का अवैध रूप से सीमा पार व्यापार किया जा रहा है।
सीमा के दोनों ओर के व्यापारी मोरेह और जोखावथर व्यापारिक केंद्रों के जरिए भारत-म्यांमार व्यापार को फिर से शुरू करने की मांग कर रहे हैं, ताकि बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध व्यापार को रोका जा सके।
मोरेह इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) के जरिए आधिकारिक व्यापार मार्च 2020 से कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद बंद कर दिया गया, जबकि अन्य कारणों से जोखावथर के माध्यम से व्यापार कई सालों से बंद है।
आपको बता दें कि मोरेह आईसीपी प्रस्तावित 1360 किलोमीटर लंबे भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग के किनारे स्थित है।
मिजोरम स्थित इंटरनेशनल ट्रेड इनिशिएटिव फोरम (आईटीआईएफ) ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मिजोरम के राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति से भारत-म्यांमार व्यापार फिर से शुरू करने का आग्रह किया।
इसके अध्यक्ष पी.सी. लॉमकुंगा ने मिजोरम के राज्यपाल को अवगत कराया कि भारत-म्यांमार सीमा व्यापार का बंद होना इस क्षेत्र में तस्करी गतिविधियों को बढ़ा रहा है।
लॉमकुंगा एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं। वह मणिपुर के मुख्य सचिव रह चुके हैं। लॉमकुंगा ने कहा कि पूर्वी मिजोरम के जोखावथर में भारत-म्यांमार सीमा व्यापार पहली बार 1995 में पारंपरिक व्यापार के रूप में शुरू किया गया था। आज कई कारणों से यह लगभग न के बराबर हो गया है।
राज्यपाल ने आईटीआईएफ प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार पड़ोसी देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा देने और अपने नागरिकों के लिए आसान व्यापारिक सुविधाओं पर विचार करेगी।
लॉमकुंगा ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, भारत और म्यांमार के बीच औपचारिक और नियमित आधिकारिक सीमा व्यापार के अभाव से न केवल तस्करी और अवैध व्यापार धड़ल्ले से हो रहे हैं बल्कि इससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का भी घाटा हो रहा है।
उन्होंने कहा कि म्यांमार से मिजोरम और मणिपुर में बड़ी मात्रा में ऐरेका नट्स की तस्करी बिना किसी प्रतिबंध के चल रही है।
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ने कहा, असम राइफल्स और अन्य सुरक्षा बल अक्सर ऐरेका नट्स से भरे ट्रक को पकड़ते हैं। बड़ी मात्रा में हो रही तस्करी से भारतीय किसान और व्यापारी प्रभावित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार अपनी एक्ट ईस्ट पॉलिसी के हिस्से के रूप में, पड़ोसी और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ व्यापार और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए उत्सुक रही है, लेकिन नियमित औपचारिक व्यापार के बिना यह नीति कैसे सफल हो सकती है।
एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि म्यांमार से निकलने वाले सीमापार नार्को-आतंकवाद और उग्रवाद का मुकाबला करने में असम राइफल्स सबसे आगे रही है।
म्यांमार से बड़े पैमाने पर तस्करी के अलावा, भारत के पूर्वोत्तर राज्य, विशेष रूप से मिजोरम, पिछले साल 1 फरवरी को पड़ोसी देश में एक सैन्य तख्तापलट के बाद अन्य परेशानियों का सामना कर रहे है। महिलाओं और बच्चों समेत लगभग 24,000 म्यांमार शरणार्थियों ने मिजोरम में शरण ली है।
–आईएएनएस
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