भोपाल| मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के साथ तैयारियां तेज हो गई हैं। ओबीसी केा आरक्षण देने का सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया है। अब दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस इस फैसले पर अपनी-अपनी ढपली बजा कर यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि ओबीसी के सच्चे हितैषी तो वही हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला बुधवार केा सुनाया और इस फैसले में ओबीसी को आरक्षण देने की बात कही गई है, मगर साथ में यह भी कहा गया है कि सभी वर्गों को मिलने मिलने वाला आरक्षण मिलाकर कुल प्रतिशत पचास से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव लगभग तीन साल से इसी के चलते लटके हुए थे, क्योंकि आरक्षण के रोटेशन और ओबीसी के आरक्षण का मामला सुलझ नहीं पा रहा था। सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद सियासी गर्माहट आ गई है। पंचायत चुनाव गैर दलीय आधार पर होना है तो नगरीय निकाय चुनाव दलीय आधार पर होना है।
सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा है,जिस बहुप्रतीक्षित फैसले का इंतजार मध्यप्रदेश को था, उस फैसले के तहत सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यप्रदेश में स्थानीय निकाय के चुनाव में आरक्षण को लेकर एक ऐतिहासिक निर्णय दिया है। जिसके लिए सर्वोच्च न्यायालय का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। भाजपा के जो प्रयास थे और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जो संकल्प था कि स्थानीय निकाय के चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ हों। आज हमें गर्व है कि भाजपा का वह संकल्प पूरा हुआ है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने ट्रिपल टेस्ट के लिए जो ओबीसी कमीशन बनाया था, सुप्रीम कोर्ट के सभी मानदंडों का पालन करते हुए ओबीसी कमीशन ने पंच-सरपंच से लेकर महापौर तक ट्रिपल टेस्ट की तैयार कर जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है। उस रिपोर्ट के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय ने इलेक्शन कमीशन से चुनाव कराने कहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले से ओबीसी वर्ग को स्थानीय निकाय चुनाव में अवसर मिलेंगे।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पिछडा वर्ग को न्याय मिला है, सत्य की जीत हुई है। उन्होने कहा, भाजपा के लिए सभी वर्गो का कल्याण प्राथमिकता है, लेकिन कांग्रेस केवल वोट बैंक की राजनीति करती है। आज सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से ओबीसी वर्ग के आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है, इसके लिए सभी को बधाई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस समाजों में भ्रम फैलाने का काम करती है। कमलनाथ और कांग्रेस आज पिछडा वर्ग के हितैषी बन रहे हैं लेकिन कांग्रेस महाराष्ट्र सरकार में शामिल है वहां स्थानीय निकाय में पिछडा वर्ग को आरक्षण क्यों नहीं दिला पायी। जहां भी कांग्रेस सरकार में है वहां बिना पिछड़ा आरक्षण के चुनाव हो रहे हैं। जबकि पिछड़ा वर्ग विरोधी होने का उल्टा दोष कांग्रेस भाजपा पर लगा रही है।
प्रदेश सरकार के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से संपूर्ण ओबीसी समाज में खुशी की लहर है। यह जीत मध्यप्रदेश की है। ओबीसी वर्ग की ऐतिहासिक जीत है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने कहा, हम पहले दिन से ही कह रहे थे कि मध्यप्रदेश में बगैर ओबीसी आरक्षण के पंचायत व नगरीय निकाय के चुनाव नहीं होना चाहिये, सरकार इसको लेकर सभी आवश्यक कदम उठाये। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के मामले में राहत प्रदान करने का निर्णय दिया है, उसका हम स्वागत करते हैं।
उन्होंने आगे कहा, हमारी सरकार द्वारा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किये गए ओबीसी आरक्षण का पूरा लाभ ओबीसी वर्ग को अभी भी नहीं मिलेगा, क्योंकि निर्णय में यह उल्लेखित है कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
हमें ओबीसी वर्ग का भला करने की कोई उम्मीद शिवराज सरकार से नहीं थी। इसलिए हमने पहले से ही यह निर्णय ले लिया है कि हम निकाय चुनाव में 27 प्रतिशत टिकट ओबीसी वर्ग को देंगे और इस वर्ग को उनका पूरा अधिकार देंगे।
–आईएएनएस
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