इंद्र वशिष्ठ
सीबीआई ने दिल्ली पुलिस की एक महिला सब- इंस्पेक्टर और एएसआई को बलात्कार के आरोपी अपने ही महकमे के सब-इंस्पेक्टर से रिश्वतखोरी में पकड़ा है।
सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराने वाली शिकायकर्ता भी दिल्ली पुलिस में सिपाही ही है।
यह मामला उस दिल्ली पुलिस का “चाल चरित्र और चेहरा ” उजागर करता है जिसे ढिंढोरा पीट-पीट “दिल की पुलिस” घोषित किया जा रहा है।
पुलिस की रग-रग में भ्रष्टाचार-
इस मामले से पता चलता है कि पुलिस में भ्रष्टाचार इस कदर समा गया है कि महिला सिपाही के मामले में भी महिला जांच अफसर, आरोपी सब-इंस्पेक्टर से रिश्वत लेने से भी बाज नहीं आई। ऐसे में महिला सिपाही की शिकायत पर आरोपी सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ की जाने वाली तफ्तीश का अंदाजा ही लगाया जा सकता है। जब महिला सिपाही के मामले में रिश्वत लेकर आरोपी को बचाने की कोशिश की जाती है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम लोगों की शिकायतों पर पुलिस किस तरह की जांच करती हैं।
पचास हजार रिश्वत-
सीबीआई ने शनिवार 9 अक्टूबर को थाना मालवीय नगर में तैनात एएसआई लेखराम को बलात्कार के आरोपी एसआई मनोज कुमार से पचास हजार रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया। सीबीआई ने बाद में महिला एसआई रोमी मेमरोथ को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
एसएचओ पर भी आरोप-
बलात्कार का आरोपी सब-इंस्पेक्टर मनोज फिलहाल मंगोल पुरी थाने में तैनात है। सब-इंस्पेक्टर मनोज ने सात अक्टूबर को सीबीआई में शिकायत दी, जिसमें आरोप लगाया कि उसके खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले को खत्म/ सैटल करा देने के लिए मालवीय नगर एसएचओ सतीश राणा, सब इंस्पेक्टर रोमी और एएसआई लेखराम (चिट्ठा मुंशी) ने पचास हजार रुपए रिश्वत की मांग की है।
सीबीआई ने शिकायत में लगाए आरोपों की स्वतंत्र गवाह की मौजूदगी में वैरीफिकेशन की। सब-इंस्पेक्टर मनोज की सब-इंस्पेक्टर रोमी और एएसआई लेखराम से मोबाइल पर हुई बातचीत को रिकॉर्ड किया गया।
एक लाख रुपए मांगे।-
महिला सब-इंस्पेक्टर रोमी के कहने पर मनोज ने एएसआई लेखराम से बात की थी। एएसआई ने एक लाख रुपए रिश्वत मांगी और रकम पचास- पचास हजार की दो किश्तों मे देने को कहा। एएसआई ने मनोज से कहा कि बलात्कार के मामले में उसके पक्ष में हाईकोर्ट में केस की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने से पहले उसे दिखा दी जाएगी।
इसके बाद 9 अक्टूबर को सीबीआई ने मामला दर्ज किया, जाल बिछा कर एएसआई लेखराम को रंगेहाथ और बाद में सब इंस्पेक्टर रोमी को गिरफ्तार कर लिया।
डीसीपी का बयान-
दक्षिण जिला की डीसीपी बेनीता मेरी जेकर ने बताया कि जांच के दौरान एसआई मनोज ने साकेत, सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया। अदालत ने सब इंस्पेक्टर को जांच में शामिल होने के लिए कहा और अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद सब इंस्पेक्टर मनोज उच्च न्यायालय चला गया। हाईकोर्ट में भी उसे जांच में शामिल होने के लिए कहा गया। सुनवाई की अगली तारीख 11अक्टूबर है।
दक्षिण जिला की डीसीपी बेनीता मेरी जेकर ने बताया कि शनिवार (9 अक्टूबर) को एसआई मनोज 8 बजे थाने आया और महिला एसआई रोमी को फोन किया, कहा कि वह दस्तावेज लाया है। लेकिन एसआई रोमी उस समय थाने में मौजूद नहीं थी। इसलिए उन्होंने एएसआई लेखराम से दस्तावेज लेने को कहा। एएसआई लेखराम को पैसा लेते हुए सीबीआई की टीम ने पकड़ लिया। सीबीआई ने बाद में एसआई रोमी को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
बलात्कार किया, वीडियो बनाया-
इस साल 3 अगस्त को दक्षिण जिला के थाने में तैनात महिला सिपाही ने सब-इंस्पेक्टर मनोज के खिलाफ मालवीय नगर थाने में बलात्कार और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज कराया था। महिला सिपाही का आरोप हैं कि सब इंस्पेक्टर मनोज उसे एक घर में ले गया, वहां पर उसे पेय पदार्थ में मिला कर नशा पिला कर बलात्कार किया। महिला सिपाही ने आरोप लगाया कि मनोज ने वीडियो भी बना लिया। वह वीडियो और तस्वीरों को वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमेल कर रहा है।
दक्षिण जिले में आरोपी मनोज और पीड़िता पहले एक ही थाने में तैनात थे। मालवीय नगर थाने की सब इंस्पेक्टर रोमी मेमरोथ को इस मामले की जांच अफसर बनाया गया।
आईपीएस की भूमिका पर सवाल।
इस मामले में आईपीएस अफसरों की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता है। बलात्कार का मामला दर्ज होने के बावजूद गिरफ्तार करना तो दूर तब स्पेशल सेल में तैनात सब-इंस्पेक्टर मनोज कुमार को निलंबित तक नहीं किया गया। यहीं नहीं उसका तबादला स्पेशल सेल से मंगोल पुरी थाने में कर दिया गया।
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