इन दोनों तस्वीरों को ध्यान से देखिए तो हमे एक भारतीय होने पर शर्मिंदगी महसूस होंगी , एक तस्वीर उस विजय माल्या की है जो बैंको से करीब 9000 हजार करोड़ की धोखाधड़ी करके ब्रिटेन में राजसी ठाठ के साथ अपना जीवन बिता रहा है.ओर दूसरी तस्वीर चारपाई पर लेटी हुई 100 वर्ष से ज्यादा उम्र की श्रीमती लाभे बघेल ओर उस चारपाई को धकेलती हुई 70 वर्षीय उनकी बेटी श्रीमति पुंजा देवी है इनका कसूर सिर्फ इतना है कि पिछले तीन माह से 500 रुपये महीने जो केंद्र सरकार ने जन धन योजना के तहत लाभे बघेल के खाते में डाले वो इन्हें तब ही मिलेंगे जब ये उत्कल ग्रामीण बैंक , ज़िला नोपारा , ओडिसा , में खुद जाएगी , इसलिए इनकी लाचार बेटी इस चारपाई को धकेल कर इन्हें बैंक ले जा रही है ।
आज़ादी के 70 सालों में हमने बहुत कुछ हासिल कर लिया , हम लाखो किलोमीटर दूर अंतरिक्ष तक पहुच गए परन्तु क्या हम इतने सक्षम हो पाए कि एक लाचार बुजुर्ग को उनकी आजीविका के लिये 1500 रुपये जैसे मामूली रकम कुछ किलोमीटर दूर उनके घर तक पहुँचा सके ?
माल्या जैसे लोगो के आगे पीछे घूमने वाले उन सरकारी नोकरो बैंक कर्मियों से सवाल जब माल्या जैसे लोगो को उनके ऑफिसों में जाकर लोन दे सकते हो तो , लाभे बघेल के घर जाकर 1500 रुपये क्यों नही पहुचाये जा सकते ?
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