नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 जनवरी को बंगाल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत पर बने रहस्य पर्दा उठाएंगे। पराक्रम दिवस के अवसर पर देश और खासकर बंगाल की जनता को इस रहस्य उद्घाटन का इंतेज़ार है। आल इंडिया माइनॉरिटीज फ्रन्ट के अध्यक्ष डॉ सय्यद मोहम्मद आसिफ ने यहां जारी बयान में कहा है कि आज़ाद हिंद फौज के नायक और अदम्य साहस के प्रतीक सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु से 75 साल बाद भी पर्दा नहीं उठा है। प्रधाननमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वह उनकी मौत से जुड़ी सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक करके सुभाष बाबू की मौत कहाँ,कैसे और कब हुई इस रहस्य को उजागर कर देंगे। मोदी ने तब यह आरोप भी लगाया था कि सुभाष बाबू की मौत को सत्ता में बैठे लोग जानबूझ कर रहस्य बनाये हुए हैं।
डॉ आसिफ ने कहा कि वायदा पूरा करने वाले प्रधान मंत्री से अपने वचन को पूरा करेंगे। उनके द्वारा रहस्य खोले जाने से बंगाल सहित पूरे देश को संतुष्टि मिलेगी और पता चल जाएगा कौन वह शत्रु देश है जिसने हमारे सर्वप्रिय स्वतंत्रता के नायक के विरुद्ध मौत का षड्यंत्र रचा था।आसिफ ने कहा कि 8 अगस्त 1945 को नेताजी हवाई जहाज से मंचुरिया जा रहे थे और इसी सफर के बाद वो लापता हो गए। जापान की एक संस्था ने 23 अगस्त को ये खबर जारी किया कि नेताजी का विमान ताइवान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिस कारण उनकी मौत हो गई थी। जबकि सच इससे अलग है।
नेताजी की रहस्यमय मौत, प्लेन क्रैश पर शक के साथ-साथ एक बड़ा सवाल यह भी है कि अगर जापान में रखी अस्थियां वाकई नेताजी की हैं तो उन्हें अबतक भारत क्यों नहीं लाया गया? इस रहस्य से भी पर्दा उठना ज़रूरी है।
उन्होंने बताया कि तथ्यों के मुताबिक 18 अगस्त, 1945 को नेताजी हवाई जहाज से मंचुरिया जा रहे थे और इसी सफर के बाद वो लापता हो गए। हालांकि, जापान की एक संस्था ने उसी साल 23 अगस्त को ये खबर जारी किया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का विमान ताइवान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसके कारण उनकी मौत हो गई थी। लेकिन इसके कुछ दिन बाद खुद जापान सरकार ने इस बात की पुष्टि की थी कि, 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में कोई विमान हादसा नहीं हुआ था। इसलिए आज भी नेताजी की मौत का रहस्य खुल नहीं पाया।
उनका अवशेष टोक्यो पहुंचाया गया, जहां सितंबर 1945 से ही उनके अवशेष रेंकोजी मंदिर में रखे हुए हैं। जापान से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अस्थियों को अब तक भारत क्यों नहीं लाया गया है, इस पर अलग-अलग सरकारें अलग-अलग वजह गिनवाती रही हैं।
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