नई दिल्ली: योगी आदित्यनाथ ने तीन दशक से अधिक समय से चले आ रहे उस ‘नोएडा मिथक’ को तोड़कर सत्ता में वापसी की है, जिसके अनुसार शहर का दौरा करने वाला कोई भी मुख्यमंत्री सत्ता खो देता है। 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद, योगी आदित्यनाथ कई विकास परियोजनाओं और प्रशासनिक कार्यों का उद्घाटन, शिलान्यास करने के लिए कई बार नोएडा का दौरा कर चुके हैं।
दरअसल ‘नोएडा का मिथक’ वर्षो से चर्चा का विषय रहा है, जिसके तहत कहा जाता रहा है कि जो भी उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री इस जिले का दौरा करता है, वह अगली बार दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल नहीं कर पाता है। वीर बहादुर सिंह को शहर से लौटने के कुछ दिनों के भीतर ही 1988 में पद छोड़ना पड़ा था, जिसके बाद उत्तर प्रदेश पावर कॉरिडोर में नोएडा का विवाद चर्चा का विषय बन गया था।
नवीनतम रुझानों के अनुसार, भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 21 सीटों पर जीत हासिल कर ली है और पार्टी 231 विधानसभा क्षेत्रों में 41.80 प्रतिशत वोट शेयर के साथ आगे चल रही है। गोरखपुर शहरी सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 90,000 से अधिक मतों से आगे चल रहे हैं। रुझानों पर गौर करें तो यह कहा जा सकता है कि योगी और पार्टी की जीत अब एक औपचारिकता भर रह गई है और इस तरह से योगी ने ‘नोएडा का मिथक’ तोड़ दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्यमंत्री काल में नोएडा जाने से परहेज किया था। हाल के दिनों में, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने मुख्यमंत्री बनने के बाद 2007 में नोएडा का दौरा किया और वह 2012 में विधानसभा चुनाव हार गईं। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी 2012 से अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान कुर्सी जाने के डर से इसी प्रवृत्ति का पालन किया।
जनवरी में शहर की अपनी यात्रा के दौरान, आदित्यनाथ ने मायावती और यादव पर यह कहकर कटाक्ष किया कि उनके लिए सत्ता अधिक महत्वपूर्ण थी इसलिए वे नोएडा जाने से हिचकिचा रहे थे। विवाद के बारे में पूछे जाने पर नोएडा के विधायक पंकज सिंह, जो वर्तमान में आगे चल रहे हैं, ने कहा कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने व्यक्तिगत रूप से कई बार शहर और यहां के लोगों के विकास का ध्यान रखा है।
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