[vc_row][vc_column][vc_column_text]जमशेदपुर (माधव): टाटा समूह इन दिनों सुर्खियों में है। इस समूह में तमाम दिग्गजों ने अपनी सेवाएं दी हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रह चुके रघुराम राजन भी उनमें हैं। इतना ही नहीं उनके सगे भाइयों मुकुंद राजन और श्रीनिवास का भी इस समूह से रिश्ता रहा है। तीनों भाइयों ने अपने करियर की शुरुआत टाटा से की। राजन बंधु में श्रीनिवास बड़े व मुकुंद सबसे छोटे हैं। भाइयों में एक समानता यह भी है कि सभी आइआइटी से पढ़े हैं और पीएचडी हैं। उनकी एक बहन भी हैं, जिनका नाम जयश्री है।
Within Minutes some Filthy Rich have become Poor. Money under mattresses++ is mere paper.Times of Gunny Bags and Suitcases gone..! Jai Hind pic.twitter.com/dVXR2I2m3c
— Kiran Bedi (@thekiranbedi) November 8, 2016
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मुकुंद ने लंबे समय तक किया रतन टाटा के एक्जीक्यूटिव असिस्टेंट के रूप में काम
मुकुंद टाटा ग्रुप के रणनीतिकारों में रहे हैं। हाल में भंग टाटा संस की ग्रुप एक्जीक्यूटिव काउंसिल (जीईसी) में मुकुंद शामिल थे। उनकी अहमियत इस बात से पता लगती है कि जब रतन टाटा दोबारा चेयरमैन (अंतरिम) की कुर्सी पर आए तो जीईसी सेएनएस राजन, मधु कन्नन व निर्मल्या कुमार की छुट्टी कर दी गई। लेकिन मुकुंद की जिम्मेदारियां और बढ़ा दी गईं। वह ग्रुप एथिक्स अधिकारी के पद पर रहते हुए समूह के विदेशी कारोबार पर नजर रखेंगे। रोचक यह कि मुकुंद व रघुराम दोनों टाटा एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (टीएएस) के अधिकारी रहे हैं। इसे प्रतिभाशाली युवाओं को आकर्षित करने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा की तर्ज पर गठित किया गया।
रघुराम आइआइएम, अहमदाबाद से पासआउट होने के बाद टीएएस में आए। हालांकि, दो महीने ही वह टाटा के साथ रहे। इसके बाद पीएचडी के लिए अमेरिका चले गए। मुकुंद करीब 22 वर्ष से टाटा ग्रुप में हैं। उन्होंने लंबे समय तक रतन टाटा के एक्जीक्यूटिव असिस्टेंट के रूप में काम किया। मुकुंद की काबिलियत का इससे ही अंदाज लगाया जा सकता है कि जब टाटा संस के चेयरमैन पद पर साइरस मिस्त्री की ताजपोशी हुई तो उन्हें मुकुंद को अपनी कोर टीम में रखने पर विवश होना पड़ा।[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]
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